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काशी के इस यूनिवर्सिटी में है 1.25 लाख पांडुलिपियां... अब 100000 को किया गया संरक्षित

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Varanasi News : वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 1.25 लाख दुर्लभ पांडुलिपियां संरक्षित की जा रही हैं. इनमें 12वीं शताब्दी की श्रीमद्भागवतम और 800, 600, 500 साल पुरानी पांडुलिपियां शामिल हैं. प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि अब तक 88 हजार पांडुलिपियों का कैटलॉग तैयार हो चुका है.

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वाराणसी: काशी दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक है. इस प्राचीन शहर में सैकड़ों साल पुराने पांडुलिपियों का अनोखा संग्रह मौजूद है. वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ये पांडुलिपियां रखी हैं जिन्हें अब संरक्षित किया जा रहा है. केंद्र सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन नई दिल्ली को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.

बात इन दुर्लभ पांडुलिपियों की करें तो इनमें कई पांडुलिपि ऐसी है जो 12 वीं शताब्दी की हैं. संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के वीसी बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन में करीब 1.25 लाख दुर्लभ पांडुलिपियां हैं जो कई सदियों से धूल फांक रही थी. इनमें कई पांडुलिपियां काफी खराब भी हुई है जिन्हें अब वैज्ञानिक तरीके से वापस संरक्षित किया जा रहा है.
ये है सबसे पुरानी पांडुलिपि
प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि सवा लाख पांडुलिपियों में सबसे पुरानी पांडुलिपि श्रीमद्भागवतम है जो 12 वीं शताब्दी का है. इसके अलावा 800, 600 और 500 साल पुराना दुर्लभ पांडुलिपियां भी यहां मौजूद हैं. इन सभी पांडुलिपियों को बेहद ही सावधानी के साथ संरक्षित किया जा रहा है.

88 हजार पांडुलिपियों का काम पूरा
गौरतलब है कि अब तक करीब 88 हजार पांडुलिपियों का कैटलॉग भी तैयार हो गया है. बाकी बचे 37 हजार पांडुलिपियों का काम जारी है. जब इन सभी पांडुलिपियों के संरक्षण का काम पूरा होगा तो उसके बाद आगे की प्रकिया पूरी की जाएगी.
पांडुलिपि के ज्ञान से समाज को कराएंगे रूबरू
प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इन पांडुलिपियों को संरक्षित करने के बाद विद्वानों के मदद से उसमे छुपे हुए ज्ञान से समाज को रूबरू कराया जाएगा. इसके लिए सभी पांडुलिपियों का प्रकाशन भी होगा.
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काशी के इस यूनिवर्सिटी में है1.25 लाख पांडुलिपियां,100000 को किया गया संरक्षित
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