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18 साल की मेहनत लाई रंग... अब यूपी के किसान इस फसल से होंगे मालामाल! शुगर के लिए भी है 'रामबाण'

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बलिया के मृदा विज्ञान व कृषि रसायन के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि 18 वर्षों से किसानों के हित में हम लोग शोध कर रहे हैं. इसी शोध के अंतर्गत एक छोटे अनाज सांवा पर बड़ी सफलता मिली है. इसकी खेती से किसान मालामाल हो सकती हैं.

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सनंदन उपाध्याय/बलिया: मृदा और कृषि विभाग की टीम के शोध लगातार किसानों के झोली में खुशियां भर रहे हैं. इस समय सरकार श्री अन्न को बढ़ावा दे रही है और पूरे देश में इसका उत्सव मनाया जा रहा है. इस बीच बलिया में भी मृदा और कृषि विभाग सरकार के इस महत्वपूर्ण कार्यों को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है. किसानों के हित में विभाग नये-नये शोध कर रहा है. वहीं, छोटा अनाज सांवा (स्मॉल मिलेट्स) को लेकर मृदा व कृषि विभाग की टीमों के हाथ बड़ी सफलता लगी है. इससे किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई है.

मृदा विज्ञान व कृषि रसायन के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि 18 वर्षों से किसानों के हित में हम लोग शोध कर रहे हैं. इसी शोध के अंतर्गत एक छोटे अनाज पर बड़ी सफलता मिली है. इस छोटे अनाज सांवा की खेती कर किसान मालामाल बन सकते हैं. इसमें न कोई खर्चा है, न कोई मेहनत और लाभ काफी ज्यादा है.

ये है इस छोटे अनाज का महत्व
देशभर में मिलेट्स यानी श्री अन्न को लेकर उत्सव मनाया जा रहा है, तो वहीं बलिया जिले में विशेषज्ञों की टीम ने ऐसा शोध किया है, जो कि किसानों के लिए नई उम्मीद है. छोटा अनाज सांवा स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाता है और इसकी खेती करना भी बड़ा आसान है. प्रो. अशोक कुमार सिंह के मुताबिक, जो जमीन किसी काम की नहीं है उस जमीन पर भी यह छोटा अनाज उगाया जा सकता है. केवल इसको बोना, देखरेख करना और काटना है. सिंचाई और उर्वरक की कोई समस्या नहीं है. खास बात यह है कि इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगती है. सावा की खीर भी बड़ी स्वादिष्ट होती है. इसका प्रयोग व्रत, उपवास और पूजा पाठ में भी किया जाता है. साथ ही बताया कि यह अनाज अपने आप में कई औषधीय और आयुर्वेदिक गुणों से भी भरपूर है. यह शुगर रोगियों के लिए रामबाण है, तो हृदय रोगों से पीड़ितों के लिए भी आदर्श आहार सरीखा है. जबकि इसमें आयरन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है.
ऐसे करें इस गुणकारी छोटे अनाज की खेती
प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि हम लोग मिट्टी, प्रदूषण, कृषि और जल में 18 वर्षों से शोध कर रहे हैं. जो अब किसानों के हित में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त हो रही है. हम लोगों का उद्देश्य ही बीएससी एग्रीकल्चर, एमएससी एग्रीकल्चर और पीएचडी एग्रीकल्चर में शोध करने के साथ-साथ किसानों का मदद करना है. सांवा की खेती करना बड़ा ही आसान है. यह खेती 200 से 400 मिली मीटर के अनुपात में वार्षिक वर्षा के समय भी की जा सकती है. जिस समय अन्य फसलों को उगाना संभव नहीं होता है. यह फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाता है. साथ ही बताया कि जिस प्रकार से धान से चावल बनाया जाता है, उसी प्रकार से सांवा का भी चावल बनाया जाता है. यह चावल से बेहतर होता है. चार बीघा खेत में 2 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है. तीन से चार हजार रुपये में 8 से 10 क्विंटल सांवा उत्पन्न किया जा सकता है.
किसान बन सकते हैं इस खेती से मालामाल
प्रो. अशोक कुमार सिंह के मुताबिक, सांवा की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. तीन से चार हजार रुपये की लागत में 8 से 10 क्विंटल सांवा उगाया जा सकता है. बाजार में यह बड़ा ही मुश्किल से मिलता है. वर्तमान में इसका रेट 125 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि 3 से 4 हजार रुपये में 8 से 10 क्विंटल जब उत्पन्न होगा तो किसानों को कितना लाभ मिलेगा?. इसके हिसाब से केवल चार बीघे में 2 किलोग्राम बीज से किसान अगर तीन से चार हजार रुपये लगाते हैं तो लगभग 1,25,000 रुपये कमा सकते हैं.

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Ajay Raj
अखबारी दुनिया और मैगजीन में करीब 14 साल काम करने के बाद 2017 में डिजिटल मीडिया में एंट्री. News18 हिंदी के साथ स्‍पोर्ट्स सेक्‍शन से शुरुआत की, लेकिन अब राजनीति की खबरों में मन रच बस गया है. साथ में अमर उजाला, ...और पढ़ें
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