Vocal For Local: वोकल फॉर लोकल के बढ़ावे से महिलाओं में खुशी,स्वदेशी उत्पादों की बढ़ी डिमांड
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Agency:News18 Uttar Pradesh
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Vocal For Local : कुसुम ने बताया प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' को बढ़ावा देने के बाद लोगो में भी जागरूखता दिखी है और लोग हस्तशिल्प सामान की खरीदारी कर रहे. इसी के साथ उन महिलाओ के चेहरे पर भी खुशी की झलक साफ साफ दिख रही थी, जिनके बनाए हुए सारे उत्पाद इस बार बिक गए.

ऋषभ चौरसिया/लखनऊ : दिवाली पर वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा मिल रहा है. इसका असर महिलाओं की जिंदगी पर भी देखने को मिल रहा है. इस बार लखनऊ के बाजार में स्थानीय महिलाओं के बनाए उत्पादों को जमकर खरीददार मिल रहे हैं. पहली बार है जब दिवाली पर उनकी जिंदगी भी इतनी रोशन हो रही है. उनके हूनर को ग्राहकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. वह भी उनकी कलाकारी की कद्र करते हुए बगैर मोलभाव किए सामान खरीद रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दिवाली वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए लोगों से आग्रह किया था. पीएम का ये विजन देशभर में गति पकड़ रहा है. राजनेताओं और अभिनेताओं से लेकर हर कोई इस बार स्वदेशी सामान की खरीदारी को प्राथमिकता दे रहा है. राजधानी लखनऊ में शिप्ली समूह की महिलाओ में वोकल फॉर लोकल की झलक देखने को मिली. यह महिलाएं अपने हाथों से बनाए हुए उत्पादों को बेच रही हैं.
शिप्ली महिला कल्याण की संस्थापक कुसुम शिप्ली ने बताया कि वह 1985 से समाज सेवा का कार्य कर रही है और महिलाओं को रोजगार प्रदान करने का प्रयास कर रही है. वह गांव-गांव घूमकर महिलाओं को चिकनकारी का काम सिखाती है. उनका कहना है कि वह उन महिलाओं पर ज्यादा ध्यान देती हैं जो किसी हादसे का शिकार हो चुकी है. उन्होंने इन महिलाओं को मूर्ति बनाने, अगरबत्ती बनाने की प्रशिक्षण दिया है. उन्होंने इसके साथ ही घरेलू सामान बनाना भी सिखाया है.
मोल-भाव के बिना लोग जमकर कर रहे खरीददारी
समूह में काम करने वाली महिलाओं को कहना है कि वे अपने रोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए यहां काम सीखती और अपने उत्पादों को घर-घर या किसी प्रदर्शनी में बेच रही है. कुछ महिलाओं ने बताया है कि इस बार दिवाली के लिए बनाए गए उत्पादों की बिक्री काफी अच्छी रही है. चाहे वह अचार हो या दिया, अगरबत्ती हो. महिलाओं ने बताया कि लोग जमकर दीए की खरीदारी कर रहे हैं. बीते कुछ सालों के मुकाबले इस बार काम भी अच्छा चल रहा है. लोग आकर मोल-भाव भी नहीं करते. ऐसे में लागत से ज्यादा कमाई हो जाती है. इससे वे भी अपने घरवालों के साथ खुशी से दिवाली मना सकते हैं.
समूह में काम करने वाली महिलाओं को कहना है कि वे अपने रोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए यहां काम सीखती और अपने उत्पादों को घर-घर या किसी प्रदर्शनी में बेच रही है. कुछ महिलाओं ने बताया है कि इस बार दिवाली के लिए बनाए गए उत्पादों की बिक्री काफी अच्छी रही है. चाहे वह अचार हो या दिया, अगरबत्ती हो. महिलाओं ने बताया कि लोग जमकर दीए की खरीदारी कर रहे हैं. बीते कुछ सालों के मुकाबले इस बार काम भी अच्छा चल रहा है. लोग आकर मोल-भाव भी नहीं करते. ऐसे में लागत से ज्यादा कमाई हो जाती है. इससे वे भी अपने घरवालों के साथ खुशी से दिवाली मना सकते हैं.
लोकल फॉर वोकल नारे का असर
कुसुम ने बताया प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देने के बाद लोगो में भी जागरूखता दिखी है और लोग हस्तशिल्प सामान की खरीदारी कर रहे. इसी के साथ उन महिलाओ के चेहरे पर भी खुशी की झलक साफ साफ दिख रही थी, जिनके बनाए हुए सारे उत्पाद इस बार बिक गए.
कुसुम ने बताया प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देने के बाद लोगो में भी जागरूखता दिखी है और लोग हस्तशिल्प सामान की खरीदारी कर रहे. इसी के साथ उन महिलाओ के चेहरे पर भी खुशी की झलक साफ साफ दिख रही थी, जिनके बनाए हुए सारे उत्पाद इस बार बिक गए.
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