दूरदर्शन के मंच पर इस बिहारी छोरे ने मचाया धमाल, जब शुरू किया ये भोजपुरी गीत, सबके खड़े हो गए रोंगटे!
चैत महीना में पूरे बिहार और खासकर भोजपुर जिला में चैता एक परंपरागत गीत है. चैत्र मास में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में चैता या चइता गाया जाता है. चैती या चइता चैत माह पर केंद्रित लोकगीत है. ये उल्लास, प्रेम व प्रकृति का गीत है.

भोजपुर:- बिहार के आरा में एक युवक अपने स्वर से पूरे देश में भोजपुरी संस्कृति के सुंदरता को बिखेर रहा है. दूरदर्शन जैसे बड़े टीवी शो में आरा का रहने वाला ये युवक गया और चैता, निर्गुण और भोजपुरी लोक गीत को गाया है. सिम्फनी ऑफ इंडिया नाम के इस बड़े शो में पूरे देश से स्वर कलाकार जुटे थे, वैसे मंच पर आरा के रहने वाले सम्राट कुमार चैता ने गाकर मंच पर मौजूद जजों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
चैता एक परंपरागत गीत
बता दें कि चैत महीना में पूरे बिहार और खासकर भोजपुर जिला में चैता एक परंपरागत गीत है. चैत्र मास में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में चैता या चइता गाया जाता है. चैती या चइता चैत माह पर केंद्रित लोकगीत है. ये उल्लास, प्रेम व प्रकृति का गीत है. इसकी भाषा भोजपुरी है. इसे अर्ध-शास्त्रीय गीत विधाओं में भी सम्मिलित किया जाता है और उपशास्त्रीय बंदिशें गाई जाती है. चैत्र के महीने में गाए जाने वाले इस गीत प्रकार का विषय प्रेम और प्रकृति रहते हैं.
कलाकार और जजों के सामने गाया चैता
सम्राट कुमार मूल रूप से आरा के रहने वाले हैं. इनके पिता का नाम भरत प्रसाद है. सम्राट ने लोकल 18 को बताया कि भोजपुरी संस्कृति से जुड़े पुराने लोकगीत को वो जीवित करना चाहते हैं. यही कारण है कि राष्ट्रीय स्तर के सुर प्रोग्राम में वो चैता जैसे परंपरागत गीत को चुने और पूरे देश से आये कलाकार और जजों के सामने चैता गाया. सम्राट ने बताया कि जब वो चैता गाने का प्लान वहां साझा किए, तो बहुत लोग समझ नहीं पाए कि यह है क्या और जो समझे वह आश्चर्य चकित हो गए.
आज की पीढ़ी का युवा इतने बड़े मंच पर चैता जैसे परंपरागत गीत को क्यों गाना चाहता है. फिर भी सम्राट ने अपने मधुर स्वर से जब भगवान राम से जुड़ा चैता गाया, तो वहां पर बैठे जज और पूरे देश की अलग-अलग कोने से आए युवा कलाकार मंत्रमुग्ध हो गए. सम्राट अपने मधुर स्वर की वजह से इस राष्ट्रीय स्तर के प्रोग्राम में सेमीफाइनल तक जगह बनाने में कामयाब रहे, लेकिन उसके बाद उनका विजय रथ रूक गया और वापस आना पड़ा.
पुराने लोग करते हैं सम्मान
सम्राट ने बताया कि भोजपुरी इन दोनों सिर्फ अपने अश्लीलता और फूहड़ता के लिए जाना जा रहा है. हमारे समाज में जो पुराने लोग हैं, वह सिर्फ चैता और निर्गुण जैसे गाने को गाते हैं या समझते हैं. लेकिन हम युवा इन सब चीजों से भाग रहे हैं. ऐसे में हम अकेले प्रयास कर रहे हैं कि जितना हो सके अपने परंपरागत गीत को दुनिया के सामने एक बार फिर से ला सकें और इसे पूर्ण जीवित कर सके.