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सात फेरे लिए, लेकिन ससुराल नहीं गई दुल्हन! नशे में था दूल्हा, मंडप में ही खूब हुआ हंगामा, जानें पूरा मामला

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लखीमपुर खीरी में दुल्हन ने नशे में धुत दूल्हे से शादी के फेरे लेने के बाद ससुराल जाने से इनकार कर दिया. आत्मसम्मान को प्राथमिकता देते हुए रिश्ता तोड़ने का साहसिक फैसला लिया. यह घटना समाज में महिलाओं के बदलते नजरिए और आत्मसम्मान की मजबूत मिसाल बनी.

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लखीमपुर खीरी: शादी- बारात की रौनक के बीच लखीमपुर खीरी से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने समाज में चर्चा का नया विषय बना दिया है. 23 मई को लखीमपुर खीरी के मोहल्ला सदर कोतवाली क्षेत्र में एक शादी हुई, जहां दूल्हे के नशे में होने की वजह से दुल्हन ने शादी के सात फेरे लेने के बाद भी ससुराल जाने से मना कर दिया.

यह कहानी है चंडीगढ़ के सेक्टर-33 के रहने वाले करनजीत सिंह की बारात की. 23 मई को बारात लखीमपुर के मोहल्ला अर्जुनपुर पहुंची. शादी की रस्में तो पूरी हो गईं, पर जैसे ही दुल्हन राधा को पता चला कि उसका दूल्हा और उसके रिश्तेदार शराब के नशे में धुत हैं, तो उसने अपने आत्मसम्मान को बरकरार रखते हुए ससुराल जाने से साफ इनकार कर दिया.
फेरे पूरे होने के बाद लौटाई बारात
शादी के सात फेरे पूरी होने के बाद भी दुल्हन ने दूल्हे के नशे में होने की वजह से यह फैसला किया. दूल्हा नशे में था, जिसे देख राधा का दिल टूट गया. उसने अपने परिवार वालों के सामने साफ कह दिया कि वह इस स्थिति में अपने पति के साथ नहीं जा सकती. दूल्हे के रिश्तेदार भी शराब के नशे में थे, जिससे माहौल और बिगड़ गया.

कोतवाली में दोनों पक्षों के बीच हुआ हंगामा
इस पर दोनों परिवारों के बीच कोतवाली में हंगामा भी हुआ, लेकिन राधा अपने फैसले पर अडिग रही. दूल्हे ने माफी मांगी, उनके पैर छूते हुए सुलह की गुहार लगाई, मगर दुल्हन ने अपने आत्मसम्मान से समझौता करने से इंकार कर दिया. अंततः दूल्हा बिना दुल्हन के ही वापस चंडीगढ़ लौट गया.
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समाज के लिए एक बड़ा संदेश
यह घटना आज की महिलाओं की हिम्मत और आत्मसम्मान की मिसाल है. अब महिलाएं न केवल अपने सम्मान के लिए लड़ती हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर शादी-बारात के मंडप से भी लौटने का साहस दिखाती हैं. यह साफ दिखाता है कि बेटियां अन्याय और अपमान के खिलाफ अब चुप नहीं हैं.
लखीमपुर की राधा ने साबित कर दिया कि शादी सिर्फ रस्म-रिवाज की बात नहीं, बल्कि एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दोनों का सम्मान और स्वाभिमान बराबर होना चाहिए. जब यह सम्मान टूटता है, तो ऐसे रिश्ते को कायम रखना संभव नहीं.

मंडप की ये घटना इस बात का सबूत है कि महिलाओं के बदलते नजरिए के सामने अब पुराने सोच के दरवाजे बंद हो रहे हैं. वे नशे, दहेज या किसी भी तरह के अन्याय को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं. यह वक्त की मांग है कि समाज भी महिलाओं के सम्मान को समझे और उन्हें वह सम्मान और सुरक्षा दे जिसकी वे हकदार हैं.
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