असम में बीफ की बिक्री पर रोक... अलीगढ़ के मुस्लिमों ने साधा BJP पर निशाना! कह दी ये बड़ी बात
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Assam Beef Ban : असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने पूरे राज्य में गोमांस की बिक्री पर बैन लगा दिया है. असम के होटलों, रेस्टोरेंट और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस नहीं मिलेगा . अलीगढ़ के मुस्लिमों ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साधा है और तीखी प्रतिक्रिया दी है.
अलीगढ़. असम सरकार ने पूरे राज्य में गोमांस की बिक्री पर बैन लगा दिया है. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी दी. असम के होटलों, रेस्टोरेंट और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और चंडीगढ़ (केंद्रशासित प्रदेश)में गोमांस की खरीद और बिक्री पर पहले ही बैन लगा हुआ था. अब असम भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है. गोहत्या पर भारत में कोई केंद्रीय कानून नहीं है. अलग-अलग राज्य . गोहत्या पर नियम तय करते हैं. छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां गो वंश के साथ-साथ भैंस के मांस पर भी बैन है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के थियोलॉजी विभाग के पूर्व चेयरमैन मुफ्ती जाहिद अली खान ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की बिक्री की इजाजत नहीं है लेकिन गाय काटने की इजाजत है. पूरी दुनिया में गोश्त की सप्लाई करके चैंपियन बनने की भी इजाजत है. सभरवाल जैन बंधु दुनिया के सबसे बड़े गोमांस एक्सपोर्टर हैं. गोमांस की बिक्री से वो करोड़ों रुपए कमा रहे हैं. हमारे देश के अंदर गाय को अगर पूजा जाता है तो सार्वजनिक स्थानों पर जो गाय काटने पर पाबंदी लगानी चाहिए.
पूरे देश में लागू हो प्रतिबंध
मुफ़्ती ज़ाहिद ने कहा कि बहादुर शाह जफर ने गोहत्या पर सख्त कानून बनाया था. बहादुर शाह जफर के फरमान का असर था कि अगस्त 1857 में बकरीद पर किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी गई थी. लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज झूठे कानून हैं और झूठी सजा है. उत्तर प्रदेश, असम और जहां पर भी भाजपा की सरकार है. संविधान की शपथ लेते हैं और जो काम जरूरी होता है वह नहीं करना चाहते. काफी तादात में लोग ऐसे हैं जिनको अनाज ही नहीं मिलता. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 127 देशों में से 105वें स्थान पर है जबकि 2023 की रिपोर्ट में यह 111वें स्थान पर था .केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर कानून बनाना चाहिए. पूरे देश में गाय को काटने पर पाबंदी क्यों नहीं लग रही है.
मुफ़्ती ज़ाहिद ने कहा कि बहादुर शाह जफर ने गोहत्या पर सख्त कानून बनाया था. बहादुर शाह जफर के फरमान का असर था कि अगस्त 1857 में बकरीद पर किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी गई थी. लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज झूठे कानून हैं और झूठी सजा है. उत्तर प्रदेश, असम और जहां पर भी भाजपा की सरकार है. संविधान की शपथ लेते हैं और जो काम जरूरी होता है वह नहीं करना चाहते. काफी तादात में लोग ऐसे हैं जिनको अनाज ही नहीं मिलता. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 127 देशों में से 105वें स्थान पर है जबकि 2023 की रिपोर्ट में यह 111वें स्थान पर था .केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर कानून बनाना चाहिए. पूरे देश में गाय को काटने पर पाबंदी क्यों नहीं लग रही है.
बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर
वहीं अलीगढ़ के इस्लामिक स्कॉलर मौलाना उमैर खान ने बताया कि भाजपा की कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है. उनको गाय से कोई मोहब्बत नहीं है. बीजेपी गाय के नाम पर सियासत कर रही है. मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है. अगर बीजेपी को गाय से मोहब्बत होती तो यह हर जगह पर गोहत्या पर पाबंदी लगाते. केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और लक्षद्वीप (केंद्रशासित प्रदेश) में गोमांस की खरीद और बिक्री जायज है. जहां गाय के नाम पर फायदा होता है वहां पर प्रतिबंध लगाते हैं और जहां बीफ खाने वालों के साथ सरकार बनाने में फायदा है वहां पर मिलकर यह सरकार बनाते हैं. मुस्लिम स्कॉलर ईफ्राहिम हुसैन ने कहा कि यह फैसला अच्छा है.जिस किसी काम से कोई विवाद खड़ा हो या समाज में तनाव पैदा हो नफरत हो उस पर सख्त कानून होने चाहिए.
वहीं अलीगढ़ के इस्लामिक स्कॉलर मौलाना उमैर खान ने बताया कि भाजपा की कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है. उनको गाय से कोई मोहब्बत नहीं है. बीजेपी गाय के नाम पर सियासत कर रही है. मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है. अगर बीजेपी को गाय से मोहब्बत होती तो यह हर जगह पर गोहत्या पर पाबंदी लगाते. केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और लक्षद्वीप (केंद्रशासित प्रदेश) में गोमांस की खरीद और बिक्री जायज है. जहां गाय के नाम पर फायदा होता है वहां पर प्रतिबंध लगाते हैं और जहां बीफ खाने वालों के साथ सरकार बनाने में फायदा है वहां पर मिलकर यह सरकार बनाते हैं. मुस्लिम स्कॉलर ईफ्राहिम हुसैन ने कहा कि यह फैसला अच्छा है.जिस किसी काम से कोई विवाद खड़ा हो या समाज में तनाव पैदा हो नफरत हो उस पर सख्त कानून होने चाहिए.
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