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देश में 100 नए एयरपोर्ट बनने से आपके लिए निकलेंगे बिजनेस और जॉब के ये अवसर

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एयरपोर्ट बनने से रोजगार के साथ ही बिजनेस के तमाम अवसर निकलते हैं. ऐसी जगहों पर पर्यटन, होटल, मोटल, टैक्‍सी सर्विस, बाजार और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का जोरदार विकास होता है. रियल एस्‍टेट सेक्‍टर की चमक बढ़ जाती है और किसान रातोंरात अमीर बन जाते हैं.

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सरकार चार लाख करोड़ रुपए के निवेश से आने वाले चंद वर्षों में 100 नए हवाई अड्डे बनाने जा रही है.  Nikkei Asian Review के साथ एक हालिया इंटरव्‍यू में सिविल एविएशन मिनिस्‍टर जयंत सिन्‍हा ने भी कहा है कि अगले 15 से 20 वर्षों में भारत में 150 से लेकर 200 एयरपोर्ट की सख्‍त जरूरत है. उनके अनुसार, 31 से अधिक एयरपोर्ट अगले 12 महीनों में बनकर तैयार हो जाएंगे और 100 में से 70 हवाई अड्डे ऐसी जगहों पर बनेंगे, जहां फिलहाल यह सुविधा उपलब्‍ध नहीं है.
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इससे लाखों लोगों को जहां जॉब मिलेगी, वहीं हजारों लोगों के लिए बिजनेस के अवसर निकलेंगे. सरकार की मानें तो इस सेक्‍टर में 40 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे और बिजनेस के हजारों अवसर निकलेंगे. जॉब और बिजनेस के अवसर पैदा होने के मामले में सरकार के इस दावे की तस्‍दीक काफी हद तक इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर एक्‍सपर्ट भी करते हैं.
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प्राइवेट और सरकारी दोनों जॉब: इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर एक्‍सपर्ट और फीडबैक इन्‍फ्रा के मार्केटिंग और कम्‍युनिकेशन प्रमुख हर्ष श्रीवास्‍तव ने न्‍यूज18 हिंदी को बताया कि एयरपोर्ट बनने से प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह की नौकरियां निकलेंगी. इनमें प्रमुख हैं- पायलट और अन्‍य क्रू मेंबर्स, गाउंड हैंडलिंग स्‍टाफ, ट्रैफिक कंट्रोल से जुड़े कर्मी, सीआईएसएफ और सामान्‍य पुलिसकर्मियों जैसी सरकारी नौकरियां, टर्मिनल और आसपास के इलाकों में खुलने वाली दुकानें, रेस्‍तरां, होटल, इंडस्‍ट्री लगाने के अवसर और उनमें रोजगार के अवसर आदि.
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प्रशिक्षित लोगों के आएंगे अच्‍छे दिन: श्रीवास्‍तव के अनुसार, सबसे अच्‍छी बात यह है कि सभी 100 शहरों में बड़ी संख्‍या में स्किल्‍ड वर्कर्स की जरूरत होगी, जिससे प्रशिक्षित लोगों को उनके घर के पास नौकरी मिलेगी. अभी सबसे अधिक समस्‍या उन लोगों को हो रही है, जो अपने घर के पास नौकरी करना चाहते हैं. यहां खास बात यह भी है कि एविएशन सेक्‍टर में अक्‍सर बड़े से लेकर छोटे शहरों तक सभी जगहों पर स्किल्‍ड स्‍टाफ को एक सी सैलरी मिलती है, जो सोने पर सुगाहा की तरह होगा.
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बिजनेस के अवसर: एयरपोर्ट बनने से रोजगार ही नहीं, बिजनेस के भी तमाम अवसर निकलते हैं. जहां एयरपोर्ट बनता है, उस शहर के साथ ही आसपास के इलाकों में भी पर्यटन, होटल, मोटल, टैक्‍सी सर्विस, बाजार और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का जोरदार विकास होता है. ऐसे इलाकों में सर्विस सेक्‍टर के साथ ही रियल एस्‍टेट सेक्‍टर की चमक भी बढ़ जाती है. ऐसे इलाकों में जमीन की कीमतें भी काफी बढ़ जाती हैं, जिससे किसानों का भी खूब भला होता है और वे रातोंरात अमीर बन जाते हैं. एयरपोर्ट बनने से अलग-अलग तरह की इंडस्‍ट्री लगने लगती है. इन इंडस्‍ट्री में भी जॉब के साथ बिजनेस के अवसर निकलते हैं.
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30 लाख अप्रत्‍यक्ष जॉब होंगी: नागर विमानन मंत्रालय द्वारा की गई एक स्‍टडी के अनुसार, 15 वर्षों में बनने वाले इन एयरपोर्ट पर एयरलाइंस, कार्गो, एमआरओ (मैंटनेंस, रीपेयर और ऑवरहॉल) और ग्राउंड हैंडलिंग में 8 से 10 लाख लोगों को प्रत्‍यक्ष तौर पर और 30 लाख को अप्रत्‍यक्ष तौर पर जॉब मिलेगी. अमूमन एक डायरेक्‍ट जॉब पर लगभग 3.5 इन्डायरेक्‍ट जॉब निकलती है. प्रत्‍यक्ष जॉब में एयरलाइंस सेग्‍मेंट से सबसे अधिक 32 फीसदी, कार्गो से 25 फीसदी, ठेके वाले काम में 23 फीसदी, ग्राउंड हैंडलिंग में लगभग 17 फीसदी और एमआरओ में लगभग 3 फीसदी जॉब निकलती है.
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लगभग 22000 लोग करते हैं इस सेक्‍टर में काम: इस सेक्‍टर में इस समय लगभग 22,000 लोग काम करते थे. आगे जितने लोगों की जरूरत होगी, उनकी ट्रेनिंग के लिए सरकार नेशनल सिविल एविएशन ट्रेनिंग एनटिटी (एनसीएटीई) की स्‍थापना करने जा रही है. यहां ऐसे लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी.
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डोमेस्टिक सिविल एविएशन में तीसरे नंबर पर भारत: भारत इस समय डोमेस्टिक सिविल एविएशन मार्केट के मामले में दुनिया में तीसरे स्‍थान पर है. इंटरनेशनल सिविल एविएशन के मामले में भी भारत 2026 तक यूके को पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर आ जाएगा. 2017 के अगस्‍त में 9.69 मिलियन लोगों ने हवाई जहाज से यात्रा की, जो पिछले साल की इस अवधि की तुलना में 16 फीसदी अधिक है.
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100 हवाईअड्डे हैं ऑपरेशनल: देश में इस समय लगभग 100 हवाईअड्डे ऑपरेशनल हैं. भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला मार्केट है. यही कारण है कि इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस कंपनियां सिंगल ऑयल एयरक्राफ्ट के अलावा 100 छोटे प्लेन अपने बेड़े में जोड़ने जा रही हैं.
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जमीन की समस्‍या का यह समाधान निकालेगी सरकार: नागर विमानन मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा है कि हवाई अड्डों के विकास को लेकर केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर कई मॉडल्स पर काम कर रही है. इससे तेजी से जमीन खरीदी जा सकेगी. अक्सर जमीन मिलने में देरी के चलते इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं हो पाते. जमीन राज्यों का विषय है. हम जमीन खरीदने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए इनोवेटिव मॉडल ला सकते हैं. लैंड पूलिंग या जमीन मालिकों को नए एयरपोर्ट प्रोजेक्ट्स में हिस्सेदार बनाकर यह काम किया जा सकता है. राज्य सरकारों के साथ ज्वाइंट वेंचर के जरिए भी इस काम में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है. मंत्रालय इन सभी उपायों पर विचार कर रहा है. एक एयरपोर्ट के लिए 400 से 5,00 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ती है.
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इन जगहों पर नए एयरपोर्ट को मंजूरी: नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार गोवा में मोपा, महाराष्‍ट्र में नवी मुंबई, शिरडी, सिंद्धु दुर्ग, कर्नाटक में शिमोगा, हसन, गुलबर्ग, बीजापुर, पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर, केरल में कन्‍नूर, मध्‍य प्रदेश में डाबरा, सिक्किम में पकयोंग, पुडुचेरी में कराईकल, उत्‍तर प्रदेश में जेवर और कुशी नगर, गुजरात में धोलेरा, आंध्र प्रदेश में ओरावाकल्‍लू, विशाखापट्टनम के नजदीक भोगापुरम में नए एयरपोर्ट्स को सैद्धांतिक मंजूरी दी जा चुकी है. सरकार ने मच्‍छीवाड़ा, लुधियाना, ईटानगर, जमशेदपुर, अलवर और कोठागुडेम में भी एयरपोर्ट के लिए साइट क्लियरेंस दे दी है. इनमें से कई एयरपोर्ट इंटरनेशनल लेवल के भी होंगे, जहां से इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी चलेंगी.
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कुछ एयरपोर्ट का होगा कायाकल्‍प: सरकार कुछ पुराने एयरपोर्ट का कायाकल्‍प भी करने जा रही है. यहां भी सुविधाएं बढ़ने के साथ ही बड़ी संख्‍या में लोगों को रोजगार और बिजनेस के अवसर मिलने जा रहे हैं. इन एयरपोर्ट में भटिंडा, शिमला, आगरा, बीकानेर, ग्‍वालियर, कडापा, लुधियाना, नांदेड़, पठानकोट, विधानगर, अंदल (दुर्गापुर), बर्नपुर, कूचबिहार, जमशेदपुर, राउरकेला, भावनगर, दीव, जामनगर, आदमपुर, कांडला, कानपुर (चाकेरी), कुल्‍लू (भूंतर), मीठापुर (द्वारका), मुंद्रा, पंतनगर, पुडुचेरी, पोरबंदर, शिलांग (बारापानी), बिलासपुर, जगदलपुर, कोल्‍हापुर, मैसूर, नेयवली, ओजार नासिक, रायगढ़, सालेम, शोलापुर, उतकेला, बिडार, होसूर शामिल हैं.
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यहां है एयरपोर्ट की संभावना: सरकार उन शहरों की पहचान भी कर रही है, जहां एयरपोर्ट बनाया जा सकता है. फिक्‍की और केपीएमजी की रिपोर्ट में उत्‍तर प्रदेश के आगरा, इलाहाबाद, कानपुर और बरेली, मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियर, सागर, रेवा व व छिंदवाड़ा, असम के जोरहाट, लीलाबरी, तेजपुर, धुभरी, झारखंड में जमशेदपुर, दुमका, धनबाद, देवघर और डाल्‍टनगंज, राजस्‍थान के बाड़मेर, बीकानेर, गंगा नगर ( सूरतगढ़), कोटा, जैसलमेर, कार निकोबार, आंध्रप्रदेश के पासीघाट, बिहार के मधुबनी और भागलपुर, हरियाणा के हिसार, महाराष्‍ट्र के अमरावती, ओडि़शा के झारसुगुडा आदि शहर शामिल हैं. इन शहरों में या तो पुराने एयरपोर्ट का विकास किया जाएगा, या फिर नए एयरपोर्ट बनाए जाएंगे.
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