बागपत के स्कूल की हालत जर्जर, खतरे की बिल्डिंग में पढ़ने को मजबूर मासूम बच्चे, जानें क्या है मामला
Agency:News18 Uttar Pradesh
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बागपत स्कूल में पानी घुस जानें से वहां की छत, दिवारे, फर्स पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. ऐसे हालत में भी बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं. स्कूल की प्रिंसिपल ने शासन को रिपोर्ट भेजकर नई बिल्डिंग के निर्माण की मांग की है. फिलहाल बच्चों को पढ़ाई करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
आशीष त्यागी/बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में सुभानपुर यमुना खादर में यमुना नदी का तटबंध टूटने से जहां किसानों की हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गई, वहीं आबादी में पानी पहुंचने के बाद राजकीय हाई स्कूल की बिल्डिंग भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है. पानी स्कूल में कई फिट तक घुस गया था, जिसके चलते वहां की फर्स, दीवारें, दरवाजे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. बच्चों को मजबूरी में अन्य बिल्डिंग ना होने के चलते उसी क्षतिग्रस्त बिल्डिंग में पढ़ाई करनी पड़ रही है.
इस स्कूल का निर्माण 2011 में हुआ था. अभी यहां करीब 45 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. वहीं स्कूल की प्रिंसिपल सुनीता कुमारी ने बताया कि स्कूल आज के समय में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है. बच्चों को मजबूरन क्षतिग्रस्त बिल्डिंग में पढ़ाना पड़ता है. वह शासन को बिल्डिंग बनवाने के लिए लेटर लिख चुकी हैं. बागपत में भी अधिकारियों को क्षतिग्रस्त हो चुके स्कूल से अवगत करा दिया गया है.
जल्द मरम्मत कराने की मांग
प्रिंसिपल ने बच्चों की पढ़ाई के व्यवस्था के बारे में गांव के प्रधान से भी बात की है. उन्होंने अलग स्थान पर बच्चों की पढ़ाई के लिए जगह की व्यवस्था कराने की भी अपील की है. फिलहाल जर्जर बिल्डिंग में 45 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. देखने वाली बात यह होगी कि कब तक इन बच्चों को नई बिल्डिंग पढ़ाई के लिए मिल पाती है और कब तक ये बच्चे खतरे की बिल्डिंग के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर रहते हैं.
प्रिंसिपल ने बच्चों की पढ़ाई के व्यवस्था के बारे में गांव के प्रधान से भी बात की है. उन्होंने अलग स्थान पर बच्चों की पढ़ाई के लिए जगह की व्यवस्था कराने की भी अपील की है. फिलहाल जर्जर बिल्डिंग में 45 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. देखने वाली बात यह होगी कि कब तक इन बच्चों को नई बिल्डिंग पढ़ाई के लिए मिल पाती है और कब तक ये बच्चे खतरे की बिल्डिंग के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर रहते हैं.
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