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12 हजार करोड़ का मनी लॉन्ड्रिंग घोटाला! जेपी ग्रुप बिल्डर्स पर ED का छापा, रियल एस्टेट में मचा हड़कंप

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Ground Report: नोएडा, दिल्ली-NCR और मुंबई में ईडी ने जेपी ग्रुप समेत कई रियल एस्टेट कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग केस में छापेमारी की. 12,000 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़े इस मामले में गौरसंस, महागुन जैसे बिल्डर्स भी जांच के घेरे में हैं. सीबीआई सबवेंशन स्कीम की भी जांच कर रही है.

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नोएडा: रियल एस्टेट सेक्टर में बड़े घोटालों की कड़ी में जेपी ग्रुप का नाम सामने आया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक गंभीर मामले में जेपी ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. ईडी की टीम ने जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड और समूह की अन्य सहयोगी कंपनियों के 15 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की है. ये छापे नोएडा, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई के कई प्रतिष्ठानों पर डाले गए. जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, यह मामला करीब 12,000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा है, जिसमें हजारों होमबायर्स और निवेशकों को चूना लगाया गया है.

दस्तावेज के आधार पर बढ़ी कार्रवाई
ईडी को यह जानकारी मिली है कि जेपी ग्रुप ने होमबायर्स से एकत्र किए गए पैसे को गलत तरीके से दूसरी कंपनियों में डायवर्ट किया और बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई. जांच के दौरान छापेमारी में कई जरूरी दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डेटा और बैंकिंग से जुड़ी जानकारी जब्त की गई है. इन सबूतों से साफ है कि वित्तीय अनियमितताओं का खेल बहुत बड़े स्तर पर चला है.
सिर्फ जेपी नहीं, गौरसंस और महागुन भी घेरे में
ईडी की कार्रवाई सिर्फ जेपी ग्रुप तक सीमित नहीं है. छापेमारी की जद में गौरसंस, गुलशन, महागुन और सुरक्षा रियल्टी जैसी नामी रियल एस्टेट कंपनियां भी आई हैं. इन कंपनियों के ऑफिस और ठिकानों पर भी तलाशी ली गई है, जिससे शक और गहराता जा रहा है कि मामला केवल एक कंपनी तक सीमित नहीं बल्कि एक पूरे नेटवर्क का हिस्सा है.

होमबायर्स के लिए राहत की उम्मीद
जेपी ग्रुप के कई प्रोजेक्ट वर्षों से अधूरे हैं और हजारों खरीदार अब तक अपने फ्लैट का कब्जा नहीं पा सके हैं. ऐसे में ईडी की यह कार्रवाई उन लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण है, जो वर्षों से फ्लैट के नाम पर ठगे गए हैं. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्रों में हजारों ऐसे लोग हैं जो 10 साल से ज्यादा समय से कब्जे का इंतजार कर रहे हैं, और इस कार्रवाई ने उनकी आवाज को फिर से बुलंद किया है.
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CBI भी कर रही सबवेंशन स्कीम की जांच
आपको बता दें कि इस घोटाले में ईडी के अलावा सीबीआई भी सक्रिय है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सबवेंशन स्कीम की जांच की जा रही है, जिसमें आरोप है कि बिल्डर्स, बैंकों और ग्राहकों के बीच मिलीभगत कर करोड़ों की हेराफेरी की गई.
सबवेंशन स्कीम एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें ग्राहक को फ्लैट की बुकिंग के समय EMI से राहत दी जाती है, लेकिन इसकी आड़ में कई बिल्डर्स ने बैंकों से मोटी रकम ले ली और प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ दिए. सीबीआई की जांच में भी जेपी ग्रुप के साथ-साथ कई और नामचीन बिल्डर घिरते नजर आ रहे हैं.
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