गाजियाबाद शहर की पहचान है यह मंदिर, भक्तों के लिए है बड़ा आस्था का केन्द्र, इन नियमों का करना होता है पालन
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गाजियाबाद का मोहन नगर मंदिर ना केवल इस शहर की पहचान है, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के भक्तों के लिए भी आस्था का केंद्र है. यह मंदिर 1978 में स्थापित हुआ और तब से लेकर आज तक इसकी महत्ता लगातार बढ़ी है. अगर आप गाजियाबाद की यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर की यात्रा करना ना भूलें. यहां आपको शांत वातावरण में पूजा करने के साथ-साथ ध्यान और मानसिक शांति प्राप्त करने का अवसर मिलेगा. इस मंदिर के कुछ कायदे भी हैं, जिसका पालन करना अनिवार्य है.

गाजियाबाद में एक बेहद प्रसिद्ध मंदिर है. जीटी रोड पर दिल्ली से आगे बढ़ते ही मोहन नगर चौराहे से लगभग 200 मीटर की दूरी पर यह मोहन नगर मंदिर स्थित है. यह मंदिर ऐसी जगह पर है, जहां से दिल्ली और एनसीआर के किसी भी कोने से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

इस मंदिर में सरस्वती की भव्य प्रतिमाएं स्थापित हैं. इसके अलावा, मंदिर के अंदर पीतल से बनी कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी दिख जाएगी. बाहरी हिस्से में हनुमान जी और भैरो बाबा की प्रतिमाएं स्थापित है. मंदिर के गार्डन में भगवान गणेश, गंगा मां की मूर्ति और शिवलिंग भी स्थापित है, जो भक्तों को विशेष रूप से सावन के महीने में आकर्षित करता है.
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मोहन नगर मंदिर में जनमाष्टमी, नवरात्रि जैसे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं. यहां का शांतिपूर्ण वातावरण भक्तों को पूजा के साथ-साथ ध्यान और मानसिक शांति प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है.

<br />मंदिर में कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है. जिसमें शादी से पहले लड़का और लड़की को दिखाने की परंपरा को अब बंद कर दिया गया है. साथ ही स्कूल ड्रेस में मंदिर में आने पर भी रोक है. स्कूल और कॉलेज के छात्रों को पार्क में बैठने की अनुमति नहीं है. विशेषकर अविवाहित लड़के और लड़कियों के लिए यह नियम सख्ती से लागू किया गया है.
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