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प्रणब मुखर्जी के बेटे को पिता की छपने वाली किताब पर आपत्ति, कहा-मेरी सहमति के बिना इसे न छापें

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प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) अपने निधन से पहले संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' लिख चुके थे. रूपा प्रकाशन (Rupa Publication) द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जनवरी, 2021 से पाठकों के लिए उपलब्ध होने वाली थी.

प्रणब दा के बेटे को पिता की छपने वाली किताब पर आपत्ति,कहा-बिना सहमति न छापें'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' प्रणब मुखर्जी द्वारा लिखी चौथी किताब है. पूर्व राष्ट्रपति का पिछले साल निधन हो गया.
नई दिल्ली. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (President Pranab Mukherjee) के पुत्र अभिजीत मुखर्जी (Abhijit Mukherjee) ने अपने पिता के संस्मरण का हवाला देकर मीडिया में आई कुछ बातों को प्रेरित (Motivated) करार देते हुए मंगलवार को प्रकाशक से आग्रह किया कि वह उनकी लिखित सहमति तक इस पुस्तक का प्रकाशन बंद करे.

पूर्व सांसद अभिजीत ने यह भी कहा कि उन्होंने पुस्तक 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' (The Presidential Years) का प्रकाशन रोकने के लिए ‘रूपा प्रकाशन’ को पत्र लिखा है, जो इसका प्रकाशन कर रही थी. दरअसल, प्रकाशन की ओर से मीडिया में जारी पुस्तक के अंशों के मुताबिक, इसमें मुखर्जी ने राष्ट्रपति के तौर अपने अनुभवों और कांग्रेस के नेतृत्व में संदर्भ कई बातों का उल्लेख किया है. सार्वजनिक हुए अंशों के अनुसार, इसमें मुखर्जी ने लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक गई और कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए करारी हार वाली नौबत नहीं आती.

मुखर्जी अपने निधन से पहले संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' को लिख चुके थे. रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जनवरी, 2021 से पाठकों के लिए उपलब्ध होने वाली थी. मुखर्जी का कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के करण गत 31 जुलाई को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था.

अभिजीत ने ‘रूपा प्रकाशन’ और इसके प्रबंध निदेशक कपिश मेहरा को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘‘संस्मरण के लेखक के पुत्र होने के कारण मैं आप लोगों से आग्रह करता हूं कि इस पुस्तक और मेरी सहमति के बिना मीडिया के कुछ हिस्सों में आए पुस्तक के प्रेरित अंशों का प्रकाशन बंद करिए.’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता इस दुनिया में नहीं हैं. ऐसे में उनका पुत्र होने के कारण मैं पुस्तक की सामग्री का अध्ययन करना चाहता हूं क्योंकि मेरा मानना है कि अगर मेरे पिता जीवित होते तो वह भी ऐसा ही करते.’’

पूर्व कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ऐसे में मैं आप लोगों से आग्रह करता हूं कि जब तक मैं इसका अध्ययन नहीं कर लेता, तब तक आप लोग मेरी लिखित सहमति के बिना इस पुस्तक का प्रकाशन तत्काल रोकिए. मैं इस बारे में आप लोगों को पहले विस्तृत पत्र भेज चुका हूं.’’

अभिजीत के इस ट्वीट पर मेहरा और उनके प्रकाशन की तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है.
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