बिहार के 4 गांव के बच्चे चार महीने नहीं जाते स्कूल, खेती और कारोबार भी रहता है बंद, ये है वजह
Sitamarhi News: सीतामढ़ी जिले के रामपुर गांव के लोगों की जिंदगी चार महीने के लिए मानों ठहर सी जाती है. यहां का कोई बच्चा न तो स्कूल जा पाता है. न ही बड़े बूढ़ों का व्यापार हो जाता है. आइए जानते हैं आखिर सबकी जिंदगी क्यों ठप्प पड़ जाती है.

सीतामढ़ीः बिहार के सीतामढ़ी जिले के रामपुर गांव के लोगों की जिंदगी आज भी एक अदद पुल के इंतजार में ठहरी हुई है. करीब 10 हजार की आबादी वाला यह गांव एक बड़ी नदी के दोनों किनारों पर बसा हुआ है, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी यहां पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. नतीजतन, गांव के बच्चों को हर साल चार महीने स्कूल जाना बंद करना पड़ता है. वहीं, किसानों और छोटे कारोबारियों का जीवन भी बुरी तरह प्रभावित होता है.
चार महीना कट जाता है गांव
रामपुर गांव के बीच से गुजरने वाली नदी पर सिर्फ एक अस्थायी चचरी पुल है, जिसे ग्रामीण खुद चंदा इकट्ठा कर बनवाते हैं. यह पुल 15 से ज्यादा गांवों को जोड़ता है और हजारों लोगों की रोजमर्रा की आवाजाही का माध्यम है. लेकिन बारिश के मौसम में जब नदी में पानी बढ़ता है, तो यह चचरी पुल बह जाता है. इसके बाद गांव चार महीने के लिए बाकी दुनिया से लगभग कट जाता है. इस दौरान न तो बच्चे स्कूल जा पाते हैं और न ही किसान अपने खेतों तक पहुंच पाते हैं.
ग्रामीणों ने कहा जिंदगी भी खतरे में
ग्रामीण विजय कुमार यादव, सुरेंद्र यादव, अखिलेश महतो, सुरेश कुशवाहा और जीवनेश्वर यादव ने बताया कि पुल नहीं होने से अब तक कई लोगों की जान भी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को इमरजेंसी में अस्पताल जाना हो तो 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है. पुपरी अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए भी लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. उस चार महीने के दौरान किसी को ज्यादा तबियत खराब हो जाए तो नुकसान भी हो जाता है, कई बार लोगों की जान जा चुकी है.
पुल बनने से नेपाल तक मिलेगी सुविधा
स्थानीय कारोबारी ने बताया कि उनका कारोबार बरसात के मौसम में ठप हो जाता है क्योंकि चचरी पुल बह जाने के बाद फूल बाजार तक नहीं पहुंच पाते. किसानों का कहना है कि नदी के दोनों तरफ उनकी खेती फैली है, लेकिन बाढ़ के दिनों में खेत तक पहुंचना नामुमकिन हो जाता है, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले कई दशकों से पुल की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधियों ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया. अगर यह पुल बन जाए तो न सिर्फ रामपुर बल्कि आसपास के 15 गांवों को फायदा होगा. नेपाल बॉर्डर और जनकपुर तक भी सुगमता से पहुंचा जा सकेगा.
चार महीने बच्चे नहीं पढ़ते
ग्रामीणों ने बताया पुल नहीं होने का सबसे बड़ा असर गांव के बच्चों की शिक्षा पर पड़ता है. बारिश के मौसम में जब नदी उफान पर होती है और चचरी पुल बह जाता है, तब स्कूल पूरी तरह बंद हो जाता है. बच्चों को स्कूल जाने का कोई रास्ता नहीं बचता, जिससे उनकी पढ़ाई चार महीने तक ठप हो जाती है. शिक्षक भी स्कूल तक नहीं पहुंच पाते, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाती है. न केवल पढ़ाई रुक जाती है, बल्कि कई बच्चे साल भर की पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं और कुछ का स्कूल छोड़ने का भी खतरा बढ़ जाता है. ऐसे हालात में गांव के बच्चों का भविष्य अधर में लटक जाता है.