Delhi Hospital Fire: 34 मिनट की वह भूल पड़ी भारी, आज कफन में लिपटे नहीं गोद में किलकारी कर रहे होते 7 मासूम
Written by:
Last Updated:
Baby Care Hospital Fire: दिल्ली में विवेक विहार इलाके के बेबी केयर न्यू बॉर्न अस्पताल में लगी आग की जांच से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इसके यही लगता है कि अगर अस्पताल वालों ने यह गलती नहीं की होती तो आज कफन में लिपटे ये सभी मासूम अपने मां-पिता की गोद में किलकारी ले रहे होते.

दिल्ली में विवेक विहार इलाके के बेबी केयर न्यू बॉर्न अस्पताल में लगी आग से जान गंवाने वाले 7 नवजातों की लाश उनके परिजनों को सौंप दी गई है. इस घटना की जांच से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इसके यही लगता है कि अगर अस्पताल वालों ने यह गलती नहीं की होती तो आज कफन में लिपटे ये सभी मासूम अपने मां-पिता की गोद में किलकारी ले रहे होते.

दरअसल पुलिस जांच में पता चला है कि अस्पताल में शनिवार रात 10.55 बजे शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी. शुरुआत में अस्पताल के लोग ही आग को बुझाने की कोशिश करते रहे. हालांकि करीब आधे घंटे कोशिश करने के बाद हालात बेकाबू होते चले गए तब जाकर 11:29 बजे पीसीआर को कॉल की गई. ऐसे में माना जा रहा है कि पुलिस को सूचना देने में हुई 34 मिनट की ये देरी नवजातों की जान पर भारी पड़ गई.
Advertisement

यह आग शॉर्ट सर्किट से लगी थी. इस कारण वहां बिजली भी गुल हो गई और अस्पताल में अंधेरा छा गया था. इस वजह से बच्चों को वहां से वक्त रहते निकालने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि यह आग सामने वाले कमरे के पास लगी थी. ऐसे में वहां रखे सातों बच्चे इसकी चपेट में आ गए, जबकि पीछे वाले कमरे में रखे गए पांच बच्चों को अस्पताल कर्मचारियों ने आसपास के लोगों, पुलिस औक दमकलवालों की मदद से वक्त रहते निकालकर दूसरे अस्पताल भेज दिया.

पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि यह आग सामने वाले कमरे के पास लगी थी. ऐसे में वहां रखे सातों बच्चे इसकी चपेट में आ गए, जबकि पीछे वाले कमरे में रखे गए पांच बच्चों को अस्पताल कर्मचारियों ने आसपास के लोगों, पुलिस औक दमकलवालों की मदद से वक्त रहते निकालकर दूसरे अस्पताल भेज दिया.
Advertisement

पुलिस की तरफ से दायर एफआईआर में बताया गया है कि 'बेबी केयर न्यू बॉर्न चाइल्ड हॉस्पिटल' की दो मंजिला इमारत के अंदर और बाहर कुल 27 ऑक्सीजन सिलेंडर मिले हैं. वहीं आग लगने से पांच ऑक्सीजन सिलेंडर फट गए थे.

इस हादसे में एक एनजीओ शहीद भगत सिंह सेवा दल की खूब तारीफ हो रही है. इस संगठन के जितेंद्र सिंह शंटी ने दमकलवालों और पुलिस की मदद से वहां से 12 बच्चों को बाहर निकाला. हालांकि इस बीच 4 बच्चों और 3 बच्चियों की जान जा चुकी थी, जबकि 2 बच्चे और 3 बच्चियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

पुलिस जांच में यह भी पता चला कि यह अस्पताल अवैध रूप से चल रहा था और उसका लाइसेंस भी 'समाप्त' हो गया था. उसके पास फायर सेफ्टी का एनओसी भी था. इस घटना के बाद अस्पतालवालों पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा.
Advertisement
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।