Karauli: 16 खंभों पर टिका है 500 साल पुराना वेद व्यास जी का ये मंदिर, बनावट ऐसी कि नहीं घुस पाती एक भी चींटी
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Agency:News18 Rajasthan
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वेदव्यास जी के इस प्राचीन मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें 7 और 8 इंच के मोटे पत्थर बिना चूने बजरी के उपयोग किए बिना लगे हुए हैं. इस विशाल मंदिर का निर्माण आज से करीब 500 वर्ष पहले किया गया था.
मोहित शर्मा/करौली. वेदों को सरल भाषा में लिखने वाले वेदव्यास जी का प्राचीन मंदिर करौली से 30 किलोमीटर की दूरी पर बसे भांकरी गांव में है. इसका निर्माण आज से 500 वर्ष पहले यहां के व्यास परिवारों द्वारा कराया गया था. वेदव्यास जी का यह प्राचीन मंदिर भांकरी गांव के बीचों बीच बसा हुआ है. जिसे स्थानीय लोग बड़े मंदिर के नाम से पुकारते हैं. महर्षि वेदव्यास ने वेदों को सरल भाषा में लिखा था जिससे सामान्य लोग भी वेदों का अध्ययन कर सकें. उन्होंने 18 पुराणों की रचना की थी. कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त प्रतिदिन वेदों का उच्चारण करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
स्थानीय निवासी जनार्दन उपाध्याय ने बताया कि इस मंदिर को स्थापित हुए 500 वर्ष हो चुके हैं. गांव के व्यासों ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण कराया था. वेदव्यास जी वह व्यास जी हैं जिन्होंने श्रीमद् भागवत और महाभारत जैसे ग्रंथों की रचना की थी. यह उन्हीं वेदव्यास जी का राजस्थान का एकमात्र मंदिर है. यहां पर जयपुर, दिल्ली, अलवर सहित कई क्षेत्रों से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर में वेदव्यास जी की अष्ट धातु से बनी 3 फुट की मूर्ति विराजमान है. साथ ही मंदिर में संकट मोचन हनुमान की चमत्कारी प्रतिमा भी विराजमान है.
यह है मंदिर की मान्यता
मंदिर के पुजारी राधेश्याम शर्मा ने बताया कि वेदव्यास जी के इस प्राचीन मंदिर में दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर में वेदों का उच्चारण करने मात्र से ही भक्तों के सारे संकट कट जाते हैं. छोटे बच्चों को लगने वाली नजर यहां पर झाड़ा देने मात्र से उतर जाती है. स्थानीय लोगों का ऐसा कहना है कि पीलिया रोग होने पर जो भी इस मंदिर में 3 दिन लगातार सुबह शाम दर्शन कर करता है उसके कष्ट दूर हो जाते हैं. वेदव्यास जी के दर्शन करने मात्र से ही पीलिया जैसा रोग दूर हो जाता है.
मंदिर के पुजारी राधेश्याम शर्मा ने बताया कि वेदव्यास जी के इस प्राचीन मंदिर में दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर में वेदों का उच्चारण करने मात्र से ही भक्तों के सारे संकट कट जाते हैं. छोटे बच्चों को लगने वाली नजर यहां पर झाड़ा देने मात्र से उतर जाती है. स्थानीय लोगों का ऐसा कहना है कि पीलिया रोग होने पर जो भी इस मंदिर में 3 दिन लगातार सुबह शाम दर्शन कर करता है उसके कष्ट दूर हो जाते हैं. वेदव्यास जी के दर्शन करने मात्र से ही पीलिया जैसा रोग दूर हो जाता है.
पूर्णिमा के दिन होती है विशेष पूजा
मंदिर के पुजारी राधेश्याम शर्मा का कहना है कि हर त्यौहार के अलावा पूर्णिमा के दिन मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. वेद व्यास जी को खीर पुरी, हलवा, लडडू और पंचमेवों का विशेष भोग लगाया जाता है. प्रतिदिन मंदिर में झालर बजाकर वेदव्यास जी की सुबह-शाम पूजा अर्चना की जाती है.
मंदिर के पुजारी राधेश्याम शर्मा का कहना है कि हर त्यौहार के अलावा पूर्णिमा के दिन मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. वेद व्यास जी को खीर पुरी, हलवा, लडडू और पंचमेवों का विशेष भोग लगाया जाता है. प्रतिदिन मंदिर में झालर बजाकर वेदव्यास जी की सुबह-शाम पूजा अर्चना की जाती है.
16 मजबूत खंभों से बना हुआ है यह मंदिर
मंदिर में दर्शन करने आए कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि वेदव्यास जी का यह मंदिर 16 मजबूत खंभों पर खड़ा हुआ है. लाल पत्थर के मजबूत जुड़ाई से बनने के कारण इस मंदिर में एक चींटी मात्र तक नहीं घुस पाती है. वेदव्यास जी के इस प्राचीन मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें 7 इंची और 8 इंची के मोटे पत्थर बिना चूने बजरी के उपयोग किए बिना लगे हुए हैं. इस विशाल मंदिर का निर्माण आज से करीब 500 वर्ष पहले बिना चूने बजरी से हुआ था. आज भी यह मंदिर पूरी मजबूती के साथ खड़ा हुआ है. लेकिन वेदव्यास जी का यह इकलौता मंदिर आज भी अपनी अनेक विशेषताओं कों आज भी दर्शाते हुए देखभाल के अभाव में बदहाली का शिकार होता जा रहा है.
मंदिर में दर्शन करने आए कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि वेदव्यास जी का यह मंदिर 16 मजबूत खंभों पर खड़ा हुआ है. लाल पत्थर के मजबूत जुड़ाई से बनने के कारण इस मंदिर में एक चींटी मात्र तक नहीं घुस पाती है. वेदव्यास जी के इस प्राचीन मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें 7 इंची और 8 इंची के मोटे पत्थर बिना चूने बजरी के उपयोग किए बिना लगे हुए हैं. इस विशाल मंदिर का निर्माण आज से करीब 500 वर्ष पहले बिना चूने बजरी से हुआ था. आज भी यह मंदिर पूरी मजबूती के साथ खड़ा हुआ है. लेकिन वेदव्यास जी का यह इकलौता मंदिर आज भी अपनी अनेक विशेषताओं कों आज भी दर्शाते हुए देखभाल के अभाव में बदहाली का शिकार होता जा रहा है.
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Manish Kumar
मनीष कुमार पिछले 15 सालों से न्यूज की दुनिया में सक्रिय हैं. रेडियो, टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले 5 साल से News18Hindi में कार्यरत हैं. खेल से राजनीति और फिर ब...और पढ़ें
मनीष कुमार पिछले 15 सालों से न्यूज की दुनिया में सक्रिय हैं. रेडियो, टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले 5 साल से News18Hindi में कार्यरत हैं. खेल से राजनीति और फिर ब... और पढ़ें
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