Vladimir Putin: KGB एजेंट से ऐसे लाइफटाइम प्रेसिंडेट बने पुतिन, रखते हैं ये शौक
Agency:News18Hindi
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Russian President Vladimir Putin: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के दो प्रांतों को आजाद देश का दर्जा देकर एक तरह से जंग का ऐलान कर दिया है. दुनियाभर के देशों की कड़ी आपत्ति के बाद भी पुतिन अपने फैसले पर डटे हुए हैं. पुतिन को साल 2024 में अपना पद छोड़ना था, लेकिन अब वो 2036 तक अपने पद पर बने रहेंगे. यानी उन्हें कुल मिलाकर 12 वर्षों का एक्सटेंशन मिला है. (सभी फोटो-AP)

<br />रूस की सत्ता के शिखर पर पहुंचने की कहानी पूरी फिल्मी है, जिसमें हीरो भी खुद पुतिन (Russian President Vladimir Putin) हैं और विलेन भी. साल 1952 में 7 अक्टूबर को लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में पुतिन का जन्म हुआ. पुतिन के पिता सोवियत नेवी का हिस्सा थे और मां एक फैक्ट्री वर्कर थीं. उनका जीवन गरीबी और आभाव में बीता. पुतिन विद्रोही स्वभाव के थे.

<br />उनके पिता ने उन्हें बॉक्सिंग सीखानी चाहिए, लेकिन उन्होंने जूडो सीखा. पुतिन खुद कहते हैं कि मार्शल आर्ट ने उनकी जिंदगी बदल दी. पुतिन जब स्कूल में थे तभी उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी का स्कूल लीडर चुना गया. उनका सपना था कि वो सोवियत सीक्रेट एजेंट बने. उनका ये सपना तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन वर्ष 1975 में उन्होंने रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी ज्वाइन की. जहां वो एक सामान्य जासूस माने जाते थे.
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<br />पुतिन ने रूसी की खुफिया एजेंसी केजीबी के विदेश में जासूस के रूप में 15 साल तक काम किया. 1989 की क्रांति के दौरान पुतिन ड्रेसडेन में रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी केजीबी के एजेंट के तौर पर तैनात थे. ये जगह जर्मनी के उस हिस्से में थी जिसे तब कम्युनिस्ट पूर्वी जर्मनी के नाम से जाना जाता था. साल 1990 में वो केजीबी से लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक से रिटायर हो गए और रूस वापस लौट आए.

<br />1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया. उस वक्त के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव पर कई सारे आरोप लगे. रूस में निराशा फैली थी और इसी को भांपते हुए एक सीक्रेट सर्विस का एजेंट से पुतिन राजनीतिज्ञ पुतिन बन गए. साल 1997 में पुतिन रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की सरकार में शामिल हुए. उन्हें संघीय सुरक्षा सेवा का प्रमुख (प्रधानमंत्री) बनाया गया. येल्तसिन ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.

<br />साल 2000 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और 53 फीसदी वोट पाकर उन्होंने जीत हासिल की. 2004 में पुतिन एक बार फिर चुनाव लड़े और 71.2 फीसदी वोटों से राष्ट्रपति बने. 2012 में पुतिन 63.3 फीसदी वोट पाकर एक बार फिर जीते. 2018 में भी पुतिन की जीत हुई. इस बीच बस चार साल के लिए ही पुतिन राष्ट्रपति नहीं थे.
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<br />इन चार सालों में जब पुतिन राष्ट्रपति नहीं थे, तब वो प्रधानमंत्री थे ( 2008 से 2012 के बीच). रूस का संविधान राष्ट्रपति को लगातार बस दो कार्यकाल की ही इजाजत देता है. इस नियम का तोड़ निकालने के लिए पुतिन अपने शुरुआती दो कार्यकालों के बाद पीएम बन गए और अपने भरोसेमंद दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनाया.

<br />2012 में वो दोबारा रूस के राष्ट्रपति बने. 2018 में एक बार फिर राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता. जिसके बाद वो 2024 तक राष्ट्रपति बने रहते. लेकिन अब 67 वर्ष के हो चुके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2036 तक के लिए राष्ट्रपति पद अपने नाम कर लिया है. यहां तक पहुंचने के लिए पुतिन ने जो रास्ता चुना, वो विद्रोह को कुचलने और विरोधियों को चुप करवाने की अनेक घटनाओं से भरा हुआ है.