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सिर्फ 4 शादी करने के वक्त ही शरिया और हदीस क्यों याद आता है? कॉमन सिविल कोड पर अमित शाह का सवाल

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गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जब भी कोई मुस्लिम देश की किसी भी अदालत में कोई वाद दायर करता है तो हमारे संविधान और कानून के मुताबित ही सिविल सूट होता है, ना कि शरिया या हदीस के हिसाब से. उन्होंने कहा कि देश में समान नागरिकता की बात बीजेपी का एजेंडा नहीं है, बल्कि हमारे संविधान निर्माताओं ने यह बात कही है. 

सिर्फ चार शादी करने के वक्त ही शरिया और हदीस क्यों आता है- अमित शाहराइजिंग भारत के मंच पर गृह मंत्री अमित शाह ने समान नागरिक संहिता पर खुलकर अपने विचार रखे.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या बौद्ध सभी को एक कानून के साथ जीना चाहिए. धार्मिक स्वतंत्रता में कोई दखल नहीं होना चाहिए. परंतु कानून एक होना चाहिए. केंद्रीय गृह मंत्री ने नेटवर्क 18 के कार्यक्रम ‘राइजिंग भारत’ में यह बात कही. नेटवर्क 18 के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर इन चीफ राहुल जोशी ने अमित शाह से तमाम मसलों पर लंबी बातचीत की. इस बातचीत में अमित शाह ने सीएए और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी अपनी बात रखी.

राइजिंग भारत के मंच पर बोलते हुए अमिति शाह ने कहा कि एक कानून की बात हमारे संविधान निर्माताओं की तय की हुई बात है. ये कोई बीजेपी का एजेंडा नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने समान नागरिक संहिता- यूसीसी को मूलभूत सिद्धांतों में स्वीकार किया था. संविधान बनाने वाले सभी कांग्रेसी नेता थे और उन्होंने स्वीकार किया कि उचित समय पर देश के विधानमंडल और संसद इस देश के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर आएगी. यह एक आदर्श हमारे सामने उन्होंने रखा था.
क्या मुसलमानों को शरिया और हदीद के हिसाब से रहने का हक़ नहीं है, के सवाल पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह भी एक प्रकार की भ्रांति है. शरिया और हदीस के हिसाब से 1937 से नहीं रह रहा है इस देश का मुसलमान. अमित शाह ने सवाल किया कि अंग्रेजों ने जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाया, तो उसमें से क्रिमिनल एलिमेंट क्यों निकाल दिया?

उन्होंने कहा कि शरिया और हदीस के हिसाब से तो चोरी करने वालों के हाथ काट देने चाहिए, बलात्कार करने वालों को सड़क पर पत्थर मारकर मार देना चाहिए, कोई मुसलमान बचत खाता नहीं खोल सकता है, ब्याज नहीं ले सकता है, लोन नहीं ले सकता है. उन्होंने कहा कि शरिया और हदीस से जीना है तो पूरी तरह से जीना चाहिए. सिर्फ चार शादी के करने के लिए शरिया और हदीस क्यों आता है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
अमित शाह ने कहा कि इस देश का मुसलमान शरिया और हदीस की सारी चीजों से अंग्रेजों के जमाने से कटा हुआ है. और कई इस्लामिक देश भी इसे छोड़ चुके हैं.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह कांग्रेस की देश को तोड़ने और समाज के बंटवारे की पॉलिसी है. देश के अल्पसंख्यकों को इससे बाहर आना होगा. उन्होंने कहा कि आज भी कोई सिविल सूट होता है तो देश के संविधान के हिसाब से ही मुस्लिमों का सिविल सूट होता है. शरिया या हदीस के हिसाब से नहीं होता है. सिविल सूट के लिए काजी के पास कोई नहीं जाता है.
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सिर्फ चार शादी करने के वक्त ही शरिया और हदीस क्यों आता है- अमित शाह
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