Advertisement

जोधपुर से कराची जाती थी ट्रेन, अपनों से मिलते थे सीमा पार, टूट गया रोटी-बेटी का रिश्ता

Last Updated:

Barmer News: राजस्थान के थार में धोरो के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन 5 साल पहले रोक दिया गया. जिसके चलते राजस्थान में निवास कर रहे करीब एक लाख पाक-विस्थापित परिवारों का पाक में छूटे परिजनों से मिलना ख्वाब सा रह गया है.

जोधपुर से कराची जाती थी ट्रेन, अपनों से मिलते थे सीमा पार, टूट गया नाताथार एक्सप्रेस ट्रेन के दोबारा संचालन की मांग की जा रही.
बाड़मेरः राजस्थान का बाड़मेर जिला भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है. दुश्मन देशों के बीच कड़वाहट के बाद कई लोगों के रिश्तेदार उधर से इधर आना जाना नहीं कर पा रहे. जिनके बीच कभी रोटी-बेटी का नाता रहा. बहनों का भाईयों को राखी बांधने जाना हो या नई नवेली दुल्हनों का आना जाना, सबकुछ एक ट्रेन के बंद होने से ठप्प हो गया. तकरीबन एक लाख लोग थार एक्सप्रेस का संचालन बंद होने की वजह से परेशान हैं. अब बॉर्डर पार जाने वाले रास्ते का सफर बहुत मंहगा हो गया है. लोग दोबारा ट्रेन चलाने की मांग कर रहे हैं. पढ़ें यह खास रिपोर्ट…

राजस्थान के थार में धोरो के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन 5 साल पहले रोक दिया गया. जिसके चलते राजस्थान में निवास कर रहे करीब एक लाख पाक-विस्थापित परिवारों का पाक में छूटे परिजनों से मिलना ख्वाब सा रह गया है. दरअसल, थार एक्सप्रेस अंतर्राष्ट्रीय रेल सेवा जो पाकिस्तान के कराची को भारत के जोधपुर शहर से जोड़ती है. यह ट्रेन पाकिस्तान के अंतिम रेलवे स्टेशन खोखरापार और भारत के मुनाबाव के बीच जिनके बीच मात्र 6 किलोमीटर की दूरी है को पार कर दोनों देशों के बीच संगम के रूप में चलती थी.

राजस्थान के पश्चिमी इलाके यानी बाड़मेर और जैसलमेर के साथ सीमावर्ती इलाके के वाशिंदो का पाकिस्तान के साथ रोटी- बेटी का नाता है. बंटवारे से पहले अकाल की स्थिति तक में यहां के लोग मजदूरी के लिए पलायन कर पाकिस्तान जाते थे. वहीं, पाकिस्तान के ज्यादातर हिन्दू बेटियों की शादी की लिए हिन्दुस्तान आते थे, लेकिन ये सिलसिला बंटवारे के बाद भी जारी रहा. साल 2006 में थार एक्सप्रेस शुरू हुई 6 माह ट्रेन भारत की ओर से जाती थी तो वहीं अगले 6 महीने पाक ट्रेन भेजता था.
यह ट्रेन चलती थी तो कई भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहन पहुंचती थी. कई बेटियां दुल्हन बनकर भारत में आती थीं. तो कुछ पाक भी जाती थीं, लेकिन थार एक्सप्रेस बंद होने से इन सब के मिलने का अब एक मात्र रास्ता अटारी बाघा बार्डर रह गया है. 2019 के बाद थार एक्सप्रेस रेल सेवा बंद है. इस कारण भारत में बसे पाक विस्थापितों के साथ-साथ दोनो देशों में निवास कर रहे रिश्तेदार को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
रिश्तेदारों से मिलने का अब एकमात्र विकल्प अटारी बाघा ही है, लेकिन अब पश्चिमी राजस्थान और पाकिस्तान के सिंध के निवासियों को करीब 2800 किलोमीटर का सफर तय कर बाघा बार्डर से आना जाना काफी महंगा पड़ रहा है. बाघा बार्डर से होकर जाना वाला रास्ता आमजन के लिए कठिन और कई गुना महंगा पड़ता है. हवाई यात्रा का खर्च लाखों रुपए का होता है. जो कि आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर है. थार एक्सप्रेस जब चलती थी तो महज कुछ ही किराया लगता था. जिसको आम आदमी भी वहन करने की स्थिति में था, लेकिन अब इतनी लंबी दूरी का सफर भी आसान नहीं है.
पाक विस्थापित लोगों कि थार एक्सप्रेस को एकबार फिर शुरू करने की मांग है. उन लोगों का कहना है कि जितने हमारे हिंदुस्तान मे रिश्तेदार हैं उससे कई गुना ज्यादा रिस्तेदार पाकिस्तान की सिंध क्षेत्र मे रहते हैं, लेकिन उनसे मिलने की चाह थार एक्सप्रेस बंद के चलते बंद सी हो गई है. इतना ही नहीं शादी ब्याह में परिवार के लोग ही नहीं पहुंच पाते तो बहुत दुख खराब लगता है. अपने परिवार की कमी सरहद के कारण खलती रहती है. यदि थार एक्सप्रेस शुरू होती तो स्थानीय लोगों को बड़ी सौगात मिलती और अपने परिवार से मिल सकते थे. रिश्ते मजबूत होते थे. उनका कहना है कि पाकिस्तान में रह रहे परिवार के लोगों के बीच महज कुछ ही किलोमीटर की ही दूरी है, लेकिन उनसे मिले हुए कई साल हो गए. हम पास होकर भी बहुत दूर हैं. यदि थार एक्सप्रेस शुरू होती है तो पाक विस्थापित लोगों के लिए इससे बड़ी खुशी कुछ नहीं होंगी.

About the Author

Mahesh Amrawanshi
माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर किया. वर्तमान में न्‍यूज़18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. राजनीति, क्राइम से जुड़ी खबरें लिखने में रूचि.
माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर किया. वर्तमान में न्‍यूज़18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. राजनीति, क्राइम से जुड़ी खबरें लिखने में रूचि.
homerajasthan
जोधपुर से कराची जाती थी ट्रेन, अपनों से मिलते थे सीमा पार, टूट गया नाता
और पढ़ें