संगम नगरी में अरैल घाट पर है ऐतिहासिक आश्रम, 4 किलोमीटर एरिया में है फैला, इसकी खूबसूरती देख हो जाएंगे मंत्रमुग्ध
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Mahesh Yogi Ashram: अगर आप संगम नगरी प्रयागराज घूमने आ रहे हैं तो अरैल घाट पर स्थित महेश योगी आश्रम जरूर जाएं . यहां आश्रम की वादियां एवं मंदिर निर्माण की सुंदरता आपको बेहद ही रोमांचित कर देगी. इस मंदिर का अधिकतर हिस्सा राजस्थानी बलुआ पत्थर से बनाया जा रहा है.

प्रयागराज के अरैल घाट पर स्थित सोने के रंग का दिखने वाला यह मंदिर किसी देवी-देवता का नहीं बल्कि एक संत का है, जो अपनी शक्ति की बदौलत समाधि में रहते हुए जमीन से 6 फीट की ऊंचाई पर ऊपर उठ जाते थे.

इन महान संत का आश्रम केवल भारत में ही नहीं, बल्कि 137 देशों में फैला हुआ है. इनमें अधिकतर देश पश्चिमी हैं. वह अपने दिव्य शक्तियों और भगवान की प्रार्थना करने की विधि के बदौलत लाखों भक्तों को बनाए हुए थे.
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यह प्रिया आश्रम महान संत महेश योगी का है, जो प्रयागराज में यमुना नदी के तट पर अरैल घाट पर 4 किलोमीटर में फैला हुआ है. 2008 से लगातार यह आश्रम बन ही रहा है, लेकिन अभी तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है.

इस आश्रम को बनाने के लिए राजस्थान का बलुआ पत्थर मंगाया जाता है, जो बारीक डिजाईन में तैयार कर मंदिर परिसर के निर्माण में काम आते हैं. बात की जाए इस मंदिर की सुंदरता की तो वह ऐसी जगह रखा गया है कि दूर से देखने के बाद स्वर्ण मंदिर जैसा लगता है.

यह महेश योगी आश्रम गंगा यमुना के संगम से ही आने वाले श्रद्धालुओं दिखने लगता है, लेकिन यहां तक आने के लिए यमुना नदी पार करने की जरूरत होती है. इसके लिए आपको नैनी ब्रिज से अरैल घाट आना होगा. जहां शानदार मंदिर को देखने के लिए सुबह 8:00 बजे से रात्रि में 9:00 बजे के बीच श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है.
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