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घर पर लगी है किसी को बुरी नजर? नहीं गिरेगी आकाशीय बिजली, बस घर के मेन गेट पर कर लें यह काम

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उत्तराखंड के नैनीताल निवासी पंडित प्रकाश जोशी बताते हैं कि गंगा दशहरा पत्र को पांच ऋषियों के नामों के साथ तैयार किया जाता है. इस पत्र में एक वृत्ताकार चक्र बनाया जाता है, जिसे पेंसिल और परकार की सहायता से खींचा जाता है. इसके बाद उसमें हरे और पीले जैसे रंग-बिरंगे रंगों से सजावट की जाती है. वृत्त के चारों ओर वज्र निवारक मंत्र लिखे जाते हैं.

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नैनीतालः 5 जून 2025 को देशभर में श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा. ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व गंगा नदी के अवतरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. पवित्र गंगा जल में स्नान कर पुण्य लाभ लेने का यह पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि संस्कृति और विज्ञान का सुंदर संगम भी है. देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में यह पर्व विशेष रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यहां गंगा दशहरा केवल घाटों और मंदिरों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि हर घर इसका हिस्सा बनता है. इस दिन एक विशेष पत्र गंगा दशहरा पत्र को घरों के मुख्य द्वार पर लगाया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे एक अद्भुत दृष्टिकोण भी छुपा है.

उत्तराखंड के नैनीताल निवासी पंडित प्रकाश जोशी बताते हैं कि गंगा दशहरा पत्र को पांच ऋषियों के नामों के साथ तैयार किया जाता है. इस पत्र में एक वृत्ताकार चक्र बनाया जाता है, जिसे पेंसिल और परकार की सहायता से खींचा जाता है. इसके बाद उसमें हरे और पीले जैसे रंग-बिरंगे रंगों से सजावट की जाती है. वृत्त के चारों ओर वज्र निवारक मंत्र लिखे जाते हैं, जिनका उद्देश्य घर को आकाशीय बिजली गिरने जैसे प्राकृतिक खतरों और नकारात्मक शक्तियां से सुरक्षित रखना होता है. हालांकि अब बाजार में कई मशीनों से प्रिंटेड गंगा दशहरा पत्र भी मिल जाते हैं, लेकिन हाथों से दशहरा पत्रों को तैयार करने की परंपरा कुमाऊं में सदियों से चली आ रहीं है.

इस तरह लगाया जाता है दशहरा पत्र

कुमाऊं में दशहरा के कुछ दिन पहले पंडित इन दशहरा पत्रों को हाथ से तैयार करते हैं, और अपने जजमानों के घरों में जाकर इन पत्रों को देते हैं, जिसमें लोग पण्डित को भेंट देते है, इन पत्रों को घर के मंदिर में रखा जाता है और गंगा दशहरा पर्व के दिन इन पत्र की पूजा अर्चना कर इसे घर के मुख्य द्वार की चौखट में चिपका दिया जाता है. इस प्राचीन परंपरा के पीछे यह मान्यता है कि जब बिजली गिरती है यां घर में नकारात्मक शक्तियों का साया पड़ता है तो इस गंगा दशहरा पत्र में लिखी मंत्रात्मक ऊर्जा एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है.

लंबे समय से लोग कर रहे उपाय

आधुनिक विज्ञान भले इसे अंधविश्वास माने, परंतु स्थानीय लोग इसे पीढ़ियों से अपनाते आ रहे हैं और इसे घर की सुरक्षा का उपाय मानते हैं. गंगा दशहरा का यह रूप हमें यह सिखाता है कि कैसे हमारी सांस्कृतिक धरोहरें केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन से भी जुड़ी होती हैं. उत्तराखंड की यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों को संस्कार, विज्ञान और प्रकृति के प्रति जागरूक करने वाली मिसाल बन सकती है.

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Prashant Rai
Prashant Rai is a seasoned journalist with over seven years of extensive experience in the media industry. Having honed his skills at some of the most respected news outlets, including ETV Bharat, Amar Ujala, a...और पढ़ें
Prashant Rai is a seasoned journalist with over seven years of extensive experience in the media industry. Having honed his skills at some of the most respected news outlets, including ETV Bharat, Amar Ujala, a... और पढ़ें
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