महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले कानून
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महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संविधान में कई धाराएं और प्रावधान हैं. तो जानिए ऐसी ही कुछ धाराओं के बारे में जो अन्याय के खिलाफ काफी असरदार हैं.

देश में खास महिलाओं को कानूनी जानकारी न होने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ये समस्याएं मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की होती हैं. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संविधान में कई धाराएं और प्रावधान हैं. तो जानिए ऐसी ही कुछ धाराओं के बारे में जो अन्याय के खिलाफ काफी असरदार हैं.

अगर कोई महिला के लिए अभद्र भाषा, गाने या आपत्तिजनक इशारा करता है. तो महिला को शिकायत करने का अधिकार है. सही पाए जाने पर दोषी को 3 महीने तक की सजा का प्रावधान है.
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किसी महिला पर अगर जबरन गर्भाधारण और गर्भपात के लिए दबाव डाला जाता है तो ये अपराध है. बिना महिला की सम्मति के ऐसा करना असंभव है. महिला के पास गर्भाधारण और गर्भपात की सुरक्षा का अधिकार है. ऐसा न करने पर धारा 312 और 315 के तहत 3 से 10 साल तक की सजा मिल सकती है.

कोई भी महिला अपने सामान, गहने अगर रखने के लिए देती है और उसे वापस नहीं मिलता तो इसके लिए कानून में प्रावधान है. धारा 406 के तहत महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है.

अगर कोई व्यक्ति शादी का झांसा देकर महिला का शारीरिक और मानसिक शोषण करता है तो धारा 493 के तहत महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है. आरोप सही साबित होने पर 3 साल सजा का प्रावधान है.
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महिला को प्रताड़ित करना और आत्महत्या के लिए उकसाना गंभीर अपराधों में शुमार है. संविधान की धारा 306 के तहत दोषी व्यक्ति को 10 साल की सजा का प्रावधान है.

कानून ये ताकत देता है कि कोई भी व्यक्ति महिला के मान-सम्मान को ठेस नहीं पहुंचा सकता. किसी महिला की मर्यादा खत्म करने पर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है.
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