ये कमला के बनाए कोफ्ते हैं जनाब... इनका नहीं कोई जवाब, 40 सालों से जुबां पर चढ़ा है स्वाद
Edited by:
Agency:News18 Rajasthan
Last Updated:
बाड़मेर की 77 वर्षीय कमला आज भी आने हाथों से बनाकर मिर्ची बड़े और कोफ्ते बेच रही हैं. लोग उनकी आवाज का इंतजार करते हैं कि कब वो आएं और लोगों को स्वादिष्ट मिर्ची बड़े और कोफ्ते खाने को मिलें. कमला के हाथों के हुनर और लोगों की पसंद का ये रिश्ता 40 सालों से बरकरार है. रिपोर्ट: मनमोहन सेजू/बाड़मेर

सब्जी ले लो... दूध ले लो... ऐसी आवाजें तो आपने गली-मोहल्लों में सुनी ही होंगी. लेकिन मिर्ची बड़े ले लो... कोफ्ते ले लो... ये शायद ही कहीं सुना होगा. बाड़मेर के कल्याणपुरा में रहने वाली कमला सालों से ऐसी ही आवाज लगाकर स्वादिष्ट मिर्ची बड़े बेच रही हैं.

कमला घूम-घूम कर टोकरी में मिर्ची बड़े और कोफ्ते बेचती हैं. 77 वर्षीय कमला के हाथों का हुनर ऐसा है जो आज भी उनकी एक आवाज पर लोगों के कान खड़े कर देता है. कमला के कोफ्ते खाने के लिए लोग उनका इंतजार करते हैं.
Advertisement

बाड़मेर में 40 सालों से कमला अपने हाथों का ज़ायका लोगो को चखा रही हैं. आलम यह है कि लोग घंटों उनका इंतजार करते हैं. इनके हाथों से बने कोफ़्ते और मिर्ची बड़े पूरे बाड़मेर में फेमस हैं.

कल्याणपुरा की रहने वाली कमला खत्री पाली जिले से थी. यहां उनकी शादी राणजी खत्री से हुई. असमय पति के देहांत के बाद उन्होंने अपने परिवार को संभाला. हर रोज 25 KM तक सिर पर टोकरी लादे वह कोफ़्ते और मिर्ची बड़े बेचती हैं.

40 साल से लगातार वह यही काम कर रही हैं. उन्होंने महज 25 पैसे में इनको बेचना शुरू किया था. आज वह उन्हीं मिर्ची बड़े और कोफ्ते को 20 रुपये में बेच रही हैं. कमला अब घर-घर न जाकर मंदिरों व मेलों में ही बड़े और कोफ्ते बेच रही हैं.
Advertisement

कमला का ससुराल बाड़मेर में है तो पीहर पाली में. कमला के पति की मौत के बाद जीवन यापन करना मुश्किल हो गया था. लेकिन पीहर में मिर्ची बड़ा व कोफ्ता बनाना सीखा और यहीं आगे चलकर उसकी जिंदगी का सहारा बन गया.