इंसानों की तरह हाथियों को भी चाहिए होती है खाने में वैरायटी- शोध
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हाथियों की खुराक की आदतें का विस्तृत विश्वलेषण में पता चला है कि वे भी इंसानों की तरह से अपने भोजन में विविधता पसंद करते हैं. अध्ययन में पाए गए इस सामान्य से लगने वाला नतीजा का संरक्षण रणनीतियों और वन्यजीव संरक्षण के लिए बहुत ही उपयोगी हो सकता है.

जानवरों की खुराक निश्चित होती है और उनमें ऐसा बदलाव देखने को नहीं मिलता ना ही उनके भोजन में विविधता होती है. लेकिन इंसान ही ऐसा जानवर है जिसका भोजन विविधता भरा रहता है और उसे अपने भोजन में एकरसता पसंद नहीं है. लेकिन इस मामले में हाथियों की बात आती है तो हम यही जानते हैं कि वे पौधे खाते हैं लेकिन अगर यह जानने का प्रयास किया जाए कि वे पौधों में क्या खाते हैं कहानी थोड़ी रोचक और दूसरे जानवरों की तुलना में काफी अलग हो जाती है. नए अध्ययन में पाया गया है कि हाथियों को भी इंसानों की तरह अपनी खुराक में विविधता पसंद है वैरायटी पसंद है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)

ब्राऊन संरक्षण जीवविज्ञानियों सहित एक वैश्विक टीम के अध्ययन में कुछ नवाचार तरीके अपनाए और कीनिया के दो हाथियों के समूहों की खुराक संबंधी आदतों का सटीक और प्रभावी विश्लेषण किया.इससे वे यह पता लगाने में सफल हुए कि किस समूह को किस तरह के पौधे खाना पसंद है. इससे वे हाथियों के समूहों की खानपान की आदतों की कुछ अहम जानकारियां हासिल कर सके जो जीवविज्ञानियों को उनके संरक्षण के तरीके खोजने में मददगार हो सकती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
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यह अध्ययन हाल ही में रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस साइंस में प्रकाशित हुआ है. अध्यनय के लेखक टेलर कार्टजिनेल कहते हैं हैं कि संरक्षणकर्ताओं को यह बात ध्यान में रखनी होती हैकि जब जानवरों को उनकी जरूरत के हिसाब से पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है, तो भी वे किसी तरह से जिंदा तो रह लेते हैं, लेकिन पनप नहीं सकते. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

कार्टजिनेल ब्राउन में ही एनवायर्नमेंटल स्टडीज और इकोलॉजी, इवोल्यूशन एंड ऑर्गनिज्मल बायोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उन्होंने बताया कि हर एक की खुराक को बेहतर समझने से हम हाथी, गेंडों, भैसों जैसी प्रजातियों को बेहतर तरह से संरक्षित कर सकते हैं और उनकी जनसंख्या में वृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

अपने अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने डीएनए मेटाबारकोडिंग नाम की जेनेटिक तकनीक का उपयोग किया जिससे जैविक नमूनों की संरचना की पहचान हो सके. इसकेलिए उन्होंने हाथी के भोजने को प्रदर्शित करने वाले डीएनए के टुकड़ों का पौधों के डीएनए बारकोड की लाइब्रेरी से तुलना की. शोधकर्तों ने इस तकनीके के लिए एप्लिकेशन विकसित की और आणविक जीवविज्ञान और कम्प्यूटर विज्ञान के शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाकर संरक्षणकर्ताओं की समस्या के सामाधान पता लगाने में सहायता ली. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
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यह पहली बार है जब डीएनए मेटाबारकोडिंग का उपयोग, जानवरों के सामाजिक समूह जैसे कि वे कैसे तय करते हैं कि परिवार में कैसा भोजन होना चाहिए या क्या खाना है जैसे सवालों के जवाब खोजने के लिए किया है. हाथियों पर नजदीक से निगरानी करना बहुत मुश्किल होता है. इस तरह से उन्हें देख कर उनके भोजन की जानकारी जुटना लगभग नामुमकिन होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

पिछले अध्ययन मे पाया गया था कि हाथी अपने खुराक बारिश के दिनों हरी ताजी घास और सूखे गर्मी के दिनों में पेड़ के हिस्से खाया करते हैं. लेकिन इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने और विविधता देखी. हाथियों के गोबर के डीएनए विश्लेषण कर उसकी पौधों के डीएनए लाइब्रेरी में तुलना करने पर पाया गया कि हाथी समूह में एक साथ रहने पर भी एक सा भोजन नहीं करते हैं. उनकी विविधता केवल भोजन के उपलब्ध होने पर ही निर्भर नहीं करती है, बल्कि उनकी पसंद नापसंद का भी योगदान होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
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