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यह जंगली फल सिर्फ 3 महीने मिलता है पहाड़ में, कई बीमारियों के लिए 'रामबाण', जानें तिमला की खासियत

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Timla fruit Uttarakhand: तिमिल के फल हल्के लाल और पीले हो जाने पर इसका स्वाद काफी अच्छा होता है. इसका रायता और सब्जी पहाड़ में लोकप्रिय है. तिमला एक औषधीय फल है. इसमें पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए और बी आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं.

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पवन सिंह कुंवर/हल्द्वानी. आज हम आपको पहाड़ में होने वाले तिमला के बारे में बताने जा रहे हैं. पहाड़ में स्वाद के साथ ही सेहत का खजाना तिमला को माना जाता है. उत्तराखंड के पहाड़ों में तिमला, तिमिल, तिमल, तिमलु आदि नामों से पहचाने जाने वाले इस फल को अंजीर भी कहते हैं. यह फल उत्तराखंड के पहाड़ों में काफी मात्रा में पाया जाता है. तिमला एक औषधीय फल है. हल्द्वानी के आयुर्वेद के वरिष्ठ डॉक्टर विनय खुल्लर के मुताबिक, इस फल में पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए और बी आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं.

कच्चे तिमल की सब्जी और अचार बनाया जाता है. यह पहाड़ों में अप्रैल से जून में आसानी से आपको मिल जाएगा. तिमल का पेड़ प्रदेश के खास पेड़ों में से एक है. तिमिल के फल हल्के लाल और पीले हो जाने पर इसका स्वाद काफी अच्छा होता है. इसका रायता और सब्जी पहाड़ में लोकप्रिय है. साथ ही यह आपकी पाचन क्रिया को भी फिट रखता है और कई औषधीय गुण भी इस फल में होते हैं.
नैनीताल जिले के निवासी कंचन सिंह कुंवर ने बताया कि 800 से 2200 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाने वाला यह पेड़ जंगली है. इसकी पत्तियां 20 से 25 सेमी तक चौड़ी होती हैं. इस पेड़ की पत्तियों को गाय भैंसों के चारे के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके पत्तों को खाकर दुधारू जानवरों का दूध भी बढ़ जाता है. इसके फल को खाने के रूप में भी इस्तेमाल में लाया जाता है. शुरुआत में जब इसके फल कच्चे होते हैं, तब पहाड़ों में इसकी सब्जी बनाकर खाई जाती है. हल्के लाल और पीले हो जाने पर इसका स्वाद काफी अच्छा होता है. इसके फल ज्यादा पकने पर काले भी हो जाते हैं, इसका रायता भी पहाड़ों में लोकप्रिय है.

विश्व का सबसे मीठा फल
हल्द्वानी के आयुर्वेद के वरिष्ठ डॉक्टर विनय खुल्लर ने बताया कि एक शोध पत्र प्रकाशित ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज रिव्यू एंड रिसर्च’ ने तिमला फल की पोषक तत्वों के बारे में विस्तार से बताया है. इस रिपोर्ट में सेब और आम के संवर्धित फलों की तुलना में तिमला में वसा, प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का उच्च मूल्य शामिल हैं. तिमला में 83 फीसदी चीनी होने की वजह से इसे विश्व का सबसे मीठा फल माना जाता है. उन्होंने आगे कहा कि डायबिटीज के रोगियों को दूसरे फलों की तुलना में तिमला का सेवन खासतौर से लाभकारी होता है. यह पोटैशियम का अच्छा स्रोत है, जो ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है. डॉ खुल्लर ने कहा कि तिमला फल में विभिन्न पोषक तत्वों के साथ जीवाणुनाशक गुण युक्त फिनोलिक तत्व भी मौजूद होते हैं. इसमें प्रचुर मात्रा में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर में टॉक्सिक फ्री रेडिकल्स को खत्म कर देता है.
श्राद्ध के दौरान आता है काम
इस पेड़ की धार्मिक मान्यताएं भी काफी ज्यादा हैं. पहाड़ों में इस पेड़ को पीपल के पेड़ जितना पवित्र माना गया है. इसकी पत्तियों को जोड़कर पत्तल बनाई जाती हैं. श्राद्ध के दौरान इन्हीं पत्तल में पितरों को भोग लगाया जाता है. भले ही आज मालू के पत्ते या फिर प्लास्टिक, थर्माकोल के डिस्पोजल का इस्तेमाल किया जाता हो लेकिन कभी एक समय था, जब केवल तिमला की ही पत्तल बनाकर इस्तेमाल की जाती थीं. आज भी ब्राह्मण पूजा आदि में इन पत्तों का इस्तेमाल करते हैं. इसकी पत्तियों से लेकर सभी हिस्सा इस्तेमाल में लाया जाता है. इसके साथ ही जैव विविधता को लेकर भी यह एक खास पेड़ है.

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Ajay Raj
अखबारी दुनिया और मैगजीन में करीब 14 साल काम करने के बाद 2017 में डिजिटल मीडिया में एंट्री. News18 हिंदी के साथ स्‍पोर्ट्स सेक्‍शन से शुरुआत की, लेकिन अब राजनीति की खबरों में मन रच बस गया है. साथ में अमर उजाला, ...और पढ़ें
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