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रंग लाई पिता की मेहनत! 4 बजे उठकर बेटी को रनिंग के लिए ले जाते साथ में दौड़ते...बेटी का दिल्ली पुलिस में चयन

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Success Story : कहते हैं कि अगर मुश्किलें चौतरफा घिर जाए तो मेहनत वह खिड़की होती हैं जिससे सफ़लता की मंजिल को पाया जा सकता हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर के एक मजदूर पिता ने.

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मनमोहन सेजू/बाड़मेर. कहते है कि अगर मुश्किलें चारों तरफ से आ जाएं तो मेहनत वह खिड़की होती हैं जिससे सफलता की मंजिल को पाया जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर के एक मजदूर पिता ने.

घर की माली हालत अच्छी नही होने के चलते मजदूर पिता अपनी बेटी को कभी फिजिकल ट्रेनिंग के लिए किसी इंस्टीट्यूट भेज नही पाया और भरी सर्दी में सुबह 4 बजे सड़क पर 2 किलोमीटर की दौड़ करवाते और यह सिलसिला तब तक जारी रखा जब तक बेटी ने सफ़लता का परचम नही फहरा दिया. हम बात कर रहे है बाड़मेर के रामसर का कुआं के मजदूर राउराम चौधरी की.
राउराम चौधरी की बेटी अणसी का हाल ही में दिल्ली पुलिस में चयन हुआ है. अपने घर मे खुशियों का आलम देख कर मजदूर पिता की आंखों मे आंसू तर आए है. राउराम बताते है कि घर की माली हालत देखते हुए अणसी की शुरुआती शिक्षा सरकारी विद्यालय से ही करवाई. इसके बाद बाड़मेर के सबसे बड़े पीजी महाविद्यालय में दाखिला दिलवाया.

बेटी का दिल्ली पुलिस में हुआ चयन
महंगी इंस्टीट्यूट में फिजिकल ट्रैनिंग के लिए नही भेजकर राउराम ने अपने गांव में ही बेटी की दौड़ करवाई. हाइवे होने के कारण सुबह 4 बजे बेटी के साथ दौड़ के लिए निकल पड़ते थे. सड़क किनारे लगे दूरी के बोर्ड से वह अपनी बेटी को ट्रैनिंग करवाते थे. यह सिलसिला तब तक नही रुका जब तक बेटी ने सफलता का परचम नही लहरा दिया हो. आखिरकार अणसी का दिल्ली पुलिस में चयन होने के बाद खुशी से पिता की आंखे छलक गई है.

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Avnish mishra
पत्रकारिता में पांच साल का अनुभव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, राजनीति और स्वास्थ्य की खबरों में विशेष रुचि।
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