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ये हैं एशिया के 10 महान शासक

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दुनिया जिन सात महाद्वीपों बंटी हुई है, उनमें एशिया सबसे बडा महाद्वीप है। एशिया में भारत, चीन, रूस जैसी विशाल और प्राचीन सभ्‍यताएं आज के आधुनिक दौर में भी विश्‍व में अपनी एक खास अहमियत रखती हैं। एशिया के पास जितनी भौगोलिक संपदा, प्राकृतिक विवधता, धर्म, दर्शन, कला संस्‍कृति, साहित्‍य और विराट ज्ञान वैभव, पूरी दुनिया में कहीं नहीं रहा। यहां बेखौफ जाबांज योद्धा और लडाके रहे, जिन्‍होंने अपनी तलवार के दम पर पूरी दुनिया को चुनौती दी, तो वहीं ऐसे महान शासक भी रहे, जिनके विशाल साम्राज्‍य कहीं नहीं रहे और उनके राज्‍य में निर्मित हुए कला संस्‍कृति के नायाब नमूने आज भी दुनिया को हैरत में डाल देते हैं। आइए आपको मिलाते हैं, एशिया के 10 ऐसे महान शासकों से, जिन्‍होंने अपने शासन और साम्राज्‍य से पूरी दुनिया में अपनी खास जगह बनाई।

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<b>शाहजहां</b>: शाहजहां भारत और एशिया के महान मुगल शासकों में से एक था। उसका जन्‍म 5 जनवरी 1592 को हुआ था जबकि मृत्‍यु 22 जनवरी 1666 को हुई थी। हालांकि उसने अपने साम्राज्‍य का विस्‍तार नहीं किया था और उसका शासन भारत तक ही सीमित था। उसने भारत पर 1628 से लेकर 1658 तक शासन किया। अपनी तमाम उपलब्धियों के बीच आधुनिक दुनिया को उसकी सबसे बड़ी देन ताजमहल जैसी अनोखी कृति है। यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है। अपनी पत्‍नी मुमताज की याद में बनवाई उसकी यह इमारत आज भी भारत और पूरी दुनिया में मुगल स्थापत्‍य कला की सबसे महान कृति है।
<b>शाहजहां</b>: शाहजहां भारत और एशिया के महान मुगल शासकों में से एक था। उसका जन्‍म 5 जनवरी 1592 को हुआ था जबकि मृत्‍यु 22 जनवरी 1666 को हुई थी। हालांकि उसने अपने साम्राज्‍य का विस्‍तार नहीं किया था और उसका शासन भारत तक ही सीमित था। उसने भारत पर 1628 से लेकर 1658 तक शासन किया। अपनी तमाम उपलब्धियों के बीच आधुनिक दुनिया को उसकी सबसे बड़ी देन ताजमहल जैसी अनोखी कृति है। यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है। अपनी पत्‍नी मुमताज की याद में बनवाई उसकी यह इमारत आज भी भारत और पूरी दुनिया में मुगल स्थापत्‍य कला की सबसे महान कृति है।
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<b>तैमूर लंग</b>: तैमूर लंग बचपन से लंगड़ा था। वो किसी राजकुमार की तरह राजवंश में नहीं जन्मा था। लेकिन लड़ाकू लोगों की सेना बनाकर उसने भारत समेत दक्षिणी, पश्चिमी और मध्य एशिया पर अपनी तलवार के दम पर साम्राज्य स्थापित किया। वह एक शानदार लड़ाका और योद्धा था, लेकिन इतिहास उसे बेहद क्रूर शासक के रूप में जानता है। यहां तक कि आधुनिक दौर में हिटलर और स्‍टालिन के तौर पर देखता है। तैमूर ने तैमूर राजवंश की स्‍थापना की थी। उसका साम्राज्‍य पश्चिमी एशिया से लेकर मध्‍य एशिया और भारत तक फैला था।
<b>तैमूर लंग</b>: तैमूर लंग बचपन से लंगड़ा था। वो किसी राजकुमार की तरह राजवंश में नहीं जन्मा था। लेकिन लड़ाकू लोगों की सेना बनाकर उसने भारत समेत दक्षिणी, पश्चिमी और मध्य एशिया पर अपनी तलवार के दम पर साम्राज्य स्थापित किया। वह एक शानदार लड़ाका और योद्धा था, लेकिन इतिहास उसे बेहद क्रूर शासक के रूप में जानता है। यहां तक कि आधुनिक दौर में हिटलर और स्‍टालिन के तौर पर देखता है। तैमूर ने तैमूर राजवंश की स्‍थापना की थी। उसका साम्राज्‍य पश्चिमी एशिया से लेकर मध्‍य एशिया और भारत तक फैला था।
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<b>जू दी</b>: चीन में यंगोल शासक जू दी का जन्‍म 2 मई 1360 को हुआ‍, जबकि मृत्‍यु 12 अगस्‍त 1424 को हुई। जू दी ने चीन में 17 जुलाई 1402 से लेकर 12 अगस्‍त 1424 तक शासन किया। चीन में शानदार नगरों के निर्माण, वैश्विक विरासत के महत्‍व की इमारतों के निर्माण का सारा श्रेय जू दी को जाता है। जू ने ही 1405 से लेकर 1433 में झेंग नाम के यात्री को समुद्री यात्रा पर भेजकर एशिया और अफ्रीका के ज्ञान को एक जगह एकत्रित करवाया था, उसके द्वारा बनवाया गया शानदार विश्‍व कोष आज भी पूरी दुनिया में मान्‍य है।
<b>जू दी</b>: चीन में यंगोल शासक जू दी का जन्‍म 2 मई 1360 को हुआ‍, जबकि मृत्‍यु 12 अगस्‍त 1424 को हुई। जू दी ने चीन में 17 जुलाई 1402 से लेकर 12 अगस्‍त 1424 तक शासन किया। चीन में शानदार नगरों के निर्माण, वैश्विक विरासत के महत्‍व की इमारतों के निर्माण का सारा श्रेय जू दी को जाता है। जू ने ही 1405 से लेकर 1433 में झेंग नाम के यात्री को समुद्री यात्रा पर भेजकर एशिया और अफ्रीका के ज्ञान को एक जगह एकत्रित करवाया था, उसके द्वारा बनवाया गया शानदार विश्‍व कोष आज भी पूरी दुनिया में मान्‍य है।
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<b>कुबलाई खान</b>: कुबलई ख़ान या 'खुबिलाई ख़ान' मंगोल साम्राज्य का पांचवां सबसे बड़ा शासक था। उसका जन्‍म 23 सितंबर 1215 को हुआ था जबकि मृत्‍यु 18 फरवरी 1294 को। उसने 1260 से 1294 तक शासन किया। वह पूर्वी एशिया में युआन वंश का संस्थापक था। उसका राज्य प्रशान्त महासागर से लेकर यूराल तक और साइबेरिया से वर्तमान अफगानिस्तान तक फैला हुआ था, जो विश्व के रहने योग्य क्षेत्रफल का 20 प्रतिशत था। कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। कुबलई खान ने कला, संस्‍कृति और साहित्‍य के लिए भी बहुत काम किया। वह खुद भी बहुत अच्‍छा कवि था।
<b>कुबलाई खान</b>: कुबलई ख़ान या 'खुबिलाई ख़ान' मंगोल साम्राज्य का पांचवां सबसे बड़ा शासक था। उसका जन्‍म 23 सितंबर 1215 को हुआ था जबकि मृत्‍यु 18 फरवरी 1294 को। उसने 1260 से 1294 तक शासन किया। वह पूर्वी एशिया में युआन वंश का संस्थापक था। उसका राज्य प्रशान्त महासागर से लेकर यूराल तक और साइबेरिया से वर्तमान अफगानिस्तान तक फैला हुआ था, जो विश्व के रहने योग्य क्षेत्रफल का 20 प्रतिशत था। कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। कुबलई खान ने कला, संस्‍कृति और साहित्‍य के लिए भी बहुत काम किया। वह खुद भी बहुत अच्‍छा कवि था।
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<b>जेरेक्‍सेस प्रथम</b>: जेरेक्‍सेस प्रथम भी पर्सिया के महत्‍वपूर्ण शासकों में से एक गिना जाता है। उसका शासन काल 519 ईसा पूर्व से लेकर 465 ईसा पूर्व तक माना जाता है। जेरेक्‍सेस ने पर्सियन साम्राज्‍य का न केवल विस्‍तार किया, बल्कि उसे समृद्ध भी किया। यूनान पर उसका असफल हमला उसे न केवल पूरे एशिया में बल्कि पश्चिम में भी एक खास शासक के रूप में पहचान दिलाता है। ।
<b>जेरेक्‍सेस प्रथम</b>: जेरेक्‍सेस प्रथम भी पर्सिया के महत्‍वपूर्ण शासकों में से एक गिना जाता है। उसका शासन काल 519 ईसा पूर्व से लेकर 465 ईसा पूर्व तक माना जाता है। जेरेक्‍सेस ने पर्सियन साम्राज्‍य का न केवल विस्‍तार किया, बल्कि उसे समृद्ध भी किया। यूनान पर उसका असफल हमला उसे न केवल पूरे एशिया में बल्कि पश्चिम में भी एक खास शासक के रूप में पहचान दिलाता है। ।
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<b>जलालुद्दीन मोहम्‍मद अकबर</b>:जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर भारत के महान और एशिया के सर्वश्रेष्‍ठ शासकों में से एक है। अकबर का शासनकाल सन् 1556 से लेकर 1605 तक रहा। अकबर ने भारतीय उपमहाद्वीप में मुग़ल साम्राज्‍य का विस्तार किया। पिछले सभी दूसरे मुगल शासकों की तुलना में अकबर की शासन करने की नीति काफी खुली थी। उसने इस्‍लामी कट्टरता से दूर रहते हुए गैर मुसलमानों का दिल जीत लिया। अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान करते हुए उसने भारत में मुगल स्‍थापत्‍य कला, संस्‍कृति, साहित्‍य और संगीत को काफी बढ़ावा दिया। अकबर ने अपने शासनकाल में सारे भारत को एक साम्राज्य के अंतर्गत लाने का भी प्रयास किया, जिसमें वह काफ़ी हद तक सफल रहा।
<b>जलालुद्दीन मोहम्‍मद अकबर</b>:जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर भारत के महान और एशिया के सर्वश्रेष्‍ठ शासकों में से एक है। अकबर का शासनकाल सन् 1556 से लेकर 1605 तक रहा। अकबर ने भारतीय उपमहाद्वीप में मुग़ल साम्राज्‍य का विस्तार किया। पिछले सभी दूसरे मुगल शासकों की तुलना में अकबर की शासन करने की नीति काफी खुली थी। उसने इस्‍लामी कट्टरता से दूर रहते हुए गैर मुसलमानों का दिल जीत लिया। अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान करते हुए उसने भारत में मुगल स्‍थापत्‍य कला, संस्‍कृति, साहित्‍य और संगीत को काफी बढ़ावा दिया। अकबर ने अपने शासनकाल में सारे भारत को एक साम्राज्य के अंतर्गत लाने का भी प्रयास किया, जिसमें वह काफ़ी हद तक सफल रहा।
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<b>मेइजी द ग्रेट</b>: मेइजी को जापान के पुनरुद्धार के लिए जाना जाता है। एशिया के महान शासकों में से एक मेइजी का जन्‍म 3 नवंबर 1852 को जबकि मृत्‍यु 30 जुलाई 1912 को हुई थी। मेइजी ने जापान को आधुनिक बनाने के लिए बहुत काम किया। मेइजी के रहते ही जापान ने मॉर्डन होती दुनिया के साथ कदमताल मिलाना शुरू किया और जापान ने अपनी शक्ति को पहचाना। मेइजी की सत्‍ता में ही जापान ने चीन को 1894 से लेकर 1895 के बीच हुए युद्ध में हराया। इसके अलावा रूस को भी 1904 और 1905 के बीच हुए युद्ध में हराकर मंचूरिया और कोरिया को अपने कब्‍जे में ले लिया। 19वीं और 20वीं शताब्‍दी के बीच जहां साम्राज्‍यवाद का उदय जोरों पर था ऐसे में मेइजी के शासन काल में ही जापान एशिया की पहली सुपरपावर बनकर सामने आया।
<b>मेइजी द ग्रेट</b>: मेइजी को जापान के पुनरुद्धार के लिए जाना जाता है। एशिया के महान शासकों में से एक मेइजी का जन्‍म 3 नवंबर 1852 को जबकि मृत्‍यु 30 जुलाई 1912 को हुई थी। मेइजी ने जापान को आधुनिक बनाने के लिए बहुत काम किया। मेइजी के रहते ही जापान ने मॉर्डन होती दुनिया के साथ कदमताल मिलाना शुरू किया और जापान ने अपनी शक्ति को पहचाना। मेइजी की सत्‍ता में ही जापान ने चीन को 1894 से लेकर 1895 के बीच हुए युद्ध में हराया। इसके अलावा रूस को भी 1904 और 1905 के बीच हुए युद्ध में हराकर मंचूरिया और कोरिया को अपने कब्‍जे में ले लिया। 19वीं और 20वीं शताब्‍दी के बीच जहां साम्राज्‍यवाद का उदय जोरों पर था ऐसे में मेइजी के शासन काल में ही जापान एशिया की पहली सुपरपावर बनकर सामने आया।
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<b>डॉरियस प्रथम</b>: डॉरियस ने पर्सिया पर पूरे 36 सालों तक शासन किया। उसका शासन काल 519 ईसा पूर्व से लेकर 465 ईसा पूर्व तक रहा। उसके शासन काल ने पर्सिया साम्राज्‍य का एशिया और अफ्रीका त‍क विस्‍तार हुआ। इसके अलावा डॉरियस प्रथम ने अपने शासनकाल में साहित्‍य और कला और नागर निर्माण कला के क्षेत्र में भी काफी काम करवाया। उसके द्वारा बनवाई गई बहिश्‍तून और पैलेस ऑफ पॉर्सिपोलिस विश्‍व प्रस‍द्धि हैं। हालांकि पैलेस पूरी तरह से नष्‍ट हो गया है, लेकिन उसके खंडहर आज भी विश्‍व विरासत हैं। कहा जाता है सिकंदर की सेना ने इस पैलेस का एक हिस्‍सा नष्‍ट कर दिया था। पर्सिया के इतिहास में डॉरियस प्रथम एक महान शासक के रूप में जाना जाता है।
<b>डॉरियस प्रथम</b>: डॉरियस ने पर्सिया पर पूरे 36 सालों तक शासन किया। उसका शासन काल 519 ईसा पूर्व से लेकर 465 ईसा पूर्व तक रहा। उसके शासन काल ने पर्सिया साम्राज्‍य का एशिया और अफ्रीका त‍क विस्‍तार हुआ। इसके अलावा डॉरियस प्रथम ने अपने शासनकाल में साहित्‍य और कला और नागर निर्माण कला के क्षेत्र में भी काफी काम करवाया। उसके द्वारा बनवाई गई बहिश्‍तून और पैलेस ऑफ पॉर्सिपोलिस विश्‍व प्रस‍द्धि हैं। हालांकि पैलेस पूरी तरह से नष्‍ट हो गया है, लेकिन उसके खंडहर आज भी विश्‍व विरासत हैं। कहा जाता है सिकंदर की सेना ने इस पैलेस का एक हिस्‍सा नष्‍ट कर दिया था। पर्सिया के इतिहास में डॉरियस प्रथम एक महान शासक के रूप में जाना जाता है।
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<b>साइरस द्व‍ितीय</b>: साइरस द्व‍ितीय पर्सिया का महान योद्धा और शासक रहा। यह जेरेक्‍सेस का पिता था और उसने ही पर्सियन साम्राज्‍य की नींव डाली। साइरस इतिहास में पहला ऐसा शासक था जिसकी सल्‍तनत तीन महाद्वीपों तक फैली हुई थी। साइरस की सेना में एक से एक सेनापति, योद्धाओं की फौज थी। साइरस की पहचान एक धार्मिक नेता के रूप में भी होती है क्‍योंकि बेबीलोनिया से यहूदियों को मुक्‍त कराने में भी साइरस ने सहयोग किया था और उन्‍हें जेरुसलम स्‍थापित करने में मदद की थी। आज भी यहूदी साइरस को एक मसीहा के रूप में देखते हैं।
<b>साइरस द्व‍ितीय</b>: साइरस द्व‍ितीय पर्सिया का महान योद्धा और शासक रहा। यह जेरेक्‍सेस का पिता था और उसने ही पर्सियन साम्राज्‍य की नींव डाली। साइरस इतिहास में पहला ऐसा शासक था जिसकी सल्‍तनत तीन महाद्वीपों तक फैली हुई थी। साइरस की सेना में एक से एक सेनापति, योद्धाओं की फौज थी। साइरस की पहचान एक धार्मिक नेता के रूप में भी होती है क्‍योंकि बेबीलोनिया से यहूदियों को मुक्‍त कराने में भी साइरस ने सहयोग किया था और उन्‍हें जेरुसलम स्‍थापित करने में मदद की थी। आज भी यहूदी साइरस को एक मसीहा के रूप में देखते हैं।
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दुनिया जिन सात महाद्वीपों बंटी हुई है, उनमें एशिया सबसे बड़ा महाद्वीप है। एशिया में भारत, चीन, रूस जैसी विशाल और प्राचीन सभ्‍यताएं आज के आधुनिक वैश्विक दौर में भी अपनी एक खास अहमियत रखती हैं। एशिया जितनी भौगोलिक संपदा, प्राकृतिक विवधता, धर्म, दर्शन, कला-संस्‍कृति, साहित्‍य और विराट ज्ञान वैभव पूरी दुनिया में कहीं नहीं रहा। यहां एक ओर बेखौफ जांबाज योद्धा और लड़ाके रहे, जिन्‍होंने अपनी तलवार के दम पर पूरी दुनिया को चुनौती दी, तो वहीं दूसरी ओर ऐसे महान शासक भी रहे, जिनके विशाल साम्राज्‍यों की आज भी दुनिया में तूती बोलती है, और उनके राज्‍य में निर्मित हुए कला संस्‍कृति के नायाब नमूने आज भी पूरे विश्‍व को हैरत में डालते हैं। आइए आपको मिलाते हैं, एशिया के 10 ऐसे महान शासकों से, जिन्‍होंने अपने शासन और साम्राज्‍य से पूरी दुनिया में अपनी खास जगह बनाई।
दुनिया जिन सात महाद्वीपों बंटी हुई है, उनमें एशिया सबसे बड़ा महाद्वीप है। एशिया में भारत, चीन, रूस जैसी विशाल और प्राचीन सभ्‍यताएं आज के आधुनिक वैश्विक दौर में भी अपनी एक खास अहमियत रखती हैं। एशिया जितनी भौगोलिक संपदा, प्राकृतिक विवधता, धर्म, दर्शन, कला-संस्‍कृति, साहित्‍य और विराट ज्ञान वैभव पूरी दुनिया में कहीं नहीं रहा। यहां एक ओर बेखौफ जांबाज योद्धा और लड़ाके रहे, जिन्‍होंने अपनी तलवार के दम पर पूरी दुनिया को चुनौती दी, तो वहीं दूसरी ओर ऐसे महान शासक भी रहे, जिनके विशाल साम्राज्‍यों की आज भी दुनिया में तूती बोलती है, और उनके राज्‍य में निर्मित हुए कला संस्‍कृति के नायाब नमूने आज भी पूरे विश्‍व को हैरत में डालते हैं। आइए आपको मिलाते हैं, एशिया के 10 ऐसे महान शासकों से, जिन्‍होंने अपने शासन और साम्राज्‍य से पूरी दुनिया में अपनी खास जगह बनाई।
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<b>चंगेज खां</b>: चंगेज खां एक मंगोल शासक था, जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में अहम किरदार निभाया था। अपनी बेहतरीन संगठन शक्ति, बर्बरता और साम्राज्य विस्तार के लिए वह दुनिया में बेहद प्रसिद्ध हुआ। उसका साम्राज्‍य सिंकदर से भी ज्‍यादा बड़ा था। कुबलानी और तिमूर लंग के साम्राज्‍य की नींव चंगेज खान ने ही डाली थी। इतिहास कहता है कि मंगोलिया के इस महान योद्धा ने अपने अदम्‍य साहस और शक्‍ति के बूते तलवार के दम पर समूचे एशिया को जीत लिया था। खास बात है कि वो भारत उसकी पहुंच से बाहर हो गया। इसे उसका नसीब कहें या भारत की‍ नियति, लेकिन सिंधु नदी के तट से दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के हार मानने के बाद वह वापस लौट गया। उसके लौटने का कारण भीषण गर्मी, कुदरती आवास की दिक्‍कतें थीं। सन् 1227 में उसकी मृत्‍यु हो गई।
<b>चंगेज खां</b>: चंगेज खां एक मंगोल शासक था, जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में अहम किरदार निभाया था। अपनी बेहतरीन संगठन शक्ति, बर्बरता और साम्राज्य विस्तार के लिए वह दुनिया में बेहद प्रसिद्ध हुआ। उसका साम्राज्‍य सिंकदर से भी ज्‍यादा बड़ा था। कुबलानी और तिमूर लंग के साम्राज्‍य की नींव चंगेज खान ने ही डाली थी। इतिहास कहता है कि मंगोलिया के इस महान योद्धा ने अपने अदम्‍य साहस और शक्‍ति के बूते तलवार के दम पर समूचे एशिया को जीत लिया था। खास बात है कि वो भारत उसकी पहुंच से बाहर हो गया। इसे उसका नसीब कहें या भारत की‍ नियति, लेकिन सिंधु नदी के तट से दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के हार मानने के बाद वह वापस लौट गया। उसके लौटने का कारण भीषण गर्मी, कुदरती आवास की दिक्‍कतें थीं। सन् 1227 में उसकी मृत्‍यु हो गई।
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