'जब से वो आई...जीवन नरक बन गया', तबाह हुईं 3 जिंदगी, आज भी याद कर बिलखते हैं लोग
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Sad Love Story: मशहूर फिल्म एक्टर और डायरेक्टर गुरुदत्त भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी फिल्में-गाने और उनकी रियल लाइफ की लव स्टोरी आज भी फैंस के बीच फेमस है. गुरुदत्त भी उन सितारों में गिने जाते हैं, जो शादीशुदा होते हुए एक्ट्रा मैरिटल अफेयर किया और अंत में उसका अंजाम इतना भयंकर निकला कि आज भी उस घटना को याद कर रो दिया करते हैं.

नई दिल्ली. फिल्म डायरेक्टर- एक्टर गुरु दत्त (Guru Dutt) बतौर एक्टर कई फिल्मों में काम किया है लेकिन उन्होंने सिर्फ 8 फिल्में डायरेक्ट की हैं लेकिन सभी कालजयी हैं. वे प्यासा, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद और साहेब बीवी और गुलाम जैसे ब्लॉकबस्टर फिल्में के लिए फेमस हैं. गुरु दत्त ने प्रख्यात गायिका गीता दत्त (Geeta Dutt) से प्यार के बाद शादी की थी. इनकी शादी 1953 में हुई थी. मगर अफसोस ये शादी सिर्फ चार साल ही चल सकी. साल 1957 में दूरियां आने शुरू हो गई थीं. अंत में गीता ने उन्हें छोड़ कर अलग रहने लगी थीं.

गुरू और गीता की पहली मुलाकात फिल्म बाजी के सेट पर हुई थी. गीता को देखते ही गुरु दत्त उनके दीवाने हो गए थे. वहीं गीता भीगुरुदत्त के डायरेक्शन की कायल थीं. सेट पर दोनों का प्यार परवान चढ़ा और इस खूबसूरत जोड़ी ने शादी का फैसला कर लिया. हालांकि, गीता के परिवार को यह रिश्ता नामंजूर था. दोनों परिवार के विरोध के बावजूद साल 1953 में साधारण तरीके से शादी कर ली. इस शादी से कपल को तीन बच्चे तरुण दत्त, अरुण दत्त और नीना दत्त हुए.
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कहा जाता है कि गीता से शादी और पिता बनने के बाद गुरू को वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) से प्यार हो गया था. वह उनकी खूबसूरत पर ऐसे लट्टू हुए कि वह अपना सब कुछ खोने को तैयार हो गए थे. इसी वजह से उनकी पारिवारिक जिंदगी में दरार आनी शुरू हो गई थी. पत्नी गीता इस बात से बेहद परेशान रहने लगी थी.

गुरु दत्त का जिक्र जब भी होता है तो वहीदा रहमान का नाम जरूर होता है. गुरु दत्त वहीदा रहमान को दीवानों की तरह चाहते थे. उन्होंने ही वहीदा को साल 1956 में आई फिल्म सीआईडी में काम दिलवाया था. इस फिल्म के बाद वहीदा रहमान गुरु दत्त के साथ ही ‘प्यासा’ में दिखाई दीं. यह फिल्म भारतीय सिने इतिहास में अलग दर्जा रखती है. फिल्म की शूटिंग के दौरान की दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी और उनके इश्क के चर्चे आम हो गए. जब यह बात गीता दत्त को पता चली तो गुरु दत्त के जिंदगी में उथल पुथल मच गई.

एक बार गुरु दत्त को रंगे हाथों पकड़ने के लिए गीता दत्त ने जाल बिछाया. एक दिन गुरु दत्त के पास वहीदा रहमान के नाम से खत पहुंचा जिसमें लिखा था ‘मैं आपसे बात करना चाहती हूं, सुध-बुध खो चुकी हूं, न जाने आपने क्या कर दिया.” खत के आखिर में मिलने का बुलावा था. गुरु दत्त इस खत को पढ़कर हैरान हुए क्योंकि वह दिन वहीदा से सेट पर मिलते थे. उन्होंने अपने दोस्त और फिल्म राइटर अबरार अलवी से इस मसले पर चर्चा की. अबरार पहली ही नजर में भांप गए कि यह खत वहीदा ने नहीं लिखा.
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खत का सच पता करने के लिए तय समय पर गुरु दत्त और अबरार नरीमन प्वाइंट पहुंचे. थोड़ी देर में एक कार से गीता दत्त और उनकी दोस्त उतरीं. इस वाकये से गुरु दत्त बेहद खफा हो गए और उन्होंने गीता पर हाथ भी उठा दिया. इस घटना के बाद दोनों अलग हो गए. ‘गुरुदत्त द अनसेटिसफाइड स्टोरी’ किताब के अनुसार, एक बार गीता दत्त ने वहीदा पर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा था ‘जब से वो हमारी जिंदगी में आई है, तब से जिंदगी नरक हो गई है’.

गीता दत्त अपने पति के इस नाजायत प्यार को बर्दास्त नहीं कर पाईं और नाराज होकर अपने तीनों बच्चों के साथ मां के पास चली गईं. या यूं कहे तो उन्होंने गुरु दत्त को छोड़ दिया. वहीं दूसरी ओर गुरु दत्त के पजेसिव बिहेवियर की वजह से वहीदा भी धीरे-धीरे उनसे दूर हो गईं.

कहा जाता है कि आखिरी वक्त गुरु दत्त अपनी जिंदगी में बेहद तन्हा हो गए थे. उन्होंने शराब को अपना साथी चुन लिया. उनकी मौत भी रहस्यमयी तरीके से हुई. 10 अक्टूबर 1964 उनकी जिंदगी का आखिरी दिन था. उस समय वह ‘बहारे फिर भी आएंगी’ फिल्म पर काम कर रहे थे. आखिरी शाम उन्होंने अपने दोस्त अबरार अलवी के साथ गुजारी. 1 बजे रात में अलवी उनके घऱ से खाना खाकर गए. अगले दिन गुरु दत्त अपने घर में मृत पाए गए. पलंग की बगल की मेज पर एक गिलास रखा हुआ था, जिसमें एक गुलाबी तरल पदार्थ अभी भी थोड़ा बचा हुआ था. वहीं एक किताब खुली हुई थी.
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