India-Pakistan War: SH-15 हॉवित्जर पर इतरा रहा पाकिस्तान, भारत के K-9 वज्र के सामने कितना दमदार चाइनीज माल?
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Agency:News18India
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India-Pakistan War: भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात हैं. पहलगाम अटैक के बाद पाक को भारत के हमले का डर है. इसके डर से पाक सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है. उसने SH-15 हॉवित्जर तैनात किए हैं. चलिए जानते हैं भारत के K-9 वज्र के सामने यह कितना दमदार हथियार है.

India-Pakistan War: पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान खौफ के साए में जी रहा है. दिन-रात उसे हमले का डर सता रहा है. भारत के अटैक से बचने को जमीन से लेकर आसमान तक अपनी सुरक्षा बढ़ा रहा है. पाकिस्तान अब भारत की सीमा पर अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है. उसने सीमा पर भारत की ओर एयर डिफेंस और तोपखाने की यूनिट्स तैनात कर दी है. इतना ही नहीं, भारत से बचने को पाक वायुसेना तीन युद्धाभ्यास भी कर रही है- फिज़ा-ए-बद्र, ललकार-ए-मोमिन और जर्ब-ए-हैदरी. इनमें पाक अपने प्रमुख हथियारों मसलन F-16, J-10 और JF-17 संग अभ्यास कर रहा है. इतना ही नहीं, चीन से मिले SH-15 हॉवित्जर को भी पाक सेना लगातार आगे की जगहों पर तैनात कर रही है. पाकिस्तान का SH-15 हॉवित्जर हथियार भले ही चाइनीज माल है, मगर दावा तो यह भी है कि परमाणु हमला करने में माहिर है. चलिए जानते हैं कि क्या है SH-15 हॉवित्जर और कितनी घातक है.
दरअसल, SH-15 हॉवित्जर एक चीनी हथियार है. इसे पाकिस्तान ने चीन से खरीदा है, जिसे चीनी कंपनी नॉरिन्को ने बनाया है. यह 155 मिमी/52-कैलिबर का स्वचालित, व्हीकल-माउंटेड तोप है. यानी यह हथियार 155 एमएम के गोले दाग सकता है. इसे पाक सेना ने चीन से 2019 में करीब 200 से अधिक यूनिट्स एसएच-15 हॉवित्जर खरीदने की डील की थी. इसकी डिलीवरी 2022 में शुरू हुई. अब यह पाकिस्तानी सेना के आर्टिलरी आधुनिकीकरण का अहम हिस्सा है. पाकिस्तान ने पहलगाम अटैक के बाद से इसे नियंत्रण रेखा (LoC) के पास तैनात किया है.
SH-15 हॉवित्जर की खासियत
इसकी खासियत की बात करें तो इसे पाक और चीन मारक और घातक बताते हैं. SH-15 की रेंज 20 किमी से 53 किमी तक है. यानी यह नाटो गोला-बारूद के साथ-साथ र GPS-निर्देशित गोले भी दाग सकता है. इसकी डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम, स्वचालित गन-लेइंग, और GPS-नेविगेशन सटीकता बढ़ाते हैं. इस हथियार को 6×6 शानक्सी ट्रक के चेसिस पर फिट किया गया है. यह 90 किमी/घंटा की गति और 500 किमी की रेंज के साथ ‘शूट एंड स्कूट’ रणनीति के लिए बेस्ट माना जाता है. इसके बख्तरबंद केबिन और हाइड्रो-न्यूमैटिक सस्पेंशन पहाड़ी और जटिल इलाकों में प्रभावी बनाते हैं. यानी पहाड़ी इलाकों के लिए एसच-15 को बेस्ट माना जाता है. दावा तो पाकिस्तान की तरफ से यह भी कहा जाता है कि यह न्यूक्लियर गोले दाग सकता है. हालांकि, इसमें कितना दम है, यह तो जंग के मैदान में ही पता चलेगा.
इसकी खासियत की बात करें तो इसे पाक और चीन मारक और घातक बताते हैं. SH-15 की रेंज 20 किमी से 53 किमी तक है. यानी यह नाटो गोला-बारूद के साथ-साथ र GPS-निर्देशित गोले भी दाग सकता है. इसकी डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम, स्वचालित गन-लेइंग, और GPS-नेविगेशन सटीकता बढ़ाते हैं. इस हथियार को 6×6 शानक्सी ट्रक के चेसिस पर फिट किया गया है. यह 90 किमी/घंटा की गति और 500 किमी की रेंज के साथ ‘शूट एंड स्कूट’ रणनीति के लिए बेस्ट माना जाता है. इसके बख्तरबंद केबिन और हाइड्रो-न्यूमैटिक सस्पेंशन पहाड़ी और जटिल इलाकों में प्रभावी बनाते हैं. यानी पहाड़ी इलाकों के लिए एसच-15 को बेस्ट माना जाता है. दावा तो पाकिस्तान की तरफ से यह भी कहा जाता है कि यह न्यूक्लियर गोले दाग सकता है. हालांकि, इसमें कितना दम है, यह तो जंग के मैदान में ही पता चलेगा.
भारत के वज्र के सामने कितना दमदार?
यहां बताना जरूरी है कि पाकिस्तान का यह चाइनीज माल भारत के K-9 वज्र के सामने कहीं नहीं टिकता. सच बात तो यह है कि K-9 वज्र को टक्कर देने के लिए ही पाकिस्तान ने चीन से SH-15 हॉवित्जर की खरीद की है. K-9 वज्र की रेंज भी SH-15 हॉवित्जर जैसी ही है. हालांकि, यह गोले के प्रकार भी डिपेंड करता है. इसकी खास बात है कि यह प्रति मिनट 6-8 गोले दाग सकता है, जबकि SH-15 की फायरिंग दर कम है. वज्र का डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम और इनर्शियल नेविगेशन सटीक हमले सुनिश्चित करते हैं. इसका ट्रैक-आधारित डिज़ाइन, SH-15 के व्हील-आधारित चेसिस की तुलना में रेगिस्तानी और पहाड़ी इलाकों में बेहतर गतिशीलता और स्थिरता प्रदान करता है. 50 टन वजनी वज्र बख्तरबंद सुरक्षा और ‘शूट एंड स्कूट’ क्षमता प्रदान करता है. इसका मतलब अगर SH-15 हॉवित्जर और K-9 वज्र में टक्कर हो तो हमारा K-9 वज्र उस पर भारी पड़ेगा.
यहां बताना जरूरी है कि पाकिस्तान का यह चाइनीज माल भारत के K-9 वज्र के सामने कहीं नहीं टिकता. सच बात तो यह है कि K-9 वज्र को टक्कर देने के लिए ही पाकिस्तान ने चीन से SH-15 हॉवित्जर की खरीद की है. K-9 वज्र की रेंज भी SH-15 हॉवित्जर जैसी ही है. हालांकि, यह गोले के प्रकार भी डिपेंड करता है. इसकी खास बात है कि यह प्रति मिनट 6-8 गोले दाग सकता है, जबकि SH-15 की फायरिंग दर कम है. वज्र का डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम और इनर्शियल नेविगेशन सटीक हमले सुनिश्चित करते हैं. इसका ट्रैक-आधारित डिज़ाइन, SH-15 के व्हील-आधारित चेसिस की तुलना में रेगिस्तानी और पहाड़ी इलाकों में बेहतर गतिशीलता और स्थिरता प्रदान करता है. 50 टन वजनी वज्र बख्तरबंद सुरक्षा और ‘शूट एंड स्कूट’ क्षमता प्रदान करता है. इसका मतलब अगर SH-15 हॉवित्जर और K-9 वज्र में टक्कर हो तो हमारा K-9 वज्र उस पर भारी पड़ेगा.
भारत भी जवाब देने को तैयार
सीमा पर भारत ने भी करीब 100 K-9 वज्र यूनिट्स तैनात किए हैं. नियंत्रण रेखा पर इसकी तैनाती पाकिस्तान की SH-15 को पस्त कर देगी. इतना ही नहीं, भारत का पिनाका रॉकेट सिस्टम और ड्रोन निगरानी K-9 को और मजबूत करते हैं.K-9 वज्र भारतीय सेना के पास नवंबर 2018 से है. भारत और पाकिस्तान की यह तैनाती इसलिए भी अहम है, क्योंकि कभी भी दोनों देशों के बीच युद्ध भड़क सकती है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. पहलगाम अटैक 26 लोग मारे गए थे. आतंकियों ने धर्म पूछकर टूरिस्टों को मारा था. इस हमले के बाद से पाकिस्तान को डर सता रहा है कि भारत बदला जरूर लेगा.
सीमा पर भारत ने भी करीब 100 K-9 वज्र यूनिट्स तैनात किए हैं. नियंत्रण रेखा पर इसकी तैनाती पाकिस्तान की SH-15 को पस्त कर देगी. इतना ही नहीं, भारत का पिनाका रॉकेट सिस्टम और ड्रोन निगरानी K-9 को और मजबूत करते हैं.K-9 वज्र भारतीय सेना के पास नवंबर 2018 से है. भारत और पाकिस्तान की यह तैनाती इसलिए भी अहम है, क्योंकि कभी भी दोनों देशों के बीच युद्ध भड़क सकती है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. पहलगाम अटैक 26 लोग मारे गए थे. आतंकियों ने धर्म पूछकर टूरिस्टों को मारा था. इस हमले के बाद से पाकिस्तान को डर सता रहा है कि भारत बदला जरूर लेगा.
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Shankar Pandit
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
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