क्या आपको पता है काली और पीली सरसों में अंतर? जानें किसमें कितना निकलता है तेल
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Yellow and black mustard: गया. भारतीय रसोई में पाया जाने वाला सरसों का तेल सिर की मालिश से लेकर बॉडी मसाज और खाना पकाने में भी इस्तेमाल किया जाता है. सरसों का तेल सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. सरसों के तेल में मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाई जाती है, जो हृदय के लिए अच्छा होता है. सरसों का तेल फंगल इंफेक्शन को भी ठीक करता है. इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो सूजन को कम करते हैं. रिपोर्ट- कुंदन कुमार

सरसों का तेल कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर होता है. इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं. यह त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद है, और इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण भी पाए जाते हैं. भारत में आमतौर पर दो प्रकार के सरसों का उपयोग किया जाता है. पहली काली सरसों, जिसे हम राई भी कहते हैं और दूसरी पीली सरसों, जिसे सरसों के बीज भी कहते हैं.

आम तौर पर काली सरसों को तड़का लगाने के लिए दाल, सब्जी और भारतीय शाकाहारी व्यंजनों में इस्तेमाल की जाती है. वहीं, पीली सरसों का उपयोग सब्जी में किया जाता है, जिसका इस्तेमाल तेल के रूप में किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि 10 किलो सरसों के दाने से कितना लीटर तेल निकलता है.
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तेल के व्यवसाय से जुड़े साहूकार से बातचीत के आधार पर लोकल 18 को बताया गया कि सरसों के बीजों में तेल की मात्रा लगभग 30% होती है. 1 क्विंटल सरसों से लगभग 35-40 लीटर तेल निकलता है. 1 क्विंटल सरसों से लगभग 60 किलो खली निकलती है.

गया जिले के तेल व्यवसायी राम व्रत प्रसाद जो लगभग 10 साल से तेल के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. वह बताते हैं कि मील में सरसों की पेराई करने से पहले ग्राहक उसे दो दिन तक धूप में अच्छी तरह सुखा लें. दाने अच्छे से सूखा रहेगा तो 10 किलो काली सरसों से 3.5 लीटर या अधिकतम 4.5 लीटर तक तेल निकलता है.