जानें- राजीव दीक्षित की संदेहास्पद मौत से जुड़े वे तथ्य जिनके आधार पर 9 वर्ष बाद होगी जांच
Agency:News18Hindi
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भारत स्वाभिमान आंदोलन के तत्कालीन राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की संदेहास्पद मौत के मामले की फाइलें 9 साल बाद फिर से खुलने वाली हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय ने दुर्ग पुलिस को आदेश जारी किया है कि मामले में नए सिरे से जांच की जाए.

भिलाई में प्रवास के दौरान हुई राजीव दीक्षित की मौत पर तत्कालीन जिला प्रशासन ने शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही अंतिम संस्कार के लिए गृहनगर भेजने को जांच की दिशा में गंभीर चूक माना जा रहा है. अब जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय से दुर्ग पुलिस को मामले की नए सिरे से जांच करने का आदेश मिल गया है तो मौत के रहस्य से किसी न किसी नए खुलासे की आशंका जताई जा रही है.

राजीव दीक्षित के बारे में मौजूद मीडिया रिपोर्ट कि वे 2009 में बाबा रामदेव के संपर्क में आए. दावा किया जाता है कि उन्होंने ही रामदेव को देश की समस्याओं और काले धन के बारे में बताया, जिससे रामदेव बहुत प्रभावित हुए और दोनों साथ में काम करने के लिए सहमत हो गए. इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों के मुताबिक भारत स्वाभिमान आंदोलन शुरू करने के दौरान राजीव दीक्षित और रामदेव ने शपथ ली कि ‘हम केवल कुशल लोगों को मतदान करेंगे’, ‘हम दूसरों को 100 फीसदी मतदान के लिए प्रेरित करेंगे’, ‘हम भारत को विश्व-शक्ति बनाएंगे’, ‘हम भारत को पूरी तरह से स्वदेशी बनाएंगे’ और ‘बुद्धिमान, ईमानदार लोगों को जोड़कर देश के विकास में लगाएंगे.’ इस आंदोलन के तहत राजीव और रामदेव ने योजना बनाई थी कि लोगों को अपने साथ जोड़ने के बाद 2014 में वे देश के सामने अच्छे लोगों की एक नई पार्टी का विकल्प रखेंगे और लोकसभा चुनाव में दावेदारी पेश करेंगे.
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राजीव दीक्षित का व्याख्यान 29 नवंबर 2010 को अविभाजित दुर्ग जिले के बेमेतरा तससील प्रांगण में सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक व्याख्यान खत्म करने के बाद वे भारत स्वाभिमान आंदोलन के दुर्ग निवासी पदाधिकारी दया सागर के साथ भिलाई के लिए कार से रवाना हुए. कार कन्हैया नाम का ड्राइवर चला रहा था. रास्ते में राजीव दीक्षित को पसीने के साथ बेचैनी महसूस हुई. एलोपैथी चिकित्सा के धुर विरोधी रहे दीक्षित ने अस्पताल जाने के बजाए स्वदेशी दवाइयों से उपचार पर जोर दिया. भिलाई में अक्षय पात्र फाउंडेशन के पास उसी दिन शाम 4 बजे से उनका व्याख्यान होना था, लेकिन तबियत ठीक नहीं होने से वे दया सागर के दुर्ग स्थित निवास पहुंचे. यहां पर वे बाथरूम में गिर गए. फिर बाबा रामदेव के फोन पर समझाने पर वे अस्पताल जाने के लिए तैयार हुए.

राजीव दीक्षित को दया सागर के निवास से तत्काल सेक्टर 9 स्थित अस्पताल ले जाया गया. यहां पर डॉ. शशिकांत सक्सेना ने उनका प्रारंभिक उपचार तो किया, लेकिन हृदयरोग से संबंधित बेहतर इलाज की सुविधा नहीं होने की चलते उन्हें बीएसआर अपोलो अस्पताल रेफर कर दिया गया. यहां डॉ. दिलीप रत्नानी की देख-रेख में उनका उपचार शुरू हुआ, लेकिन रात 1 से 2 बजे के बीच राजीव दीक्षित की मौत हो गई. उस वक्त डॉ. रत्नानी ने उन्हें गंभीर हृदयाघात होने की जानकारी प्रशासन और मीडिया को दी थी.

राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवंबर 1967 को हुआ था और वर्ष 2010 में जन्मदिन के दिन ही उनकी मौत हो गई थी. उन्होंने 5 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान आंदोलन का गठन किया था. इस आंदोलन के जरिए उन्होंने देश के लोगों में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने के लिए लगातार प्रेरित किया. बाद में उन्होंने बाबा रामदेव के साथ मिलकर विदेशी कंपनियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया था, जिससे वे मल्टीनेशनल कंपनियाें के निशाने पर आ गए थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौत के बाद राजीव का शव नीला पड़ गया था. ऐसे में हार्टअटैक से मौत बताए जाने व पोस्टमार्टम नहीं कराए जाने पर सवाल खड़े हो गए. बिना पोस्टमार्टम कराए ही 1 दिसंबर 2010 को दीक्षित का शव हवाई मार्ग से गृह नगर भेज दिया गया.