बिहार में क्या खोज रही IIT धनबाद-दिल्ली की टीम, जंगल-जंगल भटक रहे आईआईटियन
आईआईटी दिल्ली और आईआईटी धनबाद की टीम ने लखीसराय जिले में कई स्थलों पर बौद्धकालीन अवशेषों की पुष्टि की है. रामगढ़ चौक, रजौन, राहोगढ़ और जयनगर में स्तूप और मठ मिले हैं. आधुनिक तकनीक से जमीन के अंदर 200 मीटर तक की सटीक जानकारी निकाली गई है.

लखीसराय. जिले के कई जगह से पिछले कुछ सालों में कई बौद्धकालीन अवशेष मिलने के बाद अब इस मामले में विशेष सर्वे शुरू किया गया है. इसमें आईआईटी दिल्ली और आईआईटी धनबाद की टीम को लगाया गया है. जिनके द्वारा करीब आधा दर्जन से अधिक स्थलों पर पुरातात्विक अवशेष मिलने की पुष्टि की गई है. दरअसल लखीसराय जिले में जिला प्रशासन के द्वारा वाटर लेवल जांच करवाई गई थी. जिसके बाद आईआईटी धनबाद और आईआईटी दिल्ली की टीम को यह जिम्मेदारी दी गई थी.
इस टीम ने जिले के कई अलग-अलग जगह पर बीते तीन दिनों तक जांच की, जिसमें आधा दर्जन जगहों पर बौद्ध कालीन अवशेष होने की जानकारी सामने आई है. जांच में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जिस से जमीन के अंदर 200 मीटर तक की सटीक जानकारी निकाली गई है.
स्तूप और बौद्ध मठ होने की मिली है जानकारी
आईआईटी धनबाद और आईआईटी दिल्ली की टीम के द्वारा जिले के विभिन्न स्थलों पर जांच किए जाने के बाद कई बौद्धकालीन अवशेष मिलने की जानकारी सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि इस टीम को जांच के दौरान जिले के रामगढ़ चौक प्रखंड के नूनगढ़ में एक बौद्ध स्तूप और एक बौद्ध मठ मिलने की जानकारी प्राप्त हुई है. इसके साथ ही लखीसराय शहर के वार्ड नंबर एक स्थित रजौन में बनियाही पोखर के समीप भी एक स्तूप मिलने की बात सामने आई है.
प्रख्यात अशोक धाम मंदिर के ठीक पीछे राहोगढ़ में बौद्ध मठ होने की बात सामने आई है. लखीसराय जिला मुख्यालय स्थित संग्रहालय के समीप राजकीय धरोहर में शामिल किए गए बालगुदारगढ़ में भी बौद्ध मठ मिलने के बाद सामने आ रही है. शहर के कवैया थाना क्षेत्र अंतर्गत जयनगर में स्तूप, मठ एवं जमीन के अंदर कई मूर्तियां होने की बात सामने आई है.
लगातार मिलते रहे हैं बौद्धकालीन अवशेष
गौरतलब है कि लखीसराय जिले में लगातार बौद्ध कालीन अवशेष मिलने की बात सामने आती रही है. लखीसराय जिले में वर्ष 2017 में सबसे पहली बार लाली पहाड़ी पर बौद्ध कालीन अवशेष मिले थे. इस दौरान बौद्ध महाविहार एवं स्तूप का अवशेष मिला था. इस जगह पर लगातार खुदाई जारी है और राज्य सरकार के द्वारा इस स्थल को संरक्षित भी घोषित कर दिया गया है.
अभी हाल ही में जिले के कवैया थाना क्षेत्र में भी किउल नदी के किनारे खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की प्रतिमा एवं कई बौद्ध कालीन अवशेष मिले थे. ऐसे में एक बार फिर से आधा दर्जन से अधिक जगहों पर बौद्धकालीन अवशेष मिलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि इन सभी स्थानों पर ASI के द्वारा सर्वे किया जा सकता है या इसकी खुदाई करवाई जा सकती है.