बेजुबानों की आवाज बना बाड़मेर का ये शख्स, जीवों के लिए कर दिया ऐसा काम, कई पुस्तों को मिलेगा पुण्य!
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भीषण गर्मी में पीने के पानी को लेकर आमजन के साथ-साथ वन्यजीवों का भी बुरा हाल है. ऐसे में ग्रीनमैंन नरपतसिंह ने 1 लाख लीटर क्षमता का जनसहयोग से जलकुंड का निर्माण करवाया है.
बाड़मेर:- कहते हैं कि कुछ करने का जुनून हो, तो इंसान कुछ भी कर गुजरता है और यह बात भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के ग्रीनमैन नरपत सिंह राजपुरोहित पर हूबहू लागू होती है. बरसों से वन्यजीवों के संरक्षण और संवर्द्धन में लगे नरपत सिंह ने इस तपन में वन्यजीवों को शीतल जल मिले, इसके लिए 1 लाख लीटर की क्षमता वाले कुंड का निर्माण करवाया है.
भीषण गर्मी में पीने के पानी को लेकर आमजन के साथ-साथ वन्यजीवों का भी बुरा हाल है. ऐसे में ग्रीनमैंन नरपतसिंह ने 1 लाख लीटर क्षमता का जनसहयोग से जलकुंड का निर्माण करवाया है. लाखों की लागत से बने इस कुंड से हजारों की तादात में वन्यजीवों को हलक तर करने वाला पानी मिल रहा है. समय-समय पर वन्यजीवों के लिए भामाशाहों की मदद से मीठा पानी डलवाया जा रहा है.
1 लाख लीटर का जलकुंड
वन्यजीवों को झुलसाने वाली गर्मी में राहत पहुंचाने, पर्यावरण संरक्षण व वन्यजीवों की सेवा के क्षेत्र में एक अनुकरणीय पहल करते हुए ग्रीन डेजर्ट संस्थान के माध्यम से ग्रीनमैन नरपतसिंह ने लंगेरा गांव के कोजाणियों की ढाणी के पास 1 लाख लीटर क्षमता का जल कुंड बनाया है. इस जलकुंड से रेगिस्तान में रहने वाले 500 मोर, सैकड़ों बाज, सेंडग्राउस, गौरेया, डेजर्ट गौरेया सहित कई अन्य पक्षियों की प्रजातियां अपनी प्यास बुझा रही हैं.
वन्यजीवों को झुलसाने वाली गर्मी में राहत पहुंचाने, पर्यावरण संरक्षण व वन्यजीवों की सेवा के क्षेत्र में एक अनुकरणीय पहल करते हुए ग्रीन डेजर्ट संस्थान के माध्यम से ग्रीनमैन नरपतसिंह ने लंगेरा गांव के कोजाणियों की ढाणी के पास 1 लाख लीटर क्षमता का जल कुंड बनाया है. इस जलकुंड से रेगिस्तान में रहने वाले 500 मोर, सैकड़ों बाज, सेंडग्राउस, गौरेया, डेजर्ट गौरेया सहित कई अन्य पक्षियों की प्रजातियां अपनी प्यास बुझा रही हैं.
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आसपास के जीव बुझा रहे प्यास
इसके अलावा लगभग 300 हरिण, सैकड़ों खरगोश, जंगली बिल्ली, गोह, नेवला, झाऊचूहा जैसे छोटे-बड़े भी इसी जलकुंड पर आकर जीव अपनी प्यास बुझा रहे हैं. आस-पास के गांवों की भी सैकड़ों गायें और ऊंट भी कुंड पर नियमित रूप से पानी पीने आते हैं. नरपतसिंह लंगेरा ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि यह पहल आमजन की सहभागिता से संभव हुई है और इसका उद्देश्य जल-संरक्षण व जैव विविधता का संरक्षण करना है. ग्रीन डेजर्ट संस्थान के माध्यम से अभी तक 300 से अधिक जल कुंड बनवा चुके हैं.
इसके अलावा लगभग 300 हरिण, सैकड़ों खरगोश, जंगली बिल्ली, गोह, नेवला, झाऊचूहा जैसे छोटे-बड़े भी इसी जलकुंड पर आकर जीव अपनी प्यास बुझा रहे हैं. आस-पास के गांवों की भी सैकड़ों गायें और ऊंट भी कुंड पर नियमित रूप से पानी पीने आते हैं. नरपतसिंह लंगेरा ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि यह पहल आमजन की सहभागिता से संभव हुई है और इसका उद्देश्य जल-संरक्षण व जैव विविधता का संरक्षण करना है. ग्रीन डेजर्ट संस्थान के माध्यम से अभी तक 300 से अधिक जल कुंड बनवा चुके हैं.
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