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कौन थे महाराज गंगा सिंह जिन्हें राजस्थान का भगीरथ का दर्जा मिला, छप्पनिया अकाल के बाद गंग नहर बनवाई

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राजस्थान की रेतीली धरा को हरा-भरा करने के लिए बीकानेर रियासत के एक राजा का नाम सदियों तक लोग इतिहास में याद रखेंगे. सिर्फ 8 साल की आयु में गद्दी संभालते ही उनके रियासत पर अकाल की मार पड़ गई. लोगों को भूख से तड़पते और मरते देख राजा ने एक संकल्प लिया और अपने लोगों के लिए पंजाब से ही पानी लेकर आ गए. आइये जानते हैं कौन हैं महाराज गंगा सिंह....

कौन थे महाराज गंगा सिंह जिन्हें राजस्थान मे भगीरथ का दर्जा मिलामहाराज गंगा सिंह को गंग नहर बनवाने का श्रेय है.
बीकानेर. आजादी से पहले भारत में कई भयानक अकाल पड़े हैं जिसमें लाखों लोग काल के गाल में समा गए. इसमें छप्पनिया अकाल (1899-1900) भी बेहद भयावह है. इस अकाल से उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य प्रभावित हुए, लेकिन बीकानेर रियासत में यह कहर बनकर टूटा था. उस समय बीकानेर रियासत के राजा गंगासिंह सिर्फ 19 साल के थे. महाराज लाल सिंह के बेटे गंगा सिंह इसके बाद अपने रियासत की तस्वीर बदलने के लिए सतलुज नदी से पानी लाने के लिए प्रयास शुरू किए. महाराज गंगा सिंह के भगीरथ प्रयास से गंग नगर का निर्माण हुआ. बीकानेर दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कि आजरेगिस्तान को हरा भरा बनाने के लिए महाराजा गंगा सिंह जी को याद किया.

कौन थे महाराज गंगा सिंह
महाराज गंगा सिंह को बीकानेर रियासत में पितामह का दर्जा प्राप्त है. गंगा सिंह के पिता महाराजा लाल सिंह इस रियासत के 20वें महाराजा थे. उनका शासनकाल 1851 से 1887 तक शासन रहा. 13 अक्टूबर 1880 को महाराज सिंह के यहां गंगा सिंह का जन्म हुआ. जब महाराजा लाल सिंह की मृत्यु हुई, तो गंगा सिंह सिर्फ मात्र 8 साल के थे. इसी छोटी सी उम्र में गंगा सिंह ने 1888 ने बीकानेर रियासत की गद्दी संभाली.
गद्दी संभालते ही पड़ा अकाल
1899-1900 में पड़े अकाल से बीकानेर रियासत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. भारी सूखा, फसलों की बर्बादी और भुखमरी ने इस दौरान व्यापक तबाही मचाई. राजस्थानी कैलेंडर के अनुसार संवत 1956 (छप्पन) से मिलता है. उसी दौरान महाराज गंगा सिंह ने बीकानेर में पानी लाने का प्रण किया और लंबे समय के लिए योजनाएं बनानी शुरू कर दी.

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद बढ़ा कद
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के समय तक महाराजा गंगा सिंह एक प्रभावशाली राजनेता भी बन गए थे. प्रथम विश्व युद्ध में बीकानेर की गंगा रिसाला (ऊंट सवार सेना) ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. गंगा सिंह ने 1919 के पेरिस शांति सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. वो चैंबर ऑफ प्रिंसेस के संस्थापक सदस्य भी थे.
1927 में शुरू हुआ गंग नगर का निर्माण
महाराज गंगा सिंह के प्रयासों के बाद 1927 में बीकानेर के शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा शुरू हो गई. इस नहर ने रेगिस्तान को हरे-भरे खेतों में बदल दिया. सिर्फ बीकानेर ही नहीं बल्कि इससे राजस्थान के कई रियासतों की प्रज्ञा को फायदा पहुंचा.

गंग नहर ने कैसे बदला जनजीवन
गंग नहर की कुल लंबाई लगभग 445 किलोमीटर है. यह नहर पंजाब के फिरोजपुर जिले में सतलुज नदी के हुसैनीवाला हेडवर्क्स से शुरू होती है. राजस्थान के बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों तक फैली हुई है. इसका मुख्य हिस्सा बीकानेर रियासत में सिंचाई के लिए बना जिससे क्षेत्र में हरित क्रांति हुई. इस नहर के आने के बाद कई सूखे क्षेत्र अब उपजाऊ बन गए. इससे स्थानीय आबादी की जिंदगी भी बदली. यह नहर आज भी राजस्थान के उत्तरी हिस्सों में सिंचाई का प्रमुख स्रोत है.
शिक्षा के क्षेत्र में भी किए क्रांतिकारी सुधार
महाराज गंगा सिंह ने शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासन में कई सुधार किए. उन्होंने बीकानेर में डूंगर कॉलेज की स्थापना की, जो आज भी एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है. साथ ही उन्होंने अस्पताल, रेलवे और सड़क नेटवर्क का विस्तार किया. उनकी मृत्यु 63 साल की आयु में 2 फरवरी 1843 को हुई.

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निखिल वर्मा
एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे...और पढ़ें
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