पूंडरी की फिरनी: देश-विदेश तक हैं इस मिठाई के चर्चे, जानें- कैसे होती है तैयार
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फिरनी बनाने वाले हलवाइयों ने बताया कि फीकी फिरनी को एक महीना पहले ही बनाना शुरू कर देते हैं और जैसे-जैसे उन्हें थोक में ऑर्डर मिलते हैं, वैसे-वैसे फीकी फिरनी पर मीठा चढ़ाकर बेचा जाता है. पूंडरी ही एक ऐसा इलाका है, जिसके पानी में शोरा नहीं होता इसलिए फिरनी का स्वाद अच्छा होता है. पूंडरी क्षेत्र के 4.5 किलोमीटर दायरे के बाहर पानी में शोरे की मात्रा होने के कारण फिरनी का स्वाद लजीज नहीं बन पाता. यही कारण है कि पूंडरी में बनाई गई फिरनी पूरे भारत में मशहूर है

"पूंडरी की मशहूर फिरनी" यही वो स्लोगन है जिसको लगाकर पूरे हरियाणा के शहरों में दुकानदार इस मिठाई को बेचते हैं. सावन के महीने में लोगों को पूंडरी का नाम लेने भर से ही फिरनी का स्वाद याद आने लगता है. पूंडरी हरियाणा के कैथल जिले का एक छोटा सा कस्बा है. यहां की बनी एक मिठाई हरियाणा तो क्या बल्कि पूरे भारत में मशहूर है, जिसका नाम है फिरनी.

ये मैदे और घी से बनी एक ऐसी मिठाई है जो की सिर्फ पूंडरी में ही बनती है. पूरे हरियाणा समेत अनेक जगहों पर इसकी सप्लाई की जाती है. सावन का महीना आने से लगभग 1 महीना पहले ही यहां के कारीगर फिरनी बनाना शुरू कर देते हैं. बड़ी लंबी और कड़ी मेहनत करके कारीगर इसको तैयार करते हैं.
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कारीगर की मेहनत और लगन ही है जिसने इस मिठाई को इतना मशहूर कर दिया हैं. सावन के महीने में इस मिठाई के बड़े बड़े स्टाल और गोदाम देखने को मिल सकते हैं. सावन का महीना लगते ही यहां के स्थानीय लोगों के रिश्तेदारों के फोन आने लग जाते है मिठाई मंगवाने के लिए. कैथल, करनाल, जींद, पानीपत आदि शहरों में दुकानों पर पूंडरी की मशहूर फिरनी के बैनर लगे देखे जा सकते हैं, जो की यहां से ले जाकर फिरनी बेचते है.

कहा जाता है की लगभग 85 वर्षों से यहां के कारीगर फिरनी बना रहे हैं. शुरू में एक-दो दुकानों से ही ये मिठाई बननी शरू हुई थी. लेकिन अब यहां पर सैकड़ों दुकाने हैं जो फिरनी को तैयार करते है. बताया जाता है की यहां जैसी फिरनी कही भी नहीं बनती. कारीगरों का कहना है की यहां के पानी में वो बात है जो इस मिठाई को ख़ास बनाती है.

कुछ कारीगरों का तो यहां तक कहना है कि ये वरदान ही है जो ऐसी मिठाई सिर्फ पूंडरी में ही बनती है कही और नही. जब स्थानीय लोगों और खरीददारों से बात की गई तो उन्होंने बताया की ये मिठाई वो अपने सभी रिश्तेदारों को पूरे भारत में भेजते हैं. कुछ ने तो विदेशों में भी भेजने की बात कही. इसको यहां सावन के फल के नाम से भी जाना जाता है.
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सावन का यह फल सावन के मौसम में खूब अच्छे से फल-फूल कर लोगों को एक अद्भुत स्वाद की अनुभूति कराता रहता है. यहां के कारीगरों का कहना है कि यहां की फिरनी का छोटा साइज और मुलायमपन है जो इसे अन्य शहरों की फिरनी से इसे अलग करती है. यहां की फिरनी में वो अद्भुत स्वाद है जो खाने वालों को बार बार अपनी ओर आकर्षित करती है.

ग्राहकों और स्थानीय निवासियो ने बताया की यहां की फिरनी के चर्चे तो विदेशों तक हैं. जब भी सावन का महीना आता है तो भारत की अन्य जगहों से ही नहीं विदेशों से भी उनके रिश्तेदारों के फोन आने लगते हैं पूंडरी की फिरनी के लिए. सावन के महीने में हरियाणा में तीज के दिन बेटी या बहन के घर कोथली(संधारा) में फिरनी ले जाई जाती है जिससे लोग बड़े ही चाव से खाते हैं.

अन्य शहरों जैसे कैथल, करनाल, पानीपत, यमुनानगर, जींद आदि से आये व्यापारी जो पूंडरी से फिरनी ले जाकर बेचते हैं. उनका भी ये कहना है की उनके शहर के ग्राहकों को भी सिर्फ पूंडरी की फिरनी ही चाहिए. सावन की बस यही एक मिठाई है जिस पर लोगों की नजरें आकर टिक जाती है.
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बता दें किकस्बे के गांव फतेहपुर से संबंध रखने वाले स्व. हरिकिशन ब्यास ने 1936 में फिरनी बनाने की शुरुआत की थी. गांव के बीच में छोटी सी दुकान से उन्होंने इस कार्य की शुरुआत की थी जो धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में काफी मशहूर हो गई थी. उस समय में उनके अलावा कोई भी फिरनी नहीं बनाता था. अंग्रेज अधिकारी भी उनकी बनाई फिरनी को काफी पसंद करते थे.हालांकि फतेहपुर गांव है और पूंडरी एक कस्बा तो फतेहपुर-पूंडरी बोला जाता जिसकी वजह से पूंडरी की फिरनी ही बोला जाता है. इसलिए पूंडरी की फिरनी के नाम से मशहूर हुई. गांव में आज भी कोई घर ऐसा नहीं होगा जिस घर में मेहमानों के लिए फिरनी न रखी हो.
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