रिपोर्ट – अखंड प्रताप सिंह
कानपुर: बीते एक महीने से कानपुर में तेंदुआ आतंक का पर्याय बना हुआ है. लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. कभी तेंदुआ आईआईटी परिसर में घूमता हुआ दिखाई देता है, तो कभी नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट के परिसर में. कई बार वह स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री पहुंच जाता है. चालबाज तेंदुआ लगातार वन विभाग के साथ लुकाछिपी का खेल बीते 1 महीने से खेल रहा है. वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के कई पैंतरे आजमाए. बाहर से टीम भी बुलाई गई. इतना ही नहीं मादा गुलदार के जाल में फंसाने के लिए हनीट्रैप का भी सहारा लिया गया, लेकिन हर उपाय नाकाम साबित हुआ. अभी भी दहशत का पर्याय बना तेंदुआ खुलेआम घूम रहा है.
बीते 1 महीने से विभिन्न क्षेत्रों में तेंदुए की दहशत देखने को मिल रही थी. बीते 1 हफ्ते से तेंदुआ गायब हो गया था. वन विभाग और चिड़िया घर प्रशासन का कहना था कि शायद वह जहां से आया था वहां वो पहुंच गया हो. जब 2 दिन पहले एक बार फिर तेंदुआ आईआईटी कानपुर में लगे कैमरे में कैद हुआ, उसके बाद वह एनएसआई में भी देखा गया और उसके स्मॉल आर्म्स फैक्टरी में भी आमद के सबूत मिले. एक बार फिर से तेंदुए को लेकर लोगों में दहशत देखने को मिल रही है.
वन विभाग और कानपुर प्राणी उद्यान ने तेंदुए को पकड़ने के लिए कई पैंतरे आज़माए लेकिन सब नाकाम ही साबित हुए. आगरा से टीम पकड़ने आई वह भी खाली हाथ लौट गई. कई पिंजड़े लगाए गए लेकिन उन सब की गिरफ्त से अभी भी तेंदुआ बाहर है. डॉ अनुराग सिंह ने बताया कि तेंदुआ चलाक प्रवृत्ति का जानवर होता है. वह रात में ही घूमता है. साथ ही वह बेहद तेजी के साथ माइग्रेट करता है. इन वजहों से उसको पकड़ना इतना आसान नहीं होता. हालांकि विभाग का प्रयास लगातार जारी है.
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Tags: Kanpur news, Leopard in Kanpur
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