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कोबरा की ऐसी दुर्गति, पेट में पाइप से भरते हैं पानी, तड़पाकर लेते हैं जान, जानिए क्यों करते हैं ऐसा?

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कोबरा को सबसे जहरीले और खतरनाक सांपों में शुमार किया जाता है. लेकिन इंडोनेशिया के एक बूचड़खाने में जिस तरह से सांपों की दुर्गति की जाती है, वो रुह कंपाने वाली है. कोबरा जैसे सांपों को बेहोश कर पेट में पानी भरा जाता है. तड़पाकर उनकी जान ली जाती है. कभी सोचा है क्यों? ये सिर्फ फैशन के लिए.

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सांपों के काटने से हर साल भारत में हजारों लोगों की मौत होती है. ऐसे में अगर कभी कोई सांप हमारे सामने आ जाता है, तो हालत खराब हो जाती है. लोग डर से इधर-उधर भागने लगते हैं या फिर खुद को बचाने के लिए सांप को मार डालते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी भयानक फैक्ट्री के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सांपों से लोग नहीं डरते, बल्कि सांप अपनी जिंदगी की भीख मांगते हैं. इस फैक्ट्री में हजारों की संख्या में होने के बावजूद ये सांप किसी को नुकसान नहीं पहुंचा पाते. लेकिन खुद तड़प-तड़प कर चंद मिनटों के अंदर मरने को मजबूर हो जाते हैं. हम बात कर रहे हैं इंडोनेशिया के जावा (Java, Indonesia) के छोटे से गांव कपेतकन (Kapetakan) की, जहां सांपों का कसाईघर यानी बूचड़खाना है. इस गांव में देशभर से सांपों को पकड़कर लाया जाता है. फिर उन्हें बेहोश करके पाइप से पेट में पानी भर दिया जाता है. सांप गुब्बारे की तरह फूल जाते हैं. इस तरह से तड़पा-तड़पाकर उन्हें मारा जाता है. ये तरीका इतना दर्दनाक और डरावना है कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं.

सांपों की ऐसी दुर्गति, पेट में पानी भरकर तड़पाते हैं, फिर ले लेते हैं जान
इस भयावह फैक्ट्री में सांपों को क्रूर तरीके से मारा जाता है. Photo- Reuters

सोशल मीडिया पर इसकी कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं. जब हमने पोस्ट की जांच की तो पता चला कि ये इंडोनेशिया के रहने वाले बॉस कोबरा (Boss Cobra) उर्फ वकीरा (Wakira) के बूचड़खाने की तस्वीरें हैं, जो साल 2013 में पहली बार दुनिया के सामने आए थे. बॉस कोबरा उर्फ वकीरा के इस फैक्ट्री में सांपों को मारकर उनकी खाल से बैग, जूते, बटुए और बेल्ट बनाए जाते हैं. इंडोनेशिया में ये सामान काफी सस्ते में बिकते हैं, लेकिन अमेरिका व यूरोपीय देशों में इनकी कीमत 33 लाख रुपए तक होती है. यकीन मानिए, इस चमक के पीछे की क्रूर सच्चाई दुनिया को झकझोर देने वाली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वकीरा की फैक्ट्री में 10 लोग दिन-रात इस काम में लगे रहते थे. उनके महीने की कमाई 13 लाख रुपए तक है. लेकिन जैसे ही ये खाल उनके हाथों से बाहर निकलता है, वैसे ही इनकी कीमत लाखों में पहुंच जाती है. उनके इस फैक्ट्री में फुफकारता हुआ कोबरा तड़पता रहता है, लेकिन पलक झपकते ही उसकी खाल उतार ली जाती है. वकीरा की फैक्ट्री से सांपों की खाल सेंट्रल और वेस्ट जावा की फैक्ट्रियों में भेजी जाती हैं.

सांपों को बेहोश कर पाइप से पेट में पानी भर दिया जाता है. (Photo- Reuters)

सेंट्रल जावा के कोमल ज़िले (Comal District) में कारीगर इन खालों से बैग तैयार करते हैं. लोग इन बैग्स की चमक पर फिदा हो जाते हैं, लेकिन सांपों को मारने का तरीका इतना कठोर और बर्बर की रुह कांप जाए. सबसे पहले सांप के सिर पर चोट पहुंचाकर बेहोश किया जाता है. फिर उसके मुंह में पाइप डालकर पानी भरा जाता है, जिससे सांप गुब्बारे की तरह फूल जाता है. इसे दस मिनट तक ऐसे ही छोड़ा जाता है और गले में चमड़े की रस्सी बांधकर पानी को बाहर नहीं निकलने दिया जाता. इसके बाद सांप के सिर को मीट हुक पर टांगा जाता है और चाकू से दो कट लगाए जाते हैं. खाल को रबर के दस्ताने की तरह खींचकर उतार लिया जाता है. ये प्रक्रिया इतनी दर्दनाक है कि सांप कई बार ज़िंदा रहता है और एक-दो दिन बाद सदमे या पानी की कमी से मरता है. उतारी गई खाल को बोर्ड पर रखकर गर्म ओवन में सुखाया जाता है या रंगकर धूप में सुखाया जाता है. सांप की खाल अपने आप गोल मुड़ जाती है, जिसे टैनरी में भेजा जाता है.

कई सांप जिंदा रहते हैं, तब भी उनकी चमड़ी उधेड़ दी जाती है. (Photo- Reuters)

खाल ही नहीं, सांप का मीट भी बिकता है!
यहां पर सांपों की खाल से जहां फैशन से जुड़े हैंडबैग्स, बेल्ट और बटुए बनाए जाते हैं. लेकिन उनके मीट को भी ऐसे ही बाहर नहीं फेंक दिया जाता. उस मीट को भी लोगों को बेचा जाता है, जिसे कुछ लोग खाते हैं, तो कुछ लोग अलग कामों में इस्तेमाल करते हैं. दरअसल, इंडोनेशिया में कुछ लोग मानते हैं कि सांप का मांस त्वचा की बीमारियों, दमा और पुरुषों की ताकत बढ़ाने में मदद करता है. ऐसे में वकीरा की फैक्ट्री में मारे गए सांपों के खाल के अलावा मांस से भी अच्छी कमाई होती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या लग्जरी फैशन की चमक के लिए ऐसी क्रूरता जायज है? हालांकि, इस तरह की चीजों के सामने आने के बाद कुछ दिनों तक लोग विरोध करते हैं, लेकिन बाद में सबकुछ भूलकर ऐसी चीजों का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं.

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न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में सीनियर एसोसिएट एडिटर के तौर कार्यरत. इंटरनेशनल, वेब स्टोरी, ऑफबीट, रिजनल सिनेमा के इंचार्ज. डेढ़ दशक से ज्यादा समय से मीडिया में सक्रिय. नेटवर्क 18 के अलावा टाइम्स ग्रुप, दैनिक भास्कर डिजिटल, प्रभात खबर सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य कर चुके हैं.
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