Public Opinion: देहरादून की इस कॉलोनी में समस्याओं का अम्बार, बदबू-मच्छर और जलभराव से जनता परेशान
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Public Opinion: मालती देवी ने लोकल 18 से कहा कि पहले तो सफाई के लिए कोई आता नहीं और आता है, तो वे लोग कूड़ा उठाकर नहीं ले जाते. क्षेत्र में पहले जैसी साफ-सफाई अब नहीं होती है.
देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने के तमाम दावे किए गए लेकिन रिस्पना नदी के किनारे बसे हुए लोगों को अभी भी पुरानी समस्या से जूझना पड़ रहा है. सीमेंट रोड के नजदीक करीब 2000 आबादी वाले वार्ड नंबर 14 और खटीक मोहल्ले में नदी में कूड़ा डाला जाता है. इस वजह से यहां रहने वाले लोगों को हर समय बदबू और मच्छरों से परेशानी होती है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम की ओर से यहां फॉगिंग न के बराबर होती है. नालियों में कूड़ा जमा होने से थोड़ी सी ही बारिश में यहां जलभराव हो जाता है, जिससे और भी मुसीबत खड़ी हो जाती है.
स्थानीय निवासी अमन ने लोकल 18 को बताया कि कभी रिस्पना नदी बहुत साफ हुआ करती थी. उनके दादा यहां नहाया करते थे और आसपास के लोग कपड़े धोने आदि का काम भी नदी के पानी से किया करते थे. आज लोगों ने इसे नाला बना दिया है. पुश्ते के नजदीक इतना कूड़ा-कचरा डाला जाता है कि आसपास बदबू आने लगती है. इसी के साथ ही यहां डेंगू मच्छर और कई बीमारियों के पनपने का खतरा हमेशा बना रहता है. उन्होंने कहा कि अगर थोड़ी देर बारिश हो जाती है, तो गुरुद्वारा चौक से लेकर हमारा यह क्षेत्र पानी से भर जाता है. जलभराव होने से स्कूल जाने वाले बच्चों को दिक्कत होती है. नाले पर भी कोई जाल आदि नहीं लगाए गए हैं, जिस कारण बारिश होने पर रिस्पना नदी का कूड़ा नालों में आकर सड़क पर आ जाता है. रजिया का कहना है कि हमारी कॉलोनी की समस्या लंबे समय से ऐसी ही बनी हुई है. यहां नाले टूटे पड़े हैं और उनकी सफाई भी नहीं होती है.
नाम के लिए ही होती है फॉगिंग
मालती देवी ने कहा कि इन दिनों बताया जा रहा है कि नगर निगम की ओर से डेंगू के खिलाफ लड़ने के लिए फॉगिंग की जा रही है लेकिन हमारे यहां हफ्ते में एक बार ही फॉगिंग के लिए आते हैं. सिर्फ नाम के लिए फॉगिंग होती है. कूड़ा गाड़ी आती है, तो वे लोग जल्दबाजी में कूड़ा लेकर जाते हैं. पहले तो सड़कों की सफाई के लिए आते नहीं और आते हैं, तो वे कूड़ा उठाकर नहीं ले जाते. पहले सफाईकर्मी नालियों को साफ करके उसका कूड़ा ठेलियों में ले जाते थे लेकिन आज न ठेली दिखती है और न सफाईकर्मी के हाथों में उपकरण. पहले जैसी अब सफाई नहीं होती है. उन्होंने कहा कि वह मेयर से अपील करती हैं कि हमारे क्षेत्र में साफ-सफाई पर जरूर ध्यान दें क्योंकि हमारे बच्चों पर बीमारियों का संकट बना रहता है.
मालती देवी ने कहा कि इन दिनों बताया जा रहा है कि नगर निगम की ओर से डेंगू के खिलाफ लड़ने के लिए फॉगिंग की जा रही है लेकिन हमारे यहां हफ्ते में एक बार ही फॉगिंग के लिए आते हैं. सिर्फ नाम के लिए फॉगिंग होती है. कूड़ा गाड़ी आती है, तो वे लोग जल्दबाजी में कूड़ा लेकर जाते हैं. पहले तो सड़कों की सफाई के लिए आते नहीं और आते हैं, तो वे कूड़ा उठाकर नहीं ले जाते. पहले सफाईकर्मी नालियों को साफ करके उसका कूड़ा ठेलियों में ले जाते थे लेकिन आज न ठेली दिखती है और न सफाईकर्मी के हाथों में उपकरण. पहले जैसी अब सफाई नहीं होती है. उन्होंने कहा कि वह मेयर से अपील करती हैं कि हमारे क्षेत्र में साफ-सफाई पर जरूर ध्यान दें क्योंकि हमारे बच्चों पर बीमारियों का संकट बना रहता है.
साफ-सफाई न होना सबसे बड़ी समस्या
स्थानीय निवासी सुरभि ने कहा कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या है साफ-सफाई न होना. यहां कूड़ा गाड़ी भी कई दिनों बाद आती है, वो भी संकरी गलियों में नहीं जाती है. नालियों में कूड़ा पड़ा होने से यह बंद हो जाती है, इसका नतीजा यह होता है कि जब भी बारिश होती है, वो कूड़ा सड़कों पर बहता हुआ नजर आता है. जिनके घर नीचे है, उनके घरों में कूड़ा जाता है. निगम को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि शहर को स्वच्छ बनाने की उनकी मुहिम कामयाब हो सके.
स्थानीय निवासी सुरभि ने कहा कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या है साफ-सफाई न होना. यहां कूड़ा गाड़ी भी कई दिनों बाद आती है, वो भी संकरी गलियों में नहीं जाती है. नालियों में कूड़ा पड़ा होने से यह बंद हो जाती है, इसका नतीजा यह होता है कि जब भी बारिश होती है, वो कूड़ा सड़कों पर बहता हुआ नजर आता है. जिनके घर नीचे है, उनके घरों में कूड़ा जाता है. निगम को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि शहर को स्वच्छ बनाने की उनकी मुहिम कामयाब हो सके.
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