PHOTOS: अरबी में लिखी हुई रामायण, इस मंदिर में रखी है महफूज, आज भी बरकरार है पन्नों की चमक
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Ramayan In Arabic: माना जाता है कि बाबर का वंशज अकबर भगवान राम का भक्त था. उसने करीब 700 साल पहले अरबी में हाथों से रामायण लिखवाई थी. आज यह अरबी में लिखी हुई रामायण ग्वालियर के मंदिर में है. पढ़िए न्यूज 18 की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.

भले ही अयोध्या में बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया था, लेकिन उसका वंशज बादशाह अकबर भगवान राम का मुरीद था. अकबर ने अपने शासनकाल में अरबी भाषा में रामायण लिखवाई थी. 700 साल पहले हाथों से लिखी गई अरबी भाषा की रामायण आज ग्वालियर के मंदिर में रखी है.

दावा किया जाता है कि हिंदुस्तान आने के बाद बाबर ने अयोध्या के राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद की स्थापना की थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना गया. इसके उलट बाबर का वंशज बादशाह अकबर भगवान राम का मुरीद था. अकबर ने हिंदू मुस्लिम और सभी धर्म के लोगों को एकजुट करने के लिए दीन-ए-इलाही की स्थापना की थी. हालांकि अकबर का यह प्रयास सफल नहीं हो पाया.
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इसके बाद अकबर ने भगवान राम के चरित्र को अरब देशों तक प्रसारित करने के लिए रामायण को अरबी भाषा में लिखवाया. अरबी भाषा में हाथों से लिखी गई एक रामायण ग्वालियर में भी मौजूद है. ग्वालियर के गंगादास जी की शाला स्थित मंदिर में यह अरबी की रामायण आज भी रखी है. उसकी स्याही इतनी पक्की थी कि आज भी वही चमक बरकरार है.

725 साल पुरानी गंगादास की बड़ी शाला आस्था का केंद्र है. महंत रामसेवक दास जी के मुताबिक अकबर 700 साल पहले गंगा दास जी की शाला के महंत परमानंद जी महाराज के पास आया था. संत परमानंद जी से प्रेरणा पाकर ही अकबर ने इस्लाम धर्म के अलावा सभी धर्म को मानने और सम्मान करने का संकल्प लिया था.

इसी के तहत अकबर ने दिन ए इलाही धर्म की शुरुआत की थी. उस दौरान अकबर ने 12 गांव और अपनी शाही टोपी गुरु दक्षिणा के तौर पर संत परमानंद जी को भेंट की थी. यह टोपी आज भी गंगाधर जी की शाला स्थित गुरु मंदिर में रखी हुई है. मंदिर में अकबर के आने के दृश्य को वॉल पेंटिंग के रूप में स्थापित किया गया था.
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