कवर्धा में एक ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें पढ़ाने का अलग ही जुनून सवार है. दूसरे शिक्षकों की तरह ये बच्चों को पाठ सामान्य तरीके से नहीं पढ़ाते. इनका पढ़ाने का तरीका अलग है. जो बच्चों को कक्षा में गीत,कविता छत्तीसगढ़ी बोली,आल्हा,पंडवानी की लय में पढ़ाते, लिखाते व सिखाते हैं. इस शिक्षक का नाम जलील मो.खान है,जो कवर्धा के ग्राम सिल्हाटी मीडिल स्कूल में पदस्थ हैं. पिछले दस सालों से वे इस क्षेत्र में मेहनत कर रहे हैं.
जलील मो.खान ने पहली से लेकर आठवीं तक सभी विषयों के पाठ का अपनी शैली में काव्य रूपांतरण किया हैं जो बच्चों को आसानी से समझ आती है. हंसी-खुशी नाच-गाकर वे सरलता से कठिन बातों को समझ लेते हैं. शिक्षक जलील खान की इस मेहनत को लोगों ने खुब सराहा है. पालक भी इसकी प्रशंसा करते हैं.
अपने अलग कार्यशैली से पढ़ाने के चलते शिक्षक जलील खान बच्चों के बीच खासे लोकप्रिय हैं. उनके पढ़ाने के तरीके को बच्चे खुब पसंद करते हैं. सभी आसानी से समझ लेते हैं. जलील खान के पढ़ाने के इस विधा के बच्चों के साथ पालक व साथी स्टॉफ भी मुरीद हैं. पालकों का कहना है कि बच्चे पढ़ाई से डरते हैं,भागते हैं. पढ़ाई बोझ लगता है,इसलिए वे पढ़ने के बजाय वे खेलने में ज्यादा ध्यान देते हैं. लेकिन उनके गांव में एक ऐसा शिक्षक है जिसके पढ़ाने के तरीके से बच्चे भागते नहीं है बल्कि उसमें पूरी रूचि लेते हैं.
वहीं स्टॉफ का भी कहना है कि उनके साथी टीचर बच्चों को लेकर खूब मेहनत करते हैं. वे उनका हर संभव सपोर्ट करते हैं. उनका प्रयास बेहतर है,ऐसे शिक्षकों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.
तो वहीं छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में एक शिक्षक अपनी मोटरसाइकिल पर स्कूली छात्रों के लिए मोहल्ला कक्षाएं आयोजित करता है.
शिक्षक रुद्र राणा कहते हैं कि जो छात्र स्कूलों में नहीं जा सकते हैं, मैं शिक्षा को उनके दरवाजे पर ला रहा हूं.
शिक्षक रुद्र राणा का कहना है कि कई छात्रों तक ऑनलाइन शिक्षा पहुंची नहीं है, इसलिए उनके लिए मोहल्ला क्लास मददगार साबित हो सकती है.
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