यहां मीठी नहीं, बल्कि मिलती है नमकीन चाय, बारिश के मौसम लोग खूब ले रहे चुस्की; देखें वीडियो
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Kashmiri Chai recipe: लखनऊ के अकबरी गेट पर कश्मीरी चाय बेच रहे मोहम्मद ओसामा से बात की गई तो, उन्होंने बताया कि कश्मीरी चाय में बादाम समेत तमाम ड्राई फ्रूट्स डाले जाते हैं. इसमें केसर भी डाला जाता है. 6 घंटे तक इसे पकाया जाता है. इसे जिस बर्तन में पकाया जाता है, उसे समावर बोलते हैं. ये बर्तन पीतल और तांबे का बना होता है.
लखनऊ/अंजलि सिंह राजपूत: लखनऊ में इन दिनों खूब झमाझम बारिश हो रही है. मौसम सुबह से लेकर रात तक सुहावना बना हुआ है. इसी सुहावने मौसम में लखनऊ वाले इन दिनों एक अनोखी चाय की चुस्की खूब ले रहे हैं. कहते हैं इस चाय की चुस्की पहली बार अवध के आखिरी नवाब नवाब वाजिद अली शाह ने ली थी. उनके वक्त से ही यह चाय लखनऊ में बिक आ रही है. नाम है कश्मीरी चाय और रंग होता है इसका गुलाबी. हैरानी की बात यह है कि ये चाय मीठी नहीं बल्कि नमकीन होती है. कहते हैं अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह ने अपने शाही बावर्ची से पहली बार इस चाय को बनाने के लिए कहा था. तब से लखनऊ में यह चाय बिक रही है.
अकबरी गेट पर कश्मीरी चाय बेच रहे मोहम्मद ओसामा से बात की गई तो, उन्होंने बताया कि कश्मीरी चाय में बादाम समेत तमाम ड्राई फ्रूट्स डाले जाते हैं. इसमें केसर भी डाला जाता है. 6 घंटे तक इसे पकाया जाता है. इसे जिस बर्तन में पकाया जाता है, उसे समावर बोलते हैं. ये बर्तन पीतल और तांबे का बना होता है. यह चाय नवाब वाजिद अली शाह के वक्त की है. उनके यहां इसकी कीमत 70 रुपए से शुरू है, जिसमें शाही प्याला, पठानी, तूफानी और फैमिली जैसी वैरायटी की चाय उनके पास मौजूद हैं. इसमें तफ्तान और मलाई ऊपर से डालते हैं, जिसके बाद इसे परोसा जाता है. ये चाय लोगों को खूब पसंद आती है.
इसलिए रंग होता है गुलाबी
अमूमन यह चाय कश्मीर में नहीं पी जाती है. कश्मीर के लोग कहवा चाय पीते हैं. फिर, आखिर इसे कश्मीरी चाय क्यों कहते हैं. इस पर जवाब देते हुए मोहम्मद ओसामा ने बताया कि इसकी चाय की पत्ती जब पकाई जाती है, तो वो गुलाबी रंग छोड़ देती है. इसलिए इसका रंग गुलाबी होता है. इसके मसाले पूरे अलग आते हैं. इसे कश्मीरी चाय इसलिए कहते हैं. कश्मीर में ये चुनिंदा जगहों पर ही पी जाती है. उन्होंने बताया कि कश्मीर में लोग नमकीन चाय पीना पसंद करते हैं. लेकिन यहां पर इसे नमकीन और मीठा दोनों तरह से बेचा जाता है.
अमूमन यह चाय कश्मीर में नहीं पी जाती है. कश्मीर के लोग कहवा चाय पीते हैं. फिर, आखिर इसे कश्मीरी चाय क्यों कहते हैं. इस पर जवाब देते हुए मोहम्मद ओसामा ने बताया कि इसकी चाय की पत्ती जब पकाई जाती है, तो वो गुलाबी रंग छोड़ देती है. इसलिए इसका रंग गुलाबी होता है. इसके मसाले पूरे अलग आते हैं. इसे कश्मीरी चाय इसलिए कहते हैं. कश्मीर में ये चुनिंदा जगहों पर ही पी जाती है. उन्होंने बताया कि कश्मीर में लोग नमकीन चाय पीना पसंद करते हैं. लेकिन यहां पर इसे नमकीन और मीठा दोनों तरह से बेचा जाता है.
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Rohit rajput
creating innovative news content for Digital and Social Media. more than 8 years of experience in the field of Journalism, Diploma of Journalism from Rajendra Prasad Institute of Communication and Management, ...और पढ़ें
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