पिटकुल में फिर घोटाले की आशंका, टेंडर के बाद बदलीं काम की शर्तें
Agency:News18 Uttarakhand
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कंपनी ने नई शर्तों के अनुसार काम किया और उसे पूरा भुगतान कर दिया गया.

उत्तराखण्ड में ट्रांस्मिशन लाइनें बिछाने के लिए ज़िम्मेदार विभाग पिटकुल एक बार फिर घोटाले की आशंका से चर्चा में है. इस बार ये विभाग सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि विभाग के अधिकारियों ने बिना की स्पष्ट कारण बताए करोड़ों के टेंडर की शर्तें बदल दीं. ऐसा क्यों किया गया इसके बारे में अधिकारी अब भी कुछ बताने को तैयार नहीं हैं.
केंद्र सरकार की PSDF योजना के तहत पुराने उपकरणों से छुटकारा पाने के लिए कई सब स्टेशनों से नए उपकरणों को लगाने के लिए 3 जनवरी, 2017 को टेंडर निकाला. गाजियाबाद की मैसर्स राज श्यामा कंस्ट्रक्शन कंपनी को 27 मार्च, 2017 को यह प्रोजेक्ट मिल गया. टेंडर की शर्तों के मुताबिक 43 करोड़ रुपये की लागत के सब स्टेशनों में उपकरणों को बदला जाना था.
यब भी तय था कि उपकरणों को बदलने से पहले महकमे के 3 अधिकारियों की टीम को कंपनी का स्थलीय निरीक्षण करना था लेकिन वह तय समय पर नहीं हो पाया. टेंडर की शर्तों के अनुसार सभी सब स्टेशनों के पुराने स्ट्रक्चर को हटाकर नए ग्लेवनाइज्ड स्टील के नए स्ट्रक्चर लगाने थे लेकिन कार्य शुरू होने से पहले ही एक नया आदेश जारी हो गया.
6 अक्टूबर, 2017 को चीफ़ इंजीनियर राजीव गुप्ता ने एक लेटर जारी कर टेंडर की शर्तें बदल दीं. इसके अनुसार अब पुराने उपकरणों को बदलने के बजाए उनकी मरम्मत की जानी थी. कंपनी ने नई शर्तों के अनुसार काम किया और उसे पूरा भुगतान कर दिया गया.
ऐसे में कई सवाल उठते हैं....
ख़ास बात यह है कि पिटकुल के शीर्ष अधिकारियों को इस बारे में कुछ पता ही नहीं है. पिटकुल के एमडी संदीप सिंघल से न्यूज़ 18 ने जब इस मामले में सवाल पूछा तो उन्होंने मामले की जानकारी होने से ही इनकार करते हुए कहा कि अब चूंकि इस बारे में बताया गया है तो वह इसकी जांच करवाएंगे.
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केंद्र सरकार की PSDF योजना के तहत पुराने उपकरणों से छुटकारा पाने के लिए कई सब स्टेशनों से नए उपकरणों को लगाने के लिए 3 जनवरी, 2017 को टेंडर निकाला. गाजियाबाद की मैसर्स राज श्यामा कंस्ट्रक्शन कंपनी को 27 मार्च, 2017 को यह प्रोजेक्ट मिल गया. टेंडर की शर्तों के मुताबिक 43 करोड़ रुपये की लागत के सब स्टेशनों में उपकरणों को बदला जाना था.
यब भी तय था कि उपकरणों को बदलने से पहले महकमे के 3 अधिकारियों की टीम को कंपनी का स्थलीय निरीक्षण करना था लेकिन वह तय समय पर नहीं हो पाया. टेंडर की शर्तों के अनुसार सभी सब स्टेशनों के पुराने स्ट्रक्चर को हटाकर नए ग्लेवनाइज्ड स्टील के नए स्ट्रक्चर लगाने थे लेकिन कार्य शुरू होने से पहले ही एक नया आदेश जारी हो गया.
6 अक्टूबर, 2017 को चीफ़ इंजीनियर राजीव गुप्ता ने एक लेटर जारी कर टेंडर की शर्तें बदल दीं. इसके अनुसार अब पुराने उपकरणों को बदलने के बजाए उनकी मरम्मत की जानी थी. कंपनी ने नई शर्तों के अनुसार काम किया और उसे पूरा भुगतान कर दिया गया.
ऐसे में कई सवाल उठते हैं....
- पहला तो यह अगर उपकरणों की मरम्मत ही की जानी थी तो उन्हें बदलने का टेंडर क्यों निकाला गया?
- दूसरा अचानक किस विशेषज्ञ की सलाह से अचानक उपकरणों को बदलने के टेंडर की शर्तें बदल दी गईं?
- अगर पुराने उपकरणों की मरम्मत ही करनी थी तो क्या उसका बजट कम नहीं होना चाहिए था?
- इस मामले में 30 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई जा रही है लेकिन कोई जांच तक नहीं हुई?
ख़ास बात यह है कि पिटकुल के शीर्ष अधिकारियों को इस बारे में कुछ पता ही नहीं है. पिटकुल के एमडी संदीप सिंघल से न्यूज़ 18 ने जब इस मामले में सवाल पूछा तो उन्होंने मामले की जानकारी होने से ही इनकार करते हुए कहा कि अब चूंकि इस बारे में बताया गया है तो वह इसकी जांच करवाएंगे.
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