Success Story: डेंटिस्ट्री में गोल्ड मेडल जीता, फिर की UPSC की तैयारी, डॉक्टर से बनीं IFS अफसर
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Success Story: यूपीएससी की तैयारी करके आईएएस, आईपीएस या आईएफएस अफसर बनने वाले लोगों के ब्रेन पर तो कोई शक नहीं कर सकता. तेज दिमाग वाले लोग होते हैं. आज हम आपकी मुलाकत ऐसी आईएफएस अफसर से कराने जा रहे हैं जो खूबसूरत भी हैं. वह ब्यूटी विद ब्रेन की परफेक्ट उदाहरण हैं. ये हैं 2020 में आईएफएस बनने वाली डॉ. अपाला मिश्रा. इनका संबंध हिंदी के एक दिग्गज लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी से भी है.

Success Story: डॉ. अपाला मिश्रा मूलत: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की रहने वाली हैं. वह यूपीएससी 2020 में ऑल इंडिया नौवीं रैंक हासिल करके भारतीय विदेश सेवा अधिकारी (IFS) बनी थीं. आईएएस बनने से पहले अपाला मिश्रा डेंटल सर्जन हुआ करती थीं. उन्होंने यह कामयाबी तीसरे अटेम्पट में हासिल की थी. इसके लिए उन्होंने कोई कोचिंग भी नहीं की थी.

डॉ. अपाला मिश्रा की मां अल्पना मिश्रा दिल्ली विश्वविद्यालय की हिंदी फैकल्टी में प्रोफेसर हैं. उनका संबंध हिंदी के दिग्गज लेखक रहे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी से भी है. वह आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की नातिन हैं. अपाला के पिता अमिताभ मिश्रा आर्मी में कर्नल रहे हैं. अपाला के भाई अभिलेख मिश्रा आर्मी में मेजर हैं.
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डॉ. अपाला मिश्रा ने 10वीं तक की पढ़ाई देहरादून और फिर 11वीं व 12वीं की पढ़ाई दिल्ली से की है. इसके बाद उन्होंने 2017 में बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की डिग्री हैदराबाद से पूरी की थी. अपाला मिश्रा ने इसी दौरान देश सेवा के लिए आईएएस बनने का सपना देखा था. इस वजह से उन्होंने डेंटल सर्जन बनने के बाद 2018 से घर पर ही रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की थी.

अपाला ने डेंटिस्ट्री में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं. वह एक क्रिएटिव राइटर भी हैं. साहित्य अकादमी से उनकी अंग्रेजी का एक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुका है. उन पर हिन्दी निबंधकार, आलोचक और उपन्यासकार हजारी प्रसाद द्विवेदी की नातिन होने का पूरा असर है. अपाला मिश्रा की मांआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की भतीजी हैं.

अपाला मिश्रा को साल 2020 में यूपीएससी के इंटरव्यू में सबसे अधिक अंक मिले थे. उन्होंने साल 2019 में इंटरव्यू में हासिल किए गए 212 अंक के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 215 अंक हासिल किए थे. अपाला ने एक इंटरव्यू में बताया था कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान वह प्रतिदिन सात से आठ घंटे की पढ़ाई करती थीं. उन्होंने इफेक्टिव टाइम मैनेजमेंट पर खास जोर दिया.