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Tourist Place in Chitrakoot: चित्रकूट में मौजूद है रहस्यमई मड़फा किला, चंदेल कालीन से जुड़ा है इसका इतिहास

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चित्रकूट के मड़फा की पहाड़ी पर चंदेल कालीन किला है, जिसके ध्वंसावशेष में प्राचीन जैन मंदिर, तीर्थंकर आदिनाथ की प्रतिमाएं और पंचमुखी शिव प्रतिमा है. 

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चित्रकूट के मड़फा की पहाड़ी पर बना मड़फा दुर्ग चंदेल राजाओं के आठ प्रमुख दुर्ग में से एक है. यह असंभव है कि चंदेलों का किला हो और उसमें भव्य जैन मन्दिर न हो. चित्रकूट से लगभग 30 किलोदूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित मड़फा दुर्ग में तीन प्राचीन जैन मंदिर थे, जो आज जर्जर अवस्था में हैं. (धीरेन्द्र शुक्ला/चित्रकूट)
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दुर्ग में स्थित जैन तीर्थंकर प्रतिमाएं और मंदिर के अवशेष अपनी प्राचीनता की प्रमाणिकता साबित करते नजर आते हैं, लेकिन दुर्ग में खजाने व पुरातत्व के लालची इसकी प्राचीन वैभवता का विनाश करने के लिए तत्पर है.
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18वीं सदी के मध्य में टीफेन्थलर नामक एक डच पादरी ने दुर्ग को मण्डेफा नाम से प्रसिद्ध लिखा है. मडफा दुर्ग को कालिंजर दुर्ग का ही एक अंग बताया जाता है. कहावत के अनुसार महर्षि अर्थवर्ण और चरक संहिता के रचयिता वैद्य चरक ऋषि का आश्रम भी मड़फा में ही था.
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भले ही यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, लेकिन परंतु सिर्फ बोर्ड ही लगा है. लगभग 500 सीढ़ियां चढ़कर आप इस पहाड़ी के उपर जाते हैं. जहां एक प्राचीन शिव मंदिर है और उससे एक किमी आगे ऋषि मांडुक्य आश्रम (हनुमान आश्रम) है. जिसके नाम पर इस पहाड़ी का नाम मड़फा पड़ा.
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पहाड़ी पर दो प्राकृतिक तालाब है. जिसमें एक को ऊंचे ऊंचे स्तंभों और छतों के सहारे ढका गया है. इसमें हमेशा पानी रहता है. हनुमान आश्रम के पुजारी पिछले 32 सालों से यहां पर हैं और वह डाकुओं के दौर में भी इस वीरान पहाड़ी पर डटे रहे. (पंचमुखी शिव प्रतिमा)
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पंचमुखी शिव मंदिर में नियमित रूप से भजन और भंडारा होता रहता है. इस स्थल को पर्यटन की मुख्य धारा से जोड़ने की आवश्यकता है.
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चित्रकूट में मौजूद है रहस्यमई मड़फा किला, चंदेल कालीन से जुड़ा है इसका इतिहास