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2 महीने की मेहनत के बाद इस कलाकार ने बनाई सांझी की कला पेंटिंग, मिला राज्य पुरस्कार

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सांझी कला के पीछे बेहद रोचक कथा जुड़ी हुई है. मान्यता है कि यह ऐसी इकलौती लीला है, जिसे राधा जी ने कृष्ण को रिझाने और उनके स्वागत के लिए बनाई थी.

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सौरव पाल/मथुरा: धर्मनगरी वृंदावन भगवान कृष्ण की लीलाओं के लिये तो जाना ही जाता है. इसके अलावा वृंदावन का साहित्य, संस्कृति और कला भी पूरे दुनिया भर में प्रसिद्ध है. ऐसी ही एक कला है सांझी कला, जिसके पीछे मान्यता है कि राधा ने भगवान कृष्ण के स्वागत में बनाई थी. इसी कला की पेंटिंग बनाने के लिए वृंदावन की कलाकार शालिनी गोस्वामी को उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से हाल ही में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

शालिनी में बताया कि यह उनका पहला अवार्ड है, जो उन्हें उनकी कला की लिए मिला है. पिछले 20 सालों से वह आयल पेंटिंग और गोल्ड वर्क की पेंटिंग कर रही है, लेकिन सांझी की पेंटिंग बनाना उन्होंने पिछले 5 साल से ही शुरू किया. उन्होंने बताया कि वैसे तो सांझी को सूखे रंगो की मदद से ब्रज के मंदिरों में बनाया जाता है, लेकिन सूखे रंगो की सांझी बनाने में बहुत मेहनत लगती है और उसे संभालकर भी नहीं रखा जा सकता. इसलिए उन्होंने कला को संजोए रखने के लिए सांझी को पेंटिंग के रूप में बनाना शुरू किया.
राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया

शालिनी ने बताया कि कला को पेंटिंग के रूप में संजोये रखने के लिये ही उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ़ से उन्हें राज्य पुरस्कार के रूप में तांब पत्र और 35 हजार की राशि के साथ सम्मानित भी किया गया. इस पेंटिंग को बनाने में करीब 2 महीने से भी अधिक का समय लगा है. इस पेंटिंग में उन्होंने भगवान कृष्ण की मोर कुटी लीला का चित्र बनाया है. जिसमें भगवान मोर बन कर राधा के साथ नृत्य कर रहे हैं.
क्या होती है सांझी कला

सांझी कला के पीछे बेहद रोचक कथा जुड़ी हुई है. मान्यता है कि यह ऐसी इकलौती लीला है. जिसे राधा जी ने कृष्ण को रिझाने और उनके स्वागत के लिए बनाई थी. जब भगवान कृष्ण अपने ग्वालों के साथ शाम को गाय चार कर लौटते तो राधा जी ने उनके स्वागत के लिए फूलों से सांझी बनाई थी और वहीं से सांझी कला का जन्म हुआ.
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2 महीने की मेहनत के बाद इस कलाकार ने बनाई सांझी की कला पेंटिंग
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