Bageshwar News: पहाड़ में आज भी किसी के घर जाते समय ले जाते हैं मिश्री, जानें इस खास रिवाज के बारे में
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Agency:News18 Uttarakhand
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Bageshwar News: पहाड़ों में लोग आज भी मेहमान नवाजी में जाने से पहले मिश्री जरूर खरीदते हैं और अन्य सामान के साथ इसे याद से लेकर जाते हैं.
बागेश्वर. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में कई पारंपरिक रिवाज आज भी बखूबी निभाए जाते हैं. इन्हीं में से एक रिवाज मिश्री से भी जुड़ा है. दरअसल जब पहाड़ में अधिक संसाधन नहीं हुआ करते थे, तब पहाड़ के लोग एक-दूसरे के घर जाते समय मिठाई के रूप में मिश्री लेकर जाया करते थे और आज भी पहाड़ में मिश्री ले जाने का यह चलन बरकरार है. पहाड़ के लोग मिश्री ले जाने को रिवाज मानते हैं और इस रिवाज को अन्य सामग्री के साथ लेकर जाते हैं. इस मिश्री का प्रयोग चाय के साथ किया जाता है.
बागेश्वर के स्थानीय जानकार किशन मलड़ा ने लोकल 18 को बताया कि आज भी मेहमान नवाजी में जाने से पहले पहाड़ के लोग मिश्री खरीदते हैं और अन्य सामान के साथ मिश्री याद से लेकर जाते हैं. भले ही आज तरह-तरह की मिठाइयों का चलन बढ़ गया है, इसके बावजूद आपको पहाड़ में मेहमान नवाजी में किसी के घर जाने वाले व्यक्ति के बैग में मिश्री का एक पैकेट जरूर मिलेगा. आज भी पहाड़ के लोग मिठाई खरीदने के बाद दुकानदार से एक पैकेट मिश्री का डालने के लिए बोलते हैं.
मिठाई के तौर पर बांटते हैं मिश्री
उन्होंने कहा कि यदि आप पहाड़ की मिठाई की दुकानों को गौर से देखेंगे, तो आपको वहां मिठाई के साथ मिश्री के ढेर सारे पैकेट भी मिलेंगे क्योंकि पहाड़ में मिठाई या अन्य कोई दूसरा सामान मेहमान नवाजी के लिए खरीदते समय ग्राहक मिश्री की डिमांड जरूर करता है. खुशी के मौके पर मिश्री को गांव में आज भी मिठाई के रूप में बांटा जाता है. मेहमान नवाजी में मिश्री ले जाने का चलन पहाड़ में पुराने समय से ही चला आ रहा है. खासतौर पर विवाहित बेटियों के घर जाते समय इस रिवाज को ज्यादा निभाया जाता है. पहले पहाड़ के बुजुर्ग इस रिवाज को अपनाते थे और अब रिवाज होने की वजह से नई पीढ़ी भी इसे अपनाती है.
उन्होंने कहा कि यदि आप पहाड़ की मिठाई की दुकानों को गौर से देखेंगे, तो आपको वहां मिठाई के साथ मिश्री के ढेर सारे पैकेट भी मिलेंगे क्योंकि पहाड़ में मिठाई या अन्य कोई दूसरा सामान मेहमान नवाजी के लिए खरीदते समय ग्राहक मिश्री की डिमांड जरूर करता है. खुशी के मौके पर मिश्री को गांव में आज भी मिठाई के रूप में बांटा जाता है. मेहमान नवाजी में मिश्री ले जाने का चलन पहाड़ में पुराने समय से ही चला आ रहा है. खासतौर पर विवाहित बेटियों के घर जाते समय इस रिवाज को ज्यादा निभाया जाता है. पहले पहाड़ के बुजुर्ग इस रिवाज को अपनाते थे और अब रिवाज होने की वजह से नई पीढ़ी भी इसे अपनाती है.
क्या होती है मिश्री?
रॉक शुगर का दूसरा नाम मिश्री है. मिश्री के सेवन से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. मिश्री चीनी का एक मजबूत विकल्प है. यह चीनी का अन-रिफाइंड रूप है. दरअसल मिश्री को भी गन्ने या फिर खजूर से ही बनाया जाता है लेकिन इसमें केमिकल का इस्तेमाल न के बराबर होता है. मिश्री बनाने के लिए शुगर सीरप को पानी में घोलकर इसको ठोस रूप दिया जाता है. इस घोल को तार की मदद से ठंडा किया जाता है. इस तरह शुद्ध रूप में मिश्री प्राप्त होती है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, केमिकल से मुक्त मिश्री पूरी तरह से शुगर की प्योरेस्ट फॉर्म है. शुगर सीरप से तैयार होने के चलते मिश्री का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी नॉर्मल शुगर के समान होता है. शुद्ध मिश्री को रासायनिक रूप से संसाधित नहीं किया जाता है. यह इसके हल्के पीले या भूरे रंग से देखा जा सकता है. बाजार में मिश्री 70 से 100 रुपये किलो तक मिल जाती है.
रॉक शुगर का दूसरा नाम मिश्री है. मिश्री के सेवन से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. मिश्री चीनी का एक मजबूत विकल्प है. यह चीनी का अन-रिफाइंड रूप है. दरअसल मिश्री को भी गन्ने या फिर खजूर से ही बनाया जाता है लेकिन इसमें केमिकल का इस्तेमाल न के बराबर होता है. मिश्री बनाने के लिए शुगर सीरप को पानी में घोलकर इसको ठोस रूप दिया जाता है. इस घोल को तार की मदद से ठंडा किया जाता है. इस तरह शुद्ध रूप में मिश्री प्राप्त होती है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, केमिकल से मुक्त मिश्री पूरी तरह से शुगर की प्योरेस्ट फॉर्म है. शुगर सीरप से तैयार होने के चलते मिश्री का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी नॉर्मल शुगर के समान होता है. शुद्ध मिश्री को रासायनिक रूप से संसाधित नहीं किया जाता है. यह इसके हल्के पीले या भूरे रंग से देखा जा सकता है. बाजार में मिश्री 70 से 100 रुपये किलो तक मिल जाती है.
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