Mother's Day 2023 Poem: आपके जीवन में मां की क्या है अहमियत, इन पंक्तियों से करें बयां, खुशी से झूम उठेंगी माएं
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Mother's Day 2023 Special Poem Shayari: 14 मई को पूरी दुनिया में मदर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है. ऐसे में अगर आप भी अपनी मम्मा को कुछ स्पेशल महसूस कराना चाहते हैं और अपने जीवन में उनके महत्व को जाहिर करना चाहते हैं तो इन खूबसूरत पंक्तियों की मदद से अपनी भावनाओं को मां तक पहुंचा सकते हैं.

'जग के घोर अंधेरे में, रोशनी मेरी मां, फ़ीके-फ़ीके पकवानों की, चासनी मेरी मां.. डरे-सहमों के भीड़ में, शरनी मेरी मां, नली-गटरों के इस जग में, त्रिवेणी मेरी मां'. उत्साही "उज्जवल" की लिखी यह कविता मां के हर उस रूप को बताती है जो एक बच्चा अपनी मां के लिए सोचता है. मदर्स डे पर आप अपने बचपन की यादों से लेकर अब के साथ को इस कविता के माध्यम से आसानी से बयां कर सकते हैं. Image : Canva

‘गहन अंधेरों को उजालों में बदलती है, औलाद के हर दुःख को पल में छलती है..मजबूर हो जाते है देव भी उसकी ममता के आगे, खुदा से ज्यादा धरती पर मां की चलती है.. इन पंक्तियों में कवि नीरज रतन बंसल ‘पत्थर’ ने मां की भूमिका को बखूबी बयां किया है. कहते हैं कि जहां ईश्वर खुद नहीं पहुच पाता, वहां इंसान के पास मां को भेजता है. वह हर हाल में अपने बच्चे के बेहतरी के लिए ममता बिखेरती है और अंधेरे में उजाला फैलाती है. मदर्स डे पर आप भी अपनी मां को ये पंक्तियां भेजकर उनके प्रति अपना आदर व्यक्त कर सकते हैं. Image : Canva
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प्यार समेटे सीने में जो, सागर सारा अश्कों में जो, हर आहट पर मुड़ आती जो, वो है मेरी मां. कवयित्रि देवी नांगरानी की लिखी ये पंक्तियां मां की ममता और बच्चे के प्रति उसका अगाध स्नेह को दर्शाता है. एक मां के लिए उसका बच्चा ही उसका जीवन है और वो जहां भी होती है, अपने बच्चों के बेहतरी के लिए हर संभव प्रयास करती है. भले ही वह बच्चों के प्रति अपनी चिंता को बताती नहीं, लेकिन मां ही है, जो बच्चे के लिए अपना जीवन भी त्याग सकती है. Image : Canva

‘तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई, तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई, लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान, मां तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान’- जगदीश प्रसाद सारस्वत ‘विकल’ ने इन पंक्तियों में बताया है कि मां की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. Image : Canva

‘मां के होते कभी नही होती जीवन में कठिनाई है, मां ताउम्र बनकर रहती अपनी औलाद की परछाई है, दिखता है जिसमे केवल स्नेह मां तो वो नजर है, कभी नही मरती कोई भी मां, वो तो परी अजर अमर है.. कवि नीरज रतन बंसल ‘पत्थर’ ने यहां क्या बखूबी मां का वर्णन किया है. Image : Canva (सौजन्य-कविता कोश, दसिंपलहेल्प)
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