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राजस्थान में इस विभाग को संभालने वाला मंत्री नहीं जीत पाता अगला चुनाव, साल 1993 से चल रहा हार का सिलसिला

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव से जुड़े कुछ मिथक हैं, उन्हीं में से एक मिथक ये भी है कि जो भी परिवहन मंत्री बनता है वह अपना अगला विधानसभा चुनाव हार जाता है. पिछले 6 चुनावों के आंकड़े यही बताते हैं कि जिसे परिवहन विभाग को जिम्मा सौंपा गया उसे अगले चुनाव में हार मिली है. अब सवाल है कि क्या इस चुनाव में ये मिथक बदलेगा.

राजस्थान में इस विभाग को संभालने वाला मंत्री नहीं जीत पाता अगला चुनाव..Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से जुड़े कई मिथक हैं. (फोटो PTI, ANI)
जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे रविवार को आने वाले हैं. इससे पहले लंबे समय से चले आ रहे सियासी मिथकों की चर्चाओं से बाजार गर्म है. इन्हीं में से एक मिथक ये भी है कि प्रदेश में एक खास विभाग को संभालने वाला मंत्री कभी चुनाव नहीं जीत सकता. ऐसा बीते तीन दशकों से होता आ रहा है. यानी 6 चुनाव हो चुके, लेकिन उस विभाग को संभालने वाला हर मंत्री अपना अगला विधानसभा चुनाव हार जाता है.

राजस्थान में बीते 6 चुनावों के आंकड़ों के अनुसार सरकार में परिवहन विभाग का पदभार संभालने वाले मंत्री अपना अगला विधानसभा चुनाव नहीं जीत सका. हालांकि इस बार सवाल उठ रहा है कि क्या ये मिथक बदल सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि गहलोत सरकार के कार्यकाल में पहले परिवहन मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास उनके बाद बृजेंद्र सिंह ओला परिवहन मंत्री बने. इस बार दोनों नेता चुनावी समर में हैं. इसी वजह से सवाल उठ रहा कि क्या ये मिथक टूट पाएगा.
1993 में हुई हार की शुरुआत
राजस्थान में साल 1990 में भैरोसिंह शेखावत की सरकार में डॉ. चंद्रभान और जगमाल यादव परिवहन मंत्री रहे, लेकिन साल 1993 के विधानसभा चुनाव में दोनों हार गए. फिर 1993 में भैरोसिंह शेखावत की सरकार बनी. इसमें रोहिताश कुमार ने परिवहन विभाग का पदभार संभाला, लेकिन साल 1998 का चुनाव वो भी हार गए. फिर साल 1998 में राजस्थान में पहली बार गहलोत सरकार बनी. इसमें छोगाराम बाकोलिया, बनवारी लाल बैरवा और केसी विश्नोई तीन अलग-अलग परिवहन मंत्री बने, लेकिन साल 2003 में हुआ विधानसभा चुनाव हार गए.
जिस मंत्री ने संभाला परिवहन विभाग अगले चुनाव में हारा
राजस्थान में साल 2003 में सरकार बदली और वसुंधरा राजे सरकार में यूनुस खान को परिवहन मंत्री बनाया गया. वो भी साल 2008 का चुनाव हार गए. इसके बाद 2008 में गहलोत सरकार बनी. जिसमें ब्रजकिशोर शर्मा और वीरेंद्र बेनीवाल को परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन साल 2013 में दोनों को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल 2013 में वसुंधरा सरकार में यूनुस खान और बाबूलाल वर्मा को परिवहन मंत्री बनाया गया, लेकिन वे दोनों 2018 का चुनाव हार गए.
क्या इस बार टूटेगा मिथक
राजस्थान में वर्तमान में अशोक गहलोत की सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके प्रताप सिंह खाचरियावास सिविल लाइंस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. तो वहीं वर्तमान परिवहन मंत्री बृजेद्र ओला झुंझुनूं से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार सवाल है कि क्या ये दोनों जीत हासिल कर इस मिथक को तोड़ पाएंगे.

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Mahesh Amrawanshi
Works as a journalist In News 18 hindi
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