मिठाई या हलवा नहीं वृदावन के इस मंदिर में लगता है चाय और सिगरेट का भोग, यहां दर्शन के लिए लगती है लोगों की भीड़
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पुजारी ने बताया कि यहां श्रीमद् लीलानंद ठाकुर यानी पागल बाबा को नित सुबह, दोपहर और शाम भोग लगाया है. भोग में दाल, चावल, रोटी, मिष्ठान तो होते ही हैं, साथ ही चाय और सिगरेट का भोग भी लगाया जाता है.

मथुरा से करीब 15 किलोमीटर दूर मथुरा वृंदावन मार्ग पर स्थित है, श्रीमद् लीलानंद ठाकुर यानी पागल बाबा का मंदिर. इस मंदिर को पागल बाबा का मंदिर कहा जाता है. यह मंदिर अपने आप में वृंदावन का अलौकिक मंदिर है.

इस मंदिर की छवि यहां आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती है. पागल बाबा मंदिर के पुजारी अजय से जब लोकल 18 की टीम ने बात की तो उन्होंने यहां की तमाम दिलचस्प बातों के बारे में बताया.
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उन्होंने कहा कि यहां की अपनी एक अलग मान्यता है. यहां सबसे अधिक बंगाली भक्त उनके दर्शन के लिए आते हैं. देश के कोने-कोने से आने वाले भक्त उनके इतिहास के बारे में जानते हैं. ठाकुर लीलानंद महाराज यानी पागल बाबा का इतिहास बहुत प्राचीन है.

पुजारी ने बताया कि यहां श्रीमद् लीलानंद ठाकुर यानी पागल बाबा को नित सुबह, दोपहर और शाम भोग लगाया जाता है. भोग में दाल, चावल, रोटी, मिष्ठान तो होते ही हैं. साथ ही चाय और सिगरेट का भोग भी लगाया जाता है.

इसका कारण है कि बाबा चाय और सिगरेट के बेहद शौकीन थे. वे दिन में कई बार चाय और सिगरेट लिया करते थे. जिस दिन से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई है, तब से आज तक यहां बाबा को चाय और सिगरेट का भोग जरूर लगता है. बाद में इस चाय के प्रसाद को भक्तों के बीच बांट दिया जाता है.
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मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर की नींव 1965 में रखी गई थी. पागल बाबा ने इस मंदिर की नींव को खुद ही रखा था. 24 जुलाई 1980 को पागल बाबा ने जिंदा समाधि ले ली थी. इसके बाद 1981 में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई. पागल बाबा मंदिर की लंबाई 150 फीट है, चौड़ाई 120 फ़ीट और ऊंचाई 221 फीट है.