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खुशखबरी! हरिद्वार में रहने वाले 80 हजार श्रमिकों के बनेंगे राशन कार्ड, विभाग ने कसी कमर

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हरिद्वार के जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी तेज बल सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे श्रमिक जो देश के अलग-अलग राज्यों से आकर यहां काम कर रहे हैं और श्रमिक पोर्टल पर जिनका पंजीकरण हुआ है, उनके राशन कार्ड बनाने हैं.

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ओम प्रयास/ हरिद्वार. हरिद्वार में काम करने वाले श्रमिकों के लिए अच्छी खबर है. हरिद्वार में देश भर के अलग अलग राज्यों से आकर काम करने वाले श्रमिकों के राशन कार्ड बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विभाग श्रमिकों के राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया में जुटा है. हरी झंडी के बाद खाद्य पूर्ति विभाग के लिए करीब 80 हजार श्रमिकों में से ऐसे श्रमिक परिवारों को ढूंढना जिनका राशन कार्ड नहीं बना है काफी मुश्किल है.

जानकारी के अनुसार खाद्य पूर्ति विभाग को केवल श्रमिकों के नाम और फोन नंबर दिए गए हैं. जिनमें से ऐसे श्रमिकों को ढूंढना, जिनके राशन कार्ड नहीं हैं, विभाग के लिए काफी मुश्किल हो चला है. जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा कई श्रमिकों के राशन कार्ड को लेकर फोन कर जानकारी ली गई, तो किसी का फोन नहीं लगा, तो किसी श्रमिक का फोन बंद आया. विभाग को पूरी जानकारी नहीं मिली. इसके बावजूद भी विभाग ऐसे श्रमिकों को ढूंढने में जुटा है, जिनके राशन कार्ड नहीं बने हुए हैं. बता दें कि श्रमिक पोर्टल पर दर्ज श्रमिकों के राशन कार्ड बनाने को लेकर कोर्ट ने आदेश दिया था. जिसके बाद श्रमिक विभाग द्वारा करीब 80 हजार श्रमिकों के नाम की लिस्ट खाद्य पूर्ति विभाग को सौंपी गई है.
इस बात की जानकारी के लिए हमने हरिद्वार के जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी तेज बल सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे श्रमिक जो देश के अलग-अलग राज्यों से आकर यहां काम कर रहे हैं और श्रमिक पोर्टल पर जिनका पंजीकरण हुआ है, उनके राशन कार्ड बनाने हैं. ऐसे में जिला खाद्य पूर्ति विभाग को करीब 80 हजार श्रमिकों की सूची दी गई है. जिनके राशन कार्ड बनाए जाने हैं. वहीं  उनका कहना है कि जो डाटा उन्हें ई-श्रमिक पोर्टल से प्राप्त हुआ है, उसमें ऐसा कुछ नहीं लिखा है. जिससे मालूम हो सके कि किसका श्रमिक का राशन कार्ड बना है या नहीं. वहीं दूसरी समस्याओं को लेकर उन्होंने कहा कि जो श्रमिक ई पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, उनके आधार नंबर खाद्य पूर्ति विभाग को नहीं दिए गए. तेजबल सिंह बताते हैं कि खाद्य पूर्ति विभाग का पोर्टल या तो राशन कार्ड नंबर को सर्च करता है या फिर आधार कार्ड नंबर से मालूम होता है कि उनका राशन कार्ड बना है या नहीं. इस स्थिति में जब विभाग द्वारा ई-श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत श्रमिकों से उनके फोन नंबर पर संपर्क किया जा रहा है. जिसमें कुछ लोग सहयोग करते हैं और ज्यादातर लोग अपने प्रमाण पत्र या कोई भी जानकारी नहीं देते हैं. तेजपाल सिंह बताते हैं कि जब तक विभाग को आधार कार्ड नहीं प्राप्त होते तब तक विभाग श्रमिकों से संपर्क कर रहे हैं. जिसमें उन्होंने अब तक 16 हजार श्रमिकों से बातचीत कर ली है. वह बताते हैं कि इन 16 हजार श्रमिकों में से करीब 70% श्रमिकों के राशन कार्ड बने हुए हैं.
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