चुनाव के महीने भर बाद भी पंचायत प्रतिनिधि नहीं प्रशासक चला रहे ग्राम पंचायतें, यहां जानें क्यों
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Agency:News18 Uttarakhand
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चुनाव संपन्न होने के बावजूद ग्राम पंचायत सदस्यों के 30 हजार 600, ग्राम प्रधानों के 125 और बीडीसी मेंबरों के 12 पद अब भी खाली पड़े हैं. इनके अभाव में कोरम पूरा नहीं हो पा रहा.

देहरादून. उत्तराखंड में पंचायत चुनाव (Uttarakhand Panchayat Elections) संपन्न हुए एक महीना बीत गया है लेकिन पंचायतें अब भी प्रशासकों (administrators in panchayat) के हवाले ही हैं. लेकिन नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को पंचायतों का चार्ज नहीं सौंपा गया. ग्राम प्रधान (Gram Pradhan), क्षेत्र पंचायत सदस्य (Kshetra Panchayat member), क्षेत्र पंचायत प्रमुख (Kshetra panchayat pramukh), ज़िला पंचायत सदस्य (zila panchayat member), ज़िला पंचायत अध्यक्ष (zila panchayat adhyaksha) पदों पर अब भी प्रशासक जमे हुए हैं. यह अपने आप में पंचायतीराज व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रही है. राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) का कहना है कि वह अपना काम कर चुका है. शपथ दिलाने का काम शासन का है.
सरकार की बहानेबाज़ी
प्रदेश के पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय कहते हैं कि रुड़की और पिथौरागढ़ उपचुनाव के कारण विलंब हुआ है. उन्होंने कहा कि कई पंचायतों में उपचुनाव भी करवाए जाने हैं जिसकी वजह से विलंब हुआ है. जल्द ही पंचायतों को उनका चार्ज सौंप दिया जाएगा.
लेकिन संयोजक पंचायत जनाधिकारी मंच जोत सिंह बिष्ट इसे सरकार की बहानेबाज़ी बताते हैं. वह कहते हैं कि पिथौरागढ़ उपचुनावों के बीच सरकार ज़िला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव करवा तो करवा ही दिए हैं. बिष्ट पूछते हैं कि सरकार ग्राम पंचायत के उपचुनाव, जिसमें ज़्यादा झगड़ा-झंझट नहीं है, उसे क्यों नहीं करवा रही?
कोरम ही नहीं हो रहा पूरा
दरअसल चुनाव संपन्न होने के बावजूद ग्राम पंचायत सदस्यों के 30 हजार 600, ग्राम प्रधानों के 125 और बीडीसी मेंबरों के 12 पद अब भी खाली पड़े हैं. इनके अभाव में कोरम पूरा नहीं हो पा रहा और साठ फीसदी ग्राम पंचायतों का गठन तब तक नहीं हो पाएगा जब तक इन पदों पर चुनाव नहीं करा लिए जाते. ऐसे में सरकार के लिए बड़ा सवाल तो यह है कि ये उपचुनाव होंगे कब?
सरकार की बहानेबाज़ी
प्रदेश के पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय कहते हैं कि रुड़की और पिथौरागढ़ उपचुनाव के कारण विलंब हुआ है. उन्होंने कहा कि कई पंचायतों में उपचुनाव भी करवाए जाने हैं जिसकी वजह से विलंब हुआ है. जल्द ही पंचायतों को उनका चार्ज सौंप दिया जाएगा.
लेकिन संयोजक पंचायत जनाधिकारी मंच जोत सिंह बिष्ट इसे सरकार की बहानेबाज़ी बताते हैं. वह कहते हैं कि पिथौरागढ़ उपचुनावों के बीच सरकार ज़िला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव करवा तो करवा ही दिए हैं. बिष्ट पूछते हैं कि सरकार ग्राम पंचायत के उपचुनाव, जिसमें ज़्यादा झगड़ा-झंझट नहीं है, उसे क्यों नहीं करवा रही?
कोरम ही नहीं हो रहा पूरा
दरअसल चुनाव संपन्न होने के बावजूद ग्राम पंचायत सदस्यों के 30 हजार 600, ग्राम प्रधानों के 125 और बीडीसी मेंबरों के 12 पद अब भी खाली पड़े हैं. इनके अभाव में कोरम पूरा नहीं हो पा रहा और साठ फीसदी ग्राम पंचायतों का गठन तब तक नहीं हो पाएगा जब तक इन पदों पर चुनाव नहीं करा लिए जाते. ऐसे में सरकार के लिए बड़ा सवाल तो यह है कि ये उपचुनाव होंगे कब?
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