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झुंझुनूं के खुडानिया में तैयार हो रही है शहीदों की बटालियन, बाजोर ने उठाया बीड़ा

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अभी इस बटालियन में करीब पचास जवान और अधिकारी शामिल हो चुके हैं. यह आंकड़ा पहले चरण में एक सौ से पार तथा बाद में कुल 1100 तक पहुंचने वाला है.

झुंझुनूं के खुडानिया में तैयार हो रही है शहीदों की बटालियन, बाजोर ने उठाया बीड़ाशहीदों की तैयार हुईं मूर्तियां (Photo: NEWS18)
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के खुडानिया गांव में पिछले पांच माह से मूर्तिकार वीरेंद्र सिंह शेखावत शहीदों की पूरी बटालियन तैयार करने में जुटे हैं. खास बात ये है कि इस बटालियन में सेना की विभिन्न यूनिट और बटालियनों के जवान एक साथ मौजूद हैं. इस बटालियन की पृष्ठभूमि में तिरंगा लहरा रहा है. अभी इस बटालियन में करीब पचास जवान और अधिकारी शामिल हो चुके हैं. यह आंकड़ा पहले चरण में एक सौ से पार था. बाद में कुल 1100 तक पहुंचने वाला है.

चौंकिए मत...ये न तो कोई कहानी है और न ही कोई रंगमंच है, जहां इतने सारे जांबाज एक साथ अलग-अलग ड्रेस में मौजूद हैं. ये उन शहीदों की प्रतिमाएं हैं, जिन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए न्यौछावर कर दिया. प्रदेश के सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजोर इन प्रतिमाओं को अपने खर्चे पर बनवा रहे हैं. ये प्रतिमाएं इन शहीदों के गांवों में लगाई जा रही हैं.

बाजोर ने प्रदेश के करीब 1100 शहीदों की प्रतिमाएं बनवाने का बीड़ा उठाया है. इस पर 25 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. इसके बाद राजस्थान देश का ऐसा अकेला राज्य बन जाएगा, जहां के तमाम शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित होंगी. इस काम को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है.
धनूरी से शुरू की थी शहीद सम्मान यात्रा
बाजौर ने गत वर्ष 1 अप्रैल को धनूरी गांव से शहीद सम्मान यात्रा शुरू की थी. धनूरी से सर्वाधिक शहीद हैं. इस दौरान बाजौर ने देखा कि कारगिल युद्ध के बाद के अधिकांश शहीदों की प्रतिमाएं लग चुकी हैं, लेकिन 1999 से पहले के करीब 1100 शहीदों की प्रतिमाएं नहीं हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पहले तो शहीदों की केवल ड्रेस आती थी. इस पर बाजौर ने तय किया कि वे ऐसे सभी शहीदों की प्रतिमाएं अपने खर्चे से बनवाएंगे.


बाजोर ने कहा हर शहीद की प्रतिमा लगाऊंगा
इसके बाद से बाजौर ने खुडानिया निवासी वीरेंद्र सिंह शेखावत को शहीदों की प्रतिमाएं बनाने का काम सौंपा.
प्रदेश के सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजोर ने बताया कि शहीद सम्मान यात्रा के दौरान शहीदों के घरों तक पहुंचा तो कई जगह शहीदों की बूढ़ी मांओं ने कहा, 'म्हारै बेटे री मूरती तो लगवा दो बाजौर साब!'. बस उसी दिन फैसला कर लिया कि हर शहीद की प्रतिमा लगवाऊंगा.
बाजौर के इस फैसले के बाद 40 से 50 साल पहले शहीद हुए जवानों की मूर्तियां भी लग रही हैं. इससे उनके परिजन खुश हैं.

प्रदेश में शहादत की तस्वीर
1650 शहीद हैं प्रदेश के कुल.
452 शहीद हैं झुंझुनूं जिले के.
1153 शहीदों की प्रतिमाएं लगनी हैं.
14 माह में 29 जिलों में पहुंची शहीद सम्मान यात्रा.
01 लाख किलोमीटर का सफर कर चुके हैं बाजोर.
1365 शहीदों के घर जा चुके हैं.
डेढ़ लाख लाख रुपए खर्च आ रहा एक प्रतिमा पर.
50 प्रतिमाएं बन चुकी हैं.
पांच माह में अब तक 135 शहीदों के चित्र ही मिल पाएं हैं.

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